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Thursday, September 29, 2011

गोरखनाथ का प्रिय मंत्र 'जंजीरा

गोरखनाथ का प्रिय मंत्र 'जंजीरा'  
परोपकार के लिए सिद्ध मंत्र
 

मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए नाना प्रकार की सिद्धियाँ की एवं उस पर विजय प्राप्त करने के बाद स्वार्थ-परमार्थ दोनों कार्य भी किए। किसी ने भैरव को, किसी ने दुर्गा को, किसी ने हनुमान जी को इस प्रकार सभी ने अपने-‍अपने हिसाब से देवताओं की आराधना कर सिद्ध किया और अपने कार्य को किया।

यहाँ पर गुरु गोरखनाथ को प्रसन्न करने के लिए मंत्र (जंजीरा) दे रहे हैं जो 21 दिन में सिद्ध होता है। साथ में गोरखनाथ जी का आशीर्वाद भी मिलता है इसे सिर्फ परोपकार के लिए ही कार्य में लें अपने स्वार्थ के लिए नहीं।

मंत्र (जंजीरा)
ऊँ गुरुजी मैं सरभंगी सबका संगी, दूध-माँस का इकरंगी, अमर में एक तमर दरसे, तमर में एक झाँई, झाँई में पड़झाँई, दर से वहाँ दर से मेरा साईं, मूल चक्र सरभंग का आसन, कुण सरभंग से न्यारा है, वाहि मेरा श्याम विराजे ब्रह्म तंत्र ते न्यारा है, औघड़ का चेला, फिरू अकेला, कभी न शीश नवाऊँगा,

पत्र पूर पत्रंतर पूरूँ, ना कोई भ्राँत ‍लाऊँगा, अजर अमर का गोला गेरूँ पर्वत पहाड़ उठाऊँगा, नाभी डंका करो सनेवा, राखो पूर्ण वरसता मेवा, जोगी जुण से है न्यारा, जुंग से कुदरत है न्यारी, सिद्धाँ की मूँछयाँ पकड़ो, गाड़ देवो धरणी माँही बावन भैरूँ, चौसठ जोगन, उल्टा चक्र चलावे वाणी, पेडू में अटकें नाड़ा, न कोई माँगे हजरता भाड़ा मैं ‍भटियारी आग लगा दूँ, चोरी-चकारी बीज बारी सात रांड दासी म्हाँरी बाना, धरी कर उपकारी कर उपकार चलावूँगा, सीवो, दावो, ताप तेजरो, तोडू तीजी ताली खड चक्र जड़धूँ ताला कदई न निकसे गोरखवाला,

डा‍किणी, शाकिनी, भूलां, जांका, करस्यूं जूता, राजा, पकडूँ, डाकम करदूँ मुँह काला, नौ गज पाछा ढेलूँगा, कुँए पर चादर डालूँ, आसन घालूँ गहरा, मड़, मसाणा, धूणो धुकाऊँ नगर बुलाऊँ डेरा, ये सरभंग का देह, आप ही कर्ता, आप ही देह, सरभंग का जप संपूर्ण सही संत की गद्‍दी बैठ के गुरु गोरखनाथ जी कही।

सिद्ध करने की विधि एवं प्रयोग :
किसी भी एकांत स्थान पर धुनी जलाएँ। उसमें एक लोहे का चिमटा गाड़ दें। नित्य प्रति धुनी में एक रोटी पकाएँ और वह रोटी किसी काले कुत्ते को खिला दें। (रोटी कुत्ते को देने के ‍पहले चिमटे पर चढ़ाएँ।) प्रतिदिन आसन पर बैठकर 21 बार जंजीरा (मंत्र) का विधिपूर्वक पाठ करें। 21 दिन में सिद्ध हो जाएगा।

किसी भी प्रकार का ज्वर हो, तीन काली मिर्च को सात बार मंत्र पढ़कर रोगी को खिला दें, ज्वर समाप्त हो जाएगा।

भूत-प्रेत यक्ष, डाकिनी, शाकिनी नजर एवं टोने-टोटके किसी भी प्रकार का रोगी हो, मंत्र (जंजीरा) सात बार पढ़कर झाड़ दें। रोगी ठीक हो जाएगा।

यदि आप किसी भी कार्य से जा रहे हो, जाने से पूर्व मंत्र को पढ़कर हथेली पर फूँक मार कर उस हथेली को पूरे चेहरे पर घुमा लें फिर कार्य से जाएँ, आपका कार्य सिद्ध होगा और आपको सफलता जरूर मिलेगी।

आत्मा एवं परमात्मा का मिलन आपके कार्य सिद्ध करेंगे

najar jhadaane ka mantr

नमो सत्य नाम आदेशगुरु को
ॐ नमो नजर जहाँ पर पीर न जानी
बोले छल सो अमरत बानी
कहो नजर कहाँ ते आई
यहाँ की ठौर तोहि कौन बताई
कौन जात तेरा कहाँ ठाम
किसकी बेटी कह तेरो नाम
कहाँ से उड़ी कहाँ को जाय
अब ही बस कर ले तेरी माया
मेरी बात सुनो चित लाए
जैसी होय सुनाऊँ आय
तेलिन तमोलिन चुहड़ी चमारी
कायस्थनी खतरानी कुम्हारी
महतरानी राजा की रानी
जाको दोष ताहि को सिर पड़े
जहार पीर नजर से रक्षा करे
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
उपरोक्त मंत्र को पढ़ते हुए मोर के पंख से बाल के सिर से पैर तक झाड़ दें। इस क्रिया से बालक की नजर उतर जाएगी और बालक स्वस्थ हो जाएगा

इसी प्रकार आप ग्रहण के दिन भगवती गायत्री की साधना कर मंत्र को सिद्ध कर लें फिर आप किसी भी बालक की नजर को झाड़ सकते हैं। अवश्य सफलता प्राप्त होगी। यह अचूक प्रयोग है। उपरोक्त सारे मंत्र विश्वास के साथ करें। कार्य अवश्य होगा।

Wednesday, September 28, 2011



रणब‍ीर कपूर का जन्म साठ के दशक के सुपर स्टार राज कपूर के परिवार में हुआ। कपूर परिवार ने फिल्मों में कई दशक देखें और फिल्मी इतिहास में अपने नाम की ख्याति पूरे विश्व में फैलाई। उसी परिवार में रणबीर का जन्म 28 सितंबर 1982 को बॉम्बे में श्रवण नक्षत्र में हुआ। उसी के प्रभाव से रणबीर धन‍ी एवं सुखी है।

रणबीर की कुंडली के अनुसार सूर्य ने उन्हें दीर्घसूत्री बनाया। मंगल एवं चंद्र ने भ्रमणशील के साथ-साथ फिल्मों में कदम जमाए। बुध जन्म के समय कन्या राशि पर भ्रमण कर रहा था, उसने भी धनवान बनाया एवं प्रसिद्धि दिलाई।

गुरु आपकी कुंडली में जिस राशि पर विराजमान है, उसने भी आपको धन-धान्य से सुखी बनाया। शुक्र केंद्र में होने से रणबीर को श्रेष्ठ कर्म वाला बनाता है। शनि जिस भाव में विराजमान है, यह आपको संपत्तिवान बनाता है। जन्म के समय शनि कन्या राशि पर भ्रमण कर रहा था, वह आपको उच्च स्थान दिलाता है।

आपका जन्म चंद्र की महादशा में हुआ है। वर्तमान में राहु की महादशा चल रही है, जो कि 2-5-1994 से 2-5-2015 तक रहेगी। वर्तमान में राहु महादशा में शुक्र की अंर्तदशा 20-11-2009 से 20-11-2012 तक रहेगी। इसके बाद सूर्य की अंतर्दशा 14-10-2013 ‍तक रहेगी। इसलिए आपको राहु और शुक्र की शांति अवश्य करानी चाहिए।

Tuesday, September 27, 2011

navratri ki shubh-kamanaye

  सभी दोस्तों को आगामी  नवरात्री की शुभकामनाये ! माँ  दुर्गा आप सबकी मनोकामना पूर्ण करे! एवं 
आपके जीवन में उन्नति का प्रकाश दे!

navratri ko no din lagaye bishrsh bhog

पहले  नवरात्रि के दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। तथा शरीर निरोगी रहता है।

दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं व घर में सभी सदस्यों को दें। इससे आयु वृद्धि होती है।

तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग माँ को लगाकर ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों की मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा को चौथी नवरात्रि के दिन मालपुए का भोग लगाएं। और मंदिर के ब्राह्मण को दान दें। जिससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।

नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवैद्य चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।

छठवीं नवरात्रि के दिन मां को शहद का भोग लगाएं। जिससे आपके आकर्षण शक्त्ति में वृद्धि होगी।

सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।

नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी को नारियल का भोग लगाएं व नारियल का दान कर दें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही अनहोनी होने की‍ घटनाओं से बचाव भी होगा।

Saturday, September 24, 2011

हर बाधा का निवारण करे हनुमान मंत्र

हर बाधा का निवारण करे हनुमान मंत्र  
 

मनुष्य शारीरिक, मानसिक और बाहरी (भू‍त-प्रेत) नजर इत्यादि बीमारियों से परेशान रहता है। शारीरिक बीमारी के लिए डॉक्टर या वैद्य के पास जाकर मनुष्य ठ‍ीक हो जाता है। मानसिक बीमारी का सरलत‍म उपाय हो जाता है। परंतु मनुष्य जब भूत-प्रेत अथवा नजर, हाय या किसी दुष्ट आत्मा के जाल में फँस जाता है तब वह परेशान हो जाता है।

इसके ‍इलाज के लिए स्वयं एवं परिवार वाले हर जगह जाते हैं- जैसे तांत्रिक, मांत्रिक, जानकार के पास। परंतु मरीज ठीक नहीं होता है। मरीज की हालत बिगड़ने लगती है। ऐसा प्रतीत होता है कि मरीज शारीरिक एवं मानसिक दोनों ब‍ीमारी से ग्रस्त है।



ऐसे में पवन पुत्र हनुमान जी की आराधना करें। मरीज अवश्‍य ही ठीक हो जाएगा। यहाँ पर हम आपको श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा) दे रहे हैं। जो कि इक्कीस दिन में सिद्ध हो जाता है। इसे सिद्ध करके दूसरों की सहायता करें और उनकी प्रेत-डाकिनी, नजर आदि सब ठीक करें।

श्री हनुमान मंत्र (जंजीरा)

ॐ हनुमान पहलवान पहलवान, बरस बारह का जबान,
हाथ में लड्‍डू मुख में पान, खेल खेल गढ़ लंका के चौगान,
अंजनी‍ का पूत, राम का दूत, छिन में कीलौ

नौ खंड का भू‍त, जाग जाग हड़मान
हुँकाला, ताती लोहा लंकाला, शीश जटा
डग डेरू उमर गाजे, वज्र की कोठड़ी ब्रज का ताला
आगे अर्जुन पीछे भीम, चोर नार चंपे
ने सींण, अजरा झरे भरया भरे, ई घट पिंड
की रक्षा राजा रामचंद्र जी लक्ष्मण कुँवर हड़मान करें।


इस मंत्र की प्रतिदिन एक माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है। हनुमान मंदिर में जाकर साधक अगरबत्ती जलाएँ। इक्कीसवें दिन उसी मंदिर में एक नारियल व लाल कपड़े की एक ध्वजा चढ़ाएँ। जप के बीच होने वाले अलौकिक चमत्कारों का अनुभव करके घबराना नहीं चाहिए। यह मंत्र भूत-प्रेत, डाकिनी-शाकिनी, नजर, टपकार व शरीर की रक्षा के लिए अत्यंत सफल है।

उपद्रव शांत करने का मंत्र
उपद्रव शांत करने के लिए चक्रेश्वरी देवी की आराधना करें। नीचे दिए गए मंत्र का 21 दिन तक 10 माला प्रतिदिन फेरें। 21 दिन के बाद प्रतिदिन एक माला फेरें। यह मंत्र अत्यंत लाभप्रद है। इसके करने से किसी भी प्रकार का उपद्रव होगा, वह शां‍त हो जाएगा।

ॐ ह्रीं श्रीं चक्रेश्वरी, चक्रवारुणी,
चक्रधारिणी, चक्रवे गेन मम उपद्रवं
हन-हन शांति कुरु-कुरु स्वाहा।
ये प्रयोग आप सच्चे मन से शांत स्वभाव से करे अत्यंत लाभ मिलेगा!



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विविध फो

Friday, September 23, 2011

karina kapur


करीना कपूर का जन्म 21 सितंबर 1980 को मुंबई में हुआ, उस समय मुंबई की कुंडली के ग्रहों की स्थिति अनुसार करीना की जन्मकुंडली पर नजर डालें तो सूर्य कन्या राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, जो जातक को बुद्धिमान व बलशाली बनाता है।

कुंडली में सूर्य स्थिति आपको भाग्यशाली बनाती है। सूर्य जातक को पूर्ण सहयोग प्रदान करता है। करीना के जीवन में बाधाएं तो आती हैं, आएंगी भी, परंतु सूर्य उन बाधाओं को दूर कर उन्हें सफलता दिलाएगा। धन का व्यय सत्कार्य में होता है। कुंडली में चंद्र की स्थिति करीना को पराक्रमी बनाती है। विपक्षियों को परास्त करने की क्षमता प्रदान कर‍ती है। इसके प्रभाव से बड़ा से बड़ा विपक्षी अथवा शत्रु परास्त हो जाता है।

कुंडली में बैठा मंगल करीना को ऐश्वर्यवान बनाता है। स्वयं के परिश्रम से धन अच्छा प्राप्त होता है। तुला राशि में स्थित मंगल पारिवारिक शुभ फल भी देता है। कुंडली में बुध जिस स्थान पर बैठा है वह पराक्रमी बनाता है एवं उच्च स्थान दिलाता है। भाग्योदय की दृष्टि से करीना की कुंडली बेहतरीन कही जा सकती है।

करीना के जन्म के समय ‍बुध उन्हें बुद्धिमान व धनवान दोनों बनाता है। कुंडली में गुरु केंद्र में है, जो सर्वत्र आदर दिलाता है। सुंदर तथा रूपवान भी‍ बनाता है। यात्रा में सफलता वाली स्थिति रहेगी। वर्तमान में गुरु ऐसे ही योग बना रहा है। ‍गुरु सिंह की राशि में स्थित होने के कारण उच्च स्थान दिलाता है।

शुक्र भी भाग्यवान, धनवान बनाता है परंतु इसके प्रभाव से कभी-कभ‍ी जातक अपने वालों को भी बैरी बना लेता है। शुक्र के प्रभाव के कारण गृहस्थ जीवन के प्रवेश में बाधा आ सकती है। दूसरे शब्दों में शादी की में अड़चनें आ सकती हैं। फिलहाल, व्यवहार व दोस्ती सोच-समझ कर करें, क्योंकि कर्क राशि में स्थित शुक्र आपको घमंडी भी बना सकता है। किन्तु शुक्र की शांति से सब ठीक हो जाएगा।

जन्मपत्रिका में विराजित शनि भाग्यशाली बनाता है व अनेक प्रकार के सुख प्रदान करता है। परंतु यह परिवार से दूर भी कर सकता है। कुंडली में राहु की स्थिति करीना को पसली में तकलीफ दे सकती है। अत: ध्यान देना चाहिए। अपनी मित्रता ध्यानपूर्वक निभाएं। हानि के योग बनते हैं। केतु भी मिश्रित प्रभाव डालता है।

करीना का जन्म चंद्र की महादशा में हुआ है, जिसका भोग्यकाल 4 वर्ष 11 माह 27 दिन रहा। वर्तमान में गुरु की महादशा चल रही है, जो कि 16 वर्ष की रहेगी जो 18-9-2010 से 18-9-2026 तक रहेगी। वर्तमान में गुरु महादशा में गुरु की अंतर्दशा 6-11-2012 तक रहेगी। उसके बाद शनि का अंतर 18-5-2015 तक रहेगा।

सितंबर माह करीना के लिए मिश्रित फल वाला रहेगा। अक्टूबर अच्छा लाभ देगा। नवंबर-दिसंबर माह भी लाभांश देगा। जनवरी पुन: मिश्रित फल वाला रहेगा। फरवरी प्रारंभ से अप्रैल तब बड़े ऑफर मिलेंगे। अप्रैल मध्य से मई तक अचानक लाभ मिलेगा। जून से अगस्त तक मध्यम रहेगा।

आपको 4, 6 एवं 14 तारीख को एवं मंगलवार को कोई भी बड़ा काम हाथ में नहीं लेना चाहिए। इन तारीखों को बड़ा कॉन्ट्रेक्ट साइन नहीं करना चाहिए। चौथे प्रहर में लंबी यात्रा के लिए घर से नहीं निकलना चाहिए। माणिक, पुखराज व हीरे का संयुक्त लॉकेट करीना को चमकदार सफलता दे सकता है।

Thursday, September 22, 2011

ptra pujan

पितृ हमारे वंश को बढ़ाते है, पितृ पूजन करने से परिवार में सुख-शांति, धन-धान्य, यश, वैभव, लक्ष्मी हमेशा बनी रहती है। संतान का सुख भी पितृ ही प्रदान करते हैं।

शास्त्रों में पितृ को पितृदेव कहा जाता है। पितृ पूजन प्रत्येक घर के शुभ कार्य में प्रथम किया जाता है। जो कि नां‍दी श्राद्ध के रूप में किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन (क्वांर) की अमावस्या तक के समय को शास्त्रों में पितृपक्ष बताया है। इन 16 दिनों में जो पुत्र अपने पिता, माता अथवा अपने वंश के पितरों का पूजन (तर्पण, पितृयज्ञ, धूप, श्राद्ध) करता है। वह अवश्य ही उनका आशीर्वाद प्राप्त‍ करता है।

इन 16 दिनों में जिनको पितृदोष है वह अवश्य त्रि-पिंडी श्राद्ध अथवा नारायण बली का पूजन किसी तीर्थस्थल पर कराएं। काक भोजन कराएं, तो उनके पितृ सद्‍गति को प्राप्त हो, बैकुंठ में स्थान पाते हैं।

इन दिनों में किया गया श्राद्ध अनन्य कोटि यज्ञ के बराबर फल देने वाला होता है।

माता-पितामही चैव तथैव प्रपितामही।
पिता-पितामहश्चैव तथैव प्रतितामह:।।
माता महस्तत्पिता च प्रमातामहकादय:।
ऐते भवन्तु सुप्रीता: प्रयच्छतु च मंगलम।।
अपने पिता-पितामह, माता, मातामही, पितामही, माता के पिता, मातृ पक्ष, पत्नी के पिता, अपने भाई, बहन, सखा, गुरु, गुरुमाता का श्राद्ध मंत्रों का उच्चारण कर विधिवत‍ संपन्न करें। ब्राह्मण का जोड़ा यानी पति-पत्नी को भोजन कराएं। पितृ अवश्य आपको आशीर्वाद प्रदान करेंगे।

पितृ पक्ष में मन चित्त से पितरों का पूजन करें।

पितृभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम:।
पितामहैभ्य: स्वाधायिभ्य: स्वधा:नम:।
प्रपितामहेभ्य: स्वाधायिभ्य: स्वधा:नम:।
अक्षन्पितरो मीम-दन्त पितेरोतीतृपन्त
पितर: पितर: शुध्वम्।
ये चेह पितरों ये च नेह याश्च विधयाश्च न प्रव्रिध।
त्वं वेत्थ यति ते जातवेद:
स्वधाभिर्यज्ञ: सुकृत जुषस्व।

इन यजुर्वेद के मंत्रों का उच्चारण कर पितरो का पूजन करे ! आपके पितृ  बेकुंढ़ में निबास करेगे!

इन दिनों में किया गया श्राद्ध अनन्य कोटि यज्ञ के बराबर फल देने वाला होता है।




शाहरुख खान का सूर्य जन्म कुंडली में जिस स्थान पर विराजित है वह उन्हें दूरदर्शी बनाता है। सूर्य के कारण ही शाहरुख जोखिम उठाकर दीर्घयोजना बनाने की सोच रखते हैं। यही सूर्य भविष्य में भी शाहरुख का सम्मान तथा वर्चस्व बनाए रखने में मदद करेगा।

कुंडली में चन्द्र की स्थिति शाहरुख की फिल्म 'रा वन' को श्रेष्ठ ऊंचाई तक ले जाएगी। हालांकि आरंभ में 'रा वन' की सफलता में बाधा के योग दिखाई दे रहे हैं परंतु मंगल की वर्तमान गोचर स्थिति भाग्योदय का संकेत दे रही है। साथ ही गुरु यश दिलाने के प्रबल संकेत दे रहा है।

शनि की महादशा में बुध की अंतर्दशा आर्थिक परेशानी की चेतावनी दे रही है। जो अगस्त 2012 तक रहेगी। शाहरुख की पत्नी गौरी अगर भगवान गणेश की आराधना करें तो शाहरुख इस स्थिति से उबर सकेंगे। 'रा वन' की सफलता के लिए भी गौरी को गणेश जी को ही मनाना चाहिए।

शुक्र की शुभता व अनुकूलता दर्शकों को फिल्म की ओर आकर्षित करेगी। सारे सितारों को मिलाकर देखा जाए तो फिल्म हिट होगी। राहु मिश्रित असरकारी है, जबकि शनि फिल्म 'रा वन' से शाहरुख को सम्मान की ओर ले जा सकता है।

सूर्य कुंडली पर दृष्टि डालें तो शाहरुख ने अपना सबकुछ जो भी दांव पर लगाया है वह सुरक्षित रहेगा। साथ ही सितारों के अनुसार अच्छा रिटर्न भी उन्हें मिलेगा।

दूसरी तरफ करीना के सितारे भी फिल्म को सपोर्ट कर रहे हैं। शाहरुख को एस्ट्रो सलाह है कि ‍फिल्म के रिलीज होने तक ज्यादा प्रचार से बचे! 


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Wednesday, September 14, 2011

पितृ पूजन ज्योतिष की नजर से

 पितृ पूजन ज्योतिष की नजर से --> पितृ हमारे वंश को बढ़ाते है! पितृ की पूजन करने वाले के परिवार में 
 सुख-शांति,धन,धान्य,यश, वैभव, लछ्मी.हमेशा बनी रहती है! संतान का सुख भी पितृ ही प्रदान करते है!
शास्त्रों में पितृ को पितृदेव कहा है! पितृ पूजन प्रत्येक घर  के शुभ कार्य में प्रथम किया जाता है! जो कि नादी-
श्राध्द के रूप में किया जाता है! भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन (क्वार) कि अमावस्या तक के समय को शास्त्रों ने
पितृपछ  बताया है! एन १६ दिनों में जो पुत्र अपने पिता,माता, अथवा अपने वंश के पितरो का पूजन (तर्पण, 
धुप, श्राध्द ) करता है, वह अवस्य उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है! 
   एन १६ दिनों में जिनको पितृ-दोष है, वह अवस्य त्रि -पिंडी श्राध्द अथवा नारायण बलि का पूजन कराये !
नारायण बलि का पूजन किसी तीर्थ स्थल पर कराये ! इसी के साथ काक भोजन कराये, तो उनके  पितृ सदगति
को प्राप्त हो बैकुंठ में स्थान पाते है! 
   एन दिनों में किया गया श्राध्द अनन्य कोटि फल देने वाला होता है!



Friday, September 9, 2011

      जय श्री गणेश -गणेश जी आपके जीवन में हर ख़ुशी दे, एवं आपके जीवन के अन्धकार को दूर कर उन्नति का 
 प्रकाश दे!