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Wednesday, September 19, 2012

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर सभी भक्तो को हार्दिक शुभकामना ---> गणेश जी आपके जीवन में हर पल उन्नति प्रदान करे!

Monday, September 17, 2012

श्रीगणेश आराधना : पूजन करें लग्न के अनुसार

 


रिद्धि-सिद्धि के दाता श्री गणेश की आराधना देवता, दानव, किन्नर, यक्ष सभी करते हैं। मनुष्य हमेशा से कुछ न कुछ पाने की इच्छा रखता है। प्रभु गजानंद अपने भक्तों की मनोकामना तुरंत पूर्ण करते हैं।

गौरीपुत्र एकदंत का पूजन प्रत्येक मनुष्य अपने जन्म-लग्न के अनुसार करें, तो उन्हें अधिक लाभ मिलेगा। जानिए कैसे करें ल ग्नानुसार श्री गणेश आराधना...।

मेष लग्न- मेष लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ विघ्नेश्वराय नम: मंत्र से करें।

वृषभ लग्न- वृषभ लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ शिवपुत्राय नम: मंत्र से करें।

मिथुन लग्न- मिथुन लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी आराधना ॐ लम्बोदराय नम: मंत्र से करें।

कर्क लग्न- कर्क लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ गौरीपुत्राय नम: मंत्र से करें।

सिंह लग्न- सिंह लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ भक्तवासाय नम: मंत्र से करें।

कन्या लग्न- कन्या लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ लम्बोदराय नम: मंत्र से करें।

तुला लग्न- तुला लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ सर्वकल्याणहेतवे नम: मंत्र से करें।

वृश्चिक लग्न- वृश्चिक लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ एकदंताय नम: मंत्र से करें।

धनु लग्न- धनु लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी आराधना ॐ उमासुताय नम: मंत्र से करें।

मकर लग्न- मकर लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ विघ्नहराय नम: मंत्र से करें।

कुंभ लग्न- कुंभ लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ दुःखहर्ता नम: मंत्र से करें।

मीन लग्न- मीन लग्न में जन्म लेने वाले जातक गणेश जी की आराधना ॐ पार्वतीपुत्राय नम: मंत्र से करें।

Friday, September 14, 2012

पारिवारिक शांति एवं सुख सुबिधा के उपाय

पारिवारिक शांति एवं सुख सुबिधा के उपाय --> प्रत्येक व्यक्ति को सुखमय जीवन जीने की हरपल कामना रहती है! इस कामना को पूर्ण करने

          
के लिए मनुष्य नाना प्रकार के उपाय करता है,कई बार तो अपने जीवन से निराश हो जाता है एवं ज्योतिषियों के पास जाता है,अथवा तंत्र-मंत्र
के चक्कर में आकर अपना जीवन बर्वाद कर लेते है! अपने जीवन को सुखमय बनाने के लिए हर दिन व्यक्ति घर से निकलते समय ये सरल उपाय कर सकता है--------
सोमवार -> इस दिन  लाइनिंग या चौकड़ी ( चेक्स ) वाला वस्त्र  पहने एवं कांच में अपना चेहरा देखकर घर से निकले!!       
मंगलवार---> मंगलवार के दिन लाल या गुलाबी वस्त्र पहने एवं घर से  गुड खाकर निकले !
बुधवार--. बुधवार के दिन पीला वस्त्र पहने एवं घर से धनिया खाकर निकले !
गुरुवार--> गुरुवार के दिन सफ़ेद वस्त्र पहने एवं घर से जीरा खाकर निकले!
शुक्रवार--> शुक्रवार के दिन सफेद या हल्का पीला वस्त्र पहने एवं घर से दही खाकर निकले!
शनिवार--> शनिवार के दिन काला वस्त्र पहने एवं घर से अदरक खाकर निकले!
रविवार--> रविवार के दिन नीला वस्त्र पहने एवं घर से पान या घी खाकर निकले !
उपरोक्त उपाय के साथ-साथ अपने गुरु,कुलदेव एवं इष्टदेव का स्मरण करके घर से निकले आपके कार्य अवश्य पूर्ण होंगे!

बारह राशियों पर शनि का प्रभाव


Shani dev

जैसे कुछ ग्रहों के साथ शनिदेव शुभ होते हैं और कुछ के साथ अशुभ फलदायी, उसी प्रकार 12 राशियों में से कुछ में शनि लाभदायक तो कुछ में हानिकारक होते हैं। जिन जातक को शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव है। जानिए, आपकी कुंडली में शनि किस राशि में हैं और यह आपको किस प्रकार से प्रभावित करेंगे :-

मेष राशि :
राशिचक्र में सबसे पहला स्थान मेष राशि का है। इस राशि में शनि नीच का होता है। शनि नीच होने से यह अशुभ फलदायी होता है। इस राशि शनि की स्थिति से व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होती है। इस राशि में जिनके शनि होता है शनि उन्हें हठी और क्रोधी बनाता है। यह व्यक्ति को बुरी आदतों की ओर ले जाता है। मेष राशि में जब शनि की महादशा चलती है उस समय रिश्तेदारों एवं मित्रों के साथ विरोध उत्पन्न होता है। इस समय संबंधों में दूरियां भी बढ़ जाती हैं।

वृषभ राशि :
वृष राशि राशिचक्र में दूसरी राशि है। जिस व्यक्ति की कुंडली में शनि इस राशि में होता है वह व्यक्ति असत्य भाषण करने वाला होता है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ऐसा व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता यह अपने स्वार्थ के लिए किसी को धोखा दे सकता है। यह काफी चतुर और शक्तिशाली होता है। काम की भावना इनमें अधिक रहती है।

मिथुन राशि :
मिथुन तीसरी राशि है। इस राशि में शनि का होने पर यह व्यक्ति को दुःसाहसी बनाता है। व्यक्ति चतुर और धूर्त प्रकृति का होता है। राजनीति एवं कुटनीतिक क्षेत्र में इन्हें विशेष सफलता मिलती है। इनमें दया और सद्भावना की कमी होती है। संतान की दृष्टि से यह स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती है, क्योंकि यह अल्प संतान का योग निर्मित करता है। साहित्य, संगीत एवं सौन्दर्य के प्रति व्यक्ति में विशेष लगाव रहता है।

कर्क राशि :
राशि चक्र की चौथी राशि है कर्क राशि। जिस व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थ भाव में शनि होता है वह व्यक्ति जिद्दी और दूसरों से ईर्ष्या करने वाला होता है। स्वार्थ की भावना इनमें प्रबल रहती है। मातृ पक्ष से इन्हें सुख की कमी महसूस होती है। जब शनि की महादशा कर्क राशि में होती है उस समय इन्हें विशेष कष्ट होता है। शनि की महादशा में पारिवारिक जीवन में उथल-पुथल, मानसिक अशांति, अस्वस्थता मिलती है।

सिंह राशि :

सिंह राशि राशि चक्र में पांचवीं राशि है। इस राशि में शनि के होने से शनि व्यक्ति को गंभीर और चिंतनशील बनाता है। व्यक्ति अपने कार्य में निपुण और परिश्रमी होता है। इस राशि में शनि से प्रभावित व्यक्ति अपनी बातों पर अडिग रहने वाला होता है। गोचर में इस राशि में जब शनि की महादशा चलती है, उस समय इन्हें अत्यधिक परिश्रम करना होता है। अनावश्यक रूप से धन की हानि होती है और मन में निराशात्मक विचार आते रहते हैं।

कन्या राशि :

Shani dev

जिनकी कुंडली में कन्या राशि में शनि होता है वे परोपकारी और गुणवान होते हैं। इस राशि में जिनके शनि होता है वे धनवान और शक्तिशाली होते हैं। कम बोलने वाले और लेखन एवं गंभीर विषयों में रुचि रखने वाले होते हैं। ये सामाजिक कार्यों में शामिल रहते हैं। पारंपारिकता एवं पुराने विचारों में यकीन रखने वाले होते हैं। इस राशि में शनि की महादशा में इन्हें यश और लाभ मिलता है।

तुला राशि :
तुला राशि में शनि उत्तम फल देने वाला होता है। यह व्यक्ति को स्वाभिमानी, महत्वाकांक्षी और भाषण कला में निपुण बनाता है। यह व्यक्ति को स्वतंत्र विचारों वाला और चतुर बनाता है। आर्थिक रूप से मजबूत और कुशल मानसिक क्षमता प्रदान करता है।

वृश्चिक राशि :
शनिदेव जिनकी कुंडली में वृश्चिक राशि में होते हैं वह व्यक्ति जोशीला और क्रोधी होता है। इनमें अभिमान और वैराग्य की भावना रहती है। इनका स्वभाव गंभीर और ईष्यालु होता है। इस राशि में शनि की महादशा जब चलती है तब आर्थिक क्षति और मान-सम्मान की हानि होती है।

धनु राशि :
राशिचक्र में शनि का स्थान नवम है। इस राशि में शनि होने पर यह व्यक्ति को व्यावहारिक और ज्ञानवान बनाता है। व्यक्ति परिश्रमी और नेक विचारों वाला होता है। चतुराई और अक्लमंदी से काम करने वाला एवं दूसरों के उपकार को मानने वाला होता है। इस राशि में जब शनि की महादशा चलती है उस समय व्यक्ति को सुख और उत्तम फल प्राप्त होता है। शिक्षा के क्षेत्र में महादशा के दौरान सफलता मिलती है।

मकर राशि :
राशि चक्र की दसवीं राशि यानी मकर राशि में शनि व्यक्ति को परिश्रमी और ईश्वर के प्रति आस्थावान बनाता है। कारोबार में प्रगति, आर्थिक लाभ, जमीन जायदाद का लाभ यह शनि दिलाता है। शनि इनकी प्रकृति शंकालु बनाता है। लालच और स्वार्थ की भावना भी इनके अंदर रहती है।

कुंभ राशि :
जिनकी कुंडली में शनि एकादश भाव यानी कुंभ राशि में होता है वह व्यक्ति अहंकारी होता है। आर्थिक रूप से सामान्य रहते हैं। कूटनीतिक क्षेत्र में सफल और बुद्धिमान होते हैं। नेत्र रोग से पीडि़त होते हैं। व्यवहार कुशल और भाग्य के धनी होते हैं।

मीन राशि :
मीन राशिचक्र की 12वीं राशि है। मीन राशि में शनि स्थित होने पर यह व्यक्ति को गंभीर बनाता है। व्यक्ति दूसरों से ईर्ष्या रखने वाला व महत्वाकांक्षी होता है। इस राशि में शनि के होने पर व्यक्ति उदार और समाज में प्रतिष्ठित होता है। शनि इनकी आर्थिक स्थिति भी सामान्य बनाए रखता है।

Tuesday, September 11, 2012

श्रेया सरन : हैप्पी बर्थ डे.

श्रेया सरन : हैप्पी बर्थ डे...
शनि देता है श्रेया को सुख
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श्रेया सरन के जन्म के समय जो नक्षत्र चल रहा था, उसने श्रेया को चतुर एवं चंचल बनाया। कुंडली में सूर्य की स्थिति श्रेया को दीर्घ-सूत्री बनाती है, चन्द्र सुन्दर-रूपवान एवं आर्थिक संपन्न बनाता है।

श्रेया के जन्म के समय मंगल कन्या राशि पर विराजमान था, जो श्रेया को अपने कार्य के प्रति कृतज्ञ बनाता है एवं सम्मान दिलाता है। कुंडली में बुध की स्थिति श्रेया को पराक्रमी बनाती है, साथ ही साथ कोमल शरीर वाला बनाता है। जन्म के समय गुरु तुला राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, जिसने श्रेया को आर्थिक सुखी बनाया है।

गुरु की कुंडली में स्थिति के कारण श्रेया बुरे के साथ बुरा एवं अच्छे के साथ अच्छा व्यवहार करती है। शुक्र के प्रभाव के कारण श्रेया को मोहक शरीर प्राप्त हुआ। शुक्र ने जीवन सुखी बनाया। शनि भी श्रेया को सुख देता है, राहु-केतु की स्थिति श्रेया को दुखी कर सकती है, अत: राहु-केतु की शांति करना चाहिए।

श्रेया का जन्म मंगल की महादशा में हुआ है, जिसका भोग्यकाल 4 वर्ष 4 माह रहा। वर्तमान में गुरु की महादशा चल रही है, जोकि 22.01.2005 से प्रारंभ हुई है एवं 22.01.2021 तक चलेगी। गुरु की महादशा में 28.12.2011 से केतु की अन्तर्दशा चल रही है, जो 04.12.2012 तक चलेगी।

उसके बाद शुक्र की अन्तर्दशा रहेगी। गुरु की महादशा में केतु की अन्तर्दशा एवं केतु की अन्तर्दशा में 23.08.2012 से शनि की प्रत्यंतर दशा चल रही है, जो 16.10.2012 तक रहेगी।

श्रेया का अक्टूबर 2012 ठीक रहेगा, नवंबर-दिसंबर मध्यम रहेगा। जनवरी 2013 सफलता वाला रहेगा, फरवरी-मार्च 2013 सामान्य रहेगा। अप्रैल एवं मई माह करियर में नए ऑफर वाले रहेंगे। जून-जुलाई फिर सफलता दिलाएंगे। अगस्त 2013 मिश्रित फल वाला रहेगा।

श्रेया ने लाल रंग को अधिक पहनना चाहिए, शुभ है। श्रेया को गोमेद नग धारण करना चाहिए। इसके साथ ही मंगल की शांति करना चाहिए, जिससे आगे अच्छी सफलता मिलेगी।

Thursday, September 6, 2012

तिलक क्यों लगाना चाहिए ?

तिलक क्यों लगाना चाहिए ?

भारतीय संस्कृति में प्रत्येक मनुष्य अपने धर्म को बड़े विस्वास एवं आस्था के साथ निभाता है! हिन्दू पूजा करते समय या कहीं जाते समय अवस्य तिलक लगता है! महिलाये भी सुहाग के प्रतीक चिन्ह हेतु तिलक लगाती है! महिलाये लाल तिलक ही लगाती है क्योकि पति जाते समय उस तिलक को देखकर जाता है, जो सूर्य की लालिमा का प्रतीक होता है,एवं तिलक को देखकर पति को ये प्रेरणा मिलती है कि आज का दिन सूर्य कि लालिमा जैसा ( सुखमय ) रहें! एवं हर मांगलिक कार्य,शादी-विवाह,धार्मिक आयोजन,सामाजिक आयोजन में व्यक्ति तिलक लगाकर जाता है !
किसी आयोजन में आने वाले व्यक्ति का स्वागत-सत्कार हम तिलक लगाकर ही करते है! विशेषकर शादी-विवाह में बहन-बेटी या सुहागन आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का स्वागत तिलक लगाकर करती है! विशेषकर यह प्रथा मध्यप्रदेश में मालवा एवं निमाड़ में यह प्रथा आज भी है!



तिलक मस्तक पर दोनों भौंहों के बीच नासिका के ऊपर प्रारंभिक स्थल पर लगाए जाते हैं जो हमारे चिंतन-मनन का स्थान है- यह चेतन-अवचेतन अवस्था में भी जागृत एवं सक्रिय रहता है, इसे आज्ञा-चक्र भी कहते हैं।

इसी चक्र के एक ओर दाईं ओर अजिमा नाड़ी होती है तथा दूसरी ओर वर्णा नाड़ी है।

इन दोनों के संगम बिंदु पर स्थित चक्र को निर्मल, विवेकशील, ऊर्जावान, जागृत रखने के साथ ही तनावमुक्त रहने हेतु ही तिलक लगाया जाता है।

इस बिंदु पर यदि सौभाग्यसूचक द्रव्य जैसे चंदन, केशर, कुमकुम आदि का तिलक लगाने से सात्विक एवं तेजपूर्ण होकर आत्मविश्वास में अभूतपूर्ण वृद्धि होती है, मन में निर्मलता, शांति एवं संयम में वृद्धि होती है।

सितंबर 2012 : ज्योतिष की नजर से

सितंबर 2012 : ज्योतिष की नजर से


सितंबर में सूर्य का परिभ्रमण पूर्व के देशों में सुख प्रदान करेगा। दक्षिण एवं पश्चिम के देशों में घटना-दुर्घटनाएं बनी रहेगीं। उत्तर के देशों में युद्ध का भय बना रहेगा।

मंगल के तुला राशि पर परिभ्रमण से सभी धान्य महंगे होंगे एवं उड़द, मूंग, सूत, कपास आदि वस्तु विशेष महंगे होंगे। बुध के परिभ्रमण से धान्यों के भाव में स्थिरता आएगी। शुक्र के परिभ्रमण से धान्यों के सस्ते होने की संभावना हैं।

शनि के कारण देश में राजनीतिक लोगों पर विपत्ति आएगी। 18 सितंबर को सूर्य का राशि परिवर्तन करके कन्या राशि में भ्रमण करने से दक्षिण के देशों में सुख आएगा। पश्चिम एवं उत्तर के देशों में अशांति-पीड़ा रहेगी।

पूर्व के देशों में संकट का वातावरण रहेगा। 15 सितंबर को बुध का सिंह राशि से कन्या राशि में प्रवेश करने से सोने एवं शक्कर के व्यापारियों को लाभ मिलेगा। इनके भाव में तेजी आएगी। शुक्र का राशि बदलकर सिंह राशि में परिभ्रमण करने से स्वर्ण, लाल वस्तुएं, पशु व धान्य के भाव बढ़ेंगे, परंतु वर्षा कम होगी।

इस माह की कुंडली को आकाशीय दृष्टि से देखे तो, सूर्य-बुध के साथ में रहने से कहीं अच्छी कहीं कम वर्षा होगी। शुक्र के कारण खंड एवं कहीं कम वर्षा होगी।

दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उ.प्र., उत्तराखंड, गुजरात, उड़ीसा, कर्नाटक, गोवा, असम, पंजाब, हिमाचल में कहीं अच्छी-कहीं खंड वर्षा होगी।

सितंबर 2012 : 12 राशियों का फलादेश





मेष- मेष राशि वाले जातकों के लिए यह माह स्थान-परिवर्तन वाला हो सकता है। कृषि कार्य में मध्यम लाभ मिलेगा। व्यापार में परेशानी आ सकती है। सहयोग में कमी रहेगी। मेहनत अधिक आय कम रहेगी। यात्रा में परेशानी आ सकती है। अत: जरूरी कार्य आने पर ही यात्रा करें। मित्र से सहयोग मिलेगा।
दि. 2,16 शुभ है, 5,13 अशुभ है। श्री कृष्ण-आराधना लाभप्रद है

वृषभ- वृषभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह कानूनी (न्यायलय संबंधी) लाभ वाला रहेगा। पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य संबंधी परेशानी आ सकती है। कृषि लाभप्रद रहेगी। व्यापार मध्यम रहेगा। नौकरी में अधिकारी खुश रहेंगे। किसी अनजान से दोस्ती न करें।
दि. 6.12 शुभ है, 23 अशुभ है। श्री गणेश आराधना लाभप्रद है।

मिथुन- मिथुन राशि वाले जातकों के लिए यह माह मिश्रित फल वाला रहेगा। नौकरी में उन्नति होगी। व्यापार सामान्य रहेगा। कृषि सामान्य लाभ देगी। विद्यार्थी वर्ग को तकलीफ का सामना करना पड़ेगा। व्यर्थ कार्यों पर धन व्यय होगा। अचानक हानि के योग है। पुराने मित्र से अनबन के योग है, ध्यान रखें।
दि. 6, 25 शुभ है, 17 अशुभ है। गुरु आराधना लाभप्रद है।

कर्क- कर्क राशि वाले जातकों के लिए यह माह मांगलिक कार्य वाला रहेगा। विद्यार्थी के लिए कष्टप्रद रहेगा। माता को कष्ट रहेगा। भूमि संबंधित हानि होगी। आय कम खर्च अधिक रहेगा। अचानक सामजिक यात्रा के योग बनेंगे। इस माह किसी अनजान से दोस्ती के योग है। अत: सोच-समझ कर दोस्त‍ी करें, उससे हानि हो सकती है।
दि. 7,15 शुभ है, 4 अशुभ है। श्री शिव जी की आराधना लाभप्रद रहेगी।
सिंह- सिंह राशि वाले जातकों के लिए यह माह व्यापार वृद्धि वाला रहेगा। विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। कृषि में उन्नति रहेगी। भाई से सहयोग मिलेगा। नौकरी में अधिकारी खुश रहेंगे। स्त्री को कष्ट हो सकता है। ससुराल से परेशानी हो सकती है।
दि.11, 22 शुभ है, 17 अशुभ है। गणेश जी की आराधना लाभप्रद है

कन्या- कन्या राशि वाले जातकों के लिए यह माह यात्रा में लाभ वाला रहेगा। स्थान-परिवर्तन के योग है। इससे लाभ मिलेगा। संतान की उन्नति होगी। स्वयं पर खर्च अधिक होगा। कृषि लाभप्रद रहेगी। नौकरी में अड़चन रहेगी। मित्र द्वारा खुशी प्राप्त होगी। राजनैतिक कार्य में लाभ होगा।
दि.18, 27 शुभ है, 24 अशुभ है। गणेश, गौरी की आराधना करें

तुला- तुला राशि वाले जातकों के लिए यह माह आर्थिक उन्नति वाला रहेगा। व्यापार में वृद्धि होगी। कृषि अच्छा लाभ देगी। नौकरी में अधिकारी नाराज हो सकते है। ध्यान रखें। पुराने मित्र से मनमुटाव के योग है। कानूनी उलझन से बचें। माता-पिता को कष्ट रहेगा।
दि. 3, 12 लाभप्रद है 7 अशुभ है। राधा-कृष्ण आराधना लाभप्रद है

वृश्चिक- वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए यह माह व्यापार से लाभ वाला रहेगा। कृषि मध्यम रहेगी। नौकरी में उन्नति होगी। संतान की चिंता रहेगी। मानसिक परेशानी रहेगी। स्त्री द्वारा सहयोग प्राप्त होगा। पारिवारिक क्लेश रहेगा। मित्र से सहयोग प्राप्त होगा। धार्मिक यात्रा के योग है।
दि. 1, 25 शुभ है, 8 अशुभ है। श्री कृष्ण आराधना लाभप्रद है।


धनु- धनु राशि वाले जातकों के लिए यह माह व्यापार वृद्धि वाला रहेगा। कृषि मध्यम रहेगी। नौकरी में उन्नति होगी। स्त्री को कष्ट रहेगा। माता-पिता को कष्ट रहेगा। विद्यार्थी को सफलता में तकलीफ आएगी, मित्र से सहयोग प्राप्त होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे।
दि. 9, 18 शुभ है, 3 अशुभ है। श्री-राम स्तुति लाभप्रद है।

मकर- मकर राशि वाले जातकों के लिए यह माह लाभ वाला रहेगा। भूमि संबंधी विवाद हल होगा। व्यापार अच्छा रहेगा। कृषि लाभ देगी। नौकरी में उन्नति होगी। संतान से चिंता रहेगी। भाई से सहयोग प्राप्त होगा। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। मित्र सहयोग मिलेगा।
दि. 3, 15 शुभ है,19 अशुभ है। शिव आराधना लाभप्रद है।

कुंभ- कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह धार्मिक वाला रहेगा। कृषि लाभप्रद रहेगी, नौकरी में तकलीफ आएगी। माता-पिता से विरोध के योग है। परन्तु अचानक लाभ के योग है। बेरोजगार को नौकरी मिलगी। संतान से खुशी प्राप्त होगी।
दि. 6,18 शुभ है। गणेश आराधना लाभप्रद है

मीन- मीन राशि वाले जातकों के लिए जातकों के लिए यह माह सामान्य रहेगा। व्यापार ठीक रहेगा। कृषि सामान्य लाभ देगी। नौकरी में अधिकारी खुश रहेंगे। प्रवास में पीड़ा रहेगी। स्वास्थ्य खराब रहेगा। शत्रु भय बना रहेगा। बहन को कष्ट के योग है। पत्नी से सहयोग प्राप्त होगा।
दि.14, 26 शुभ है, 13 अशुभ है। श्री राधा-कृष्ण की आराधना लाभप्रद है।