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Thursday, December 22, 2011

meen--ka--svbhav

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          राशी के प्रथम चरण में मेष एवं अंतिम चरण में मीन आता है! पूर्वाभाद्रपद के अंतिम चरण से रेवती नक्षत्र
के अंतिम चरण तक मीन राशी बिधमान रहती है! इस राशी का स्वामी गुरु है!
          इस लग्न में जन्म वाला जातक लग्न का स्वामी शुभ होने पर  सुंदर, रूपवान,धनी, ईमानदार अपने कार्य में
निष्ठां रखने वाला एवं कार्य क्षेत्र में माननीय पद पर पहुँचने वाला एवं सीधे स्वभाव वाला जरूरत मंद व्यक्ति की मदद
करने वाला होता है, एवं लेखक या कवि बनाने के योग बनते है! परन्तु लग्न में क्रूर ग्रह स्थित हो, या उसकी द्रष्टि
पड़ रही हो,तो जातक मादक द्रव्य लेने बाला या व्यभिचारी शराबी हो सकता है, अथवा होने के प्रबल योग रहते है!
लेखक, दुसरो की हमेशा सहायता करने वाला, गुप्त बिधा का ज्ञाता, देश भक्ति रखने वाला  व्यक्ति इसी लग्न में
पैदा होता है! इस लग्न के जातक समाज सेवी, राजनीती, तथा स्वास्थ्य सेवा में नर्स की नॉकरी करना ज्यादा पसंद
करते है!
          लग्नेश गुरु  तीसरे भाव में हो, तो भैयो की संख्या ज्यादा एवं बारहवे भाव में हो, तो पिता से सहयोग की सम्भावना बड़ती है!
        मीन लग्न में  उत्पन्न जातक की कुंडली में सातवे भाव में शनी या शुक्र की द्रष्टि पड़ जाये, तो तो पत्नी से तलाक होने संभावना बड़ जाती है!
        मीन लग्न में यदि शुक्र उच्च का हो तो व्यक्ति संगीत में रूचि रखने वाला, कलाकार बनाता है!
         मीन लग्न की कुंडली में मंगल बारहवे भाव में होने पर या उसकी दशा महादशा आने पर  किसी भी विभाग या
   देश का शासक बनाता है! परन्तु यदि शनी की द्रष्टि पड़ रही हो, तो जेल भिजवा सकता है!
         लग्नाधिपति गुरु यदि पंचम भाव में विराजमान हो, तो अनेक प्रकार की यात्रा करवाता है, एवं गुरु महादशा में उच्च पद पर पहुँचाता है!
         इस लग्न में बुध अच्छा नही होता है, इसकी (बुध) की महादशा में स्थान परिवर्तन कराता है! यदि बुध व्यय भाव में बैठा है, तो ग्रहस्थी में स्वास्थ्य खराब, मित्र, परिवार से झगडा करा सकता है!
      मीन लग्न वालो ने पुखराज धारण करना चाहिए!

      इति शुभम  

Tuesday, December 6, 2011

दिसंबर २०११ और आपकी राशी





मेष : मेष राशि वाले जातकों के लिए यह माह सामान्य रहेगा। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के योग बनते हैं। नौकरों एवं कर्मचारियों से लाभ ‍मिलेगा। कृषि कार्य लाभ देगा। नौकरी में अधिकारी नाराज हो सकते हैं। अग्नि से भय है। हानि की संभावना बनती है। ध्यान दें। दिनांक - 3, 18 शुभ, 11 अशुभ है। विष्णु आराधना लाभप्रद है।

वृषभ : वृषभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह राज्य पक्ष से लाभवाला रहेगा। पत्नी से विशेष लाभ मिलेगा। विद्यार्थी वर्ग को विद्या के क्षेत्र में लाभ की प्राप्ति होगी। व्यापार में उन्नति होगी। नौकरी में पदोन्नति के चांस मिलेंगे। पुराने मित्र से व्यवहार ठीक रखें। कृषि सामान्य रहेगी। दिनांक 5, 25 शुभ है, 10,18 अशुभ। श्रीकृष्ण की स्तुति शुभ रहेगी।

मिथुन : मिथुन राशि वाले जातकों के लिए दिसंबर का महीना लाभ देने वाला रहेगा। व्यापार से विशेष लाभ मिलेगा। भूमि क्रय के योग बनते है। शिक्षा ठीक रहेगी। कृषि एवं वाहन से अच्छा लाभ रहेगा। राज्य पक्ष से हानि के योग बन‍ते है। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पत्नी का सहयोग प्राप्त होगा। दिनांक 4, 12 शुभ, 15 अशुभ है। शिव आराधना लाभ देगी।

कर्क : कर्क राशि वाले जातकों के लिए यह माह पारिवारिक सुख-समृद्धि वाला रहेगा। राज्य कार्य करने पर अच्छा लाभ मिलेगा। परिवार से पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होगा। मित्रों से व्यवहार में कटुता आ सकती है। कृषि सामान्य रहेगी। दिनांक 6, 15 शुभ, 11 अशुभ है। कृष्ण भक्ति लाभप्रद रहेगी।

सिंह : सिंह राशि वाले जातकों के लिए यह माह संतान प्राप्ति वाला रहेगा। शत्रु पक्ष से लाभ प्राप्त होगा। मकान संबंधी समस्या रहेगी। नजदीकी संबंधों में दरार के योग बनते हैं। लंबी यात्रा न करें, हानि के योग बनते हैं। व्यापार सामान्य रहेगा। कृषि लाभप्रद है। नौकरी में उन्नति होगी। दिनांक 1, 10 शुभ है, 6 अशुभ। देवी भक्ति करें।

कन्या : कन्या राशि वाले जातकों के लिए यह माह मांगलिक कार्य वाला रहेगा। यात्रा से सुख प्राप्त‍ होगा। बहन के पक्ष से विवाद के योग बनते हैं। पत्नी को कष्‍ट के योग है। दोस्तों से व्यवहार बनाकर रखें। व्यापार ठीक रहेगा। कृषि सामान्य लाभ देगी। दिनांक 11, 28 शुभ है, 17 अशुभ। शिव शक्ति की आराधना करें।

तुला : तुला राशि वाले जातकों के लिए यह माह पदोन्नति वाला रहेगा। सरकारी काम से लाभ मिलेगा। सरकारी ठेकेदारों को विशेष लाभ। बाहरी यात्रा से लाभ की प्राप्ति होगी। व्यापार अच्छा रहेगा। कृषि सामान्य रहेगी। पुराने मित्र से मिलन के योग बनेंगे। दिनांक 10, 18 शुभ एवं 6 अशुभ है। विष्णु आराधना करें।

वृश्चिक : वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए यह माह पारिवारिक सदस्यों से लाभ वाला रहेगा। विद्या के क्षेत्र में लाभ मिलेगा। व्यापार मध्यम रहेगा। कृषि कार्य में लाभ मिलेगा। स्वास्थ्य सुधार होगा। राज्य पक्ष से हानि के योग। भाई को कष्ट के योग। नौकरी में अधिकारी नाराज हो सकते हैं। दिनांक 4, 16 शुभ, 7, 18 अशुभ। कृष्ण आराधना लाभप्रद है।

धनु : धनु राशि वाले जातकों के लिए यह माह कोई मांगलिक कार्य वाला रहेगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा। लंबी यात्रा न करें, बाधा उत्पन्न होगी। स्त्री के पक्ष से हानि की संभावना है। पारिवारिक विरोध का सामना करना पड़ेगा। कृषि लाभ देगी। व्यापार ठीक रहेगा। किसी पुराने मित्र (स्त्री) से धोखा हो सकता है। दिनांक 15, 29 शुभ है। 2 अशुभ है। हनुमानजी की सेवा फलदायी रहेगी। चोला चढ़ा दें।

मकर : मकर राशि वाले जातकों के लिए यह माह पत्नी से लाभ वाला रहेगा। जमीन-जायदाद संबंधी विवाद हो सकते हैं। वाहन संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। यह परिवार से वैमनस्य करा सकता है। धार्मिक यात्रा से सुख प्राप्त होगा। भाई से सहयोग की अपेक्षा, कृषि कार्य से पिता को कष्ट की संभावना है। दिनांक 3, 12 शुभ है, 8 अशुभ। राधाकृष्‍ण की भक्ति लाभप्रद है।

कुंभ : कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह विपक्ष से लाभ वाला रहेगा। व्यापार सामान्य रहेगा। कृषि से लाभ। परंतु माह खर्चीला रहेगा। स्वास्थ्य नरम-गरम रहेगा। आंख एवं हाथ संबंधी समस्या रहेगी। नौकरी में नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। मित्र से सहयोग मिलेगा। बहन के पक्ष से तकलीफ के योग बनते हैं। ससुराल पक्ष से सहयोग मिलेगा। दिनांक 6, 18 शुभ, 10 अशुभ। रामरक्षा स्त्रोत का पाठ लाभदायक रहेगा।

मीन : मीन राशि वाले जातकों के लिए यह माह भाग्योदय वाला रहेगा। जोखिम भरे कार्य न करें। स्त्री का स्वास्थ्य नरम-गरम रहेगा। व्यापार लाभ देगा। नौकरी में उन्नति होगी। कृषि उत्तम रहेगी। नौकर संबंध‍ी कष्ट हो सकता है। मित्र से पूर्ण सहयोग मिलेगा। दिनांक 1, 4 शुभ 16 अशुभ है। शिवशक्ति की आराधना शुभ है। 

Sunday, December 4, 2011

दिसंबर 2011 : ज्योतिष की नजर से..


ग्रहों का राशियों एवं नक्षत्रों पर परिभ्रमण करना और उनके इस परिभ्रमण से प्रकृति को प्रभावित करना। जीवधारियों पर प्रभाव होना, यह एक शाश्वत सत्य है। इस प्रभाव का असर दिसंबर 2011 में कैसा रहेगा जानिए :-

इस माह मंगल का परिभ्रमण स्वर्ण एवं अन्य धातुओं को महंगा बनाए रखेगा। सूर्य का वृश्चिक राशि में भ्रमण करने से पश्चिम के देशों में सुर्भिक्ष आदि का सुख रहेगा। पूर्व तथा उत्तर के देशों में कष्‍ट के योग बनते हैं। बच्चों के लिए भी कष्ट रहेगा। इसी के साथ दक्षिण के देशों में युद्ध का भय बना रहेगा।

इस माह बुध का वृश्चिक राशि में परिभ्रमण करना सभी अनाजों के भाव को बढ़ाएगा। कृषक के साथ-साथ सभी प्रजा को सुख का अनुभव होगा, क्योंकि फसल भरपूर होगी।
शुक्र भी कृषि पर असर डालेगा एवं अनाजों के भावों में भी तेजी दे सकता है। शनि का भ्रमण इस माह में अनाज के उत्पादन में बढ़ोतरी करेगा। प्रजा सुखी होगी।

ग्रहों की स्थिति एवं माह की ज्योतिष दृष्टि से मीठे पदार्थों के भाव तेज होंगे। भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि अच्छी होगी। भारतीय लोगों का दूसरे देशों में अच्छा प्रभाव होगा। स्वर्ण एवं अन्य धातुओं के भाव मंगल की परिभ्रमण की स्थिति से बढ़ेंगे एवं उतार-चढ़ाव का माह अंत में प्रभाव दिखाई देगा।

बुध का राशि परिभ्रमण का परिवर्तन हाथियों के लिए कष्ट वाला रहेगा। सरकार एवं प्रजा के मतभेद को आमने-सामने खड़ा कर सकता है। अर्थात् प्रजा शासक के विरोध में खड़ी होगी। माह मध्य में शुक्र का राशि परिवर्तन कृषि को हानि पहुंचा सकता है। यह भी अनाज के भाव को तेज करेगा।

इस माह की कुंडली मौसम की दृष्टि से देखे तो, सूर्य के साथ बुध के स्थिर होने एवं सूर्य के आगे शुक्र के होने से कुछ भागों में हल्की बूंदाबांदी के साथ शीत में वृद्धि होगी एवं कुछ भागों में तेज वायु के साथ शीत में वृद्धि होगी। पर्वतीय क्षेत्रों में बूंदाबांदी के साथ हिमपात होने की संभावना है।

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, राजस्थान, बिहार, झारखंड में हल्की बूंदाबांदी के साथ शीतलहर का प्रकोप बढ़ेगा।

Saturday, November 19, 2011

कुम्भ लग्न

kumbh lgan ka vivran

धनिष्ट नक्षत्र के अंतिम दो चरणों ,शतभिषा के पूर्ण चरण  के साथ पूर्ण भद्र पद के तीन चरणों के मध्य कुम्भं राशी बनती है !कुम्भ राशी अपने अप मई एक बलिष्ट राशी है!इस राशी का स्वामी शनि देव है !मकर एवं मीन के मध्य विराजमान है!एवं लगन के बारे मई विस्तृत से जानिए !कुम्भ लग्न मई जन्म लेने वाले के लक्ष्ण निचे दर्शाए है !कुम्भ लग्न हो तो माता का शिर पश्चिम को जीर्ण वस्त्र कुछ काल कम्बल ओदा हो साधारण शित क्रू भोजन किया हो ,पिता घर पर न हो !स्त्रीया ४ ,२ एवं १ स्त्री बाद मे आइ  !   स्त्रियों मे एक गर्भिणी हो !बालक थोडा राये ,बालक के होठ  मोटे ,मस्तक लम्बा प्रकृति गर्म ये सारे लक्ष्ण कुम्भ राशी वाले के होते है !
            इस लग्न वाले के लिए बुध तथा गृह शुभ फलदायक इसके विपरीत चन्द्रमा ,सूर्य ,मंगल तथा गुरु दुःख दायक गृह होते है !इस लग्न मे जन्म  लेने वाले जातक की वृष मिथुन , तुला ,व  मकर राशी वालो से मित्रता  रहती है !परन्तु मेष ,कर्क ,सिह व वृषभ राशी वाले वालो से विरोध रहता है !इस लग्न मे जन्म लेने वाले जातक को कभी कभी पूर्वाभाश हो जाता है !कुम्भ लग्न वाले जातक की कुंडली मे सूर्य,बुध ,तथा गुरु तृतीय भाव मे हो तो सूर्य की महादशा पूर्ण सुख सम्पति देती है !
            कुम्भ लग्न मे शुभ ग्रह होने पर जातक के यजस्वी होने का योग बनता है !एवं नये कार्य व अविष्कार मे सफलता दिलाता है!
            कुम्भ लग्न मे लग्नधिपति शनि तथा धनेश गुरु का परस्पर यदि स्थान परिवर्तन हो तो बृहस्पति की महादशा मे जातक को मिश्रित फल मिलता है!कुम्भ लग्न छठा चंद्रमा हो तो जातक कमजोर होता है !एवं शक्त व नेदा रोगी हो सकता है !एवं दुर्घटना होने का भी रहता है!

Monday, November 14, 2011

जूही चावला

जूही चावला : हैप्पी बर्थ डे...  
मां दुर्गा को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं
Juhi Chawla


जूही चावला का जन्म 13 नवंबर 1967 को लुधियाना में हुआ। जूही का जन्म जिस समय हुआ तब उत्तराभाद्रपद नक्षत्र चल रहा था। जिसके परिणामस्वरूप ही जूही सुंदर एवं सुखी है। आपके जन्म के समय चंद्र जिस राशि पर विराजमान था उसने भी भाग्यवान और संपन्न बनाया।

चंद्र ने ही जूही को फिल्मी कलाकार बनाया। चंद्र की कुंडली में जो स्थिति है, उसके कारण ही बड़े से बड़ा विरोधी परास्त हो जाता है एवं सफलता आपके कदम चूमती है। कुंडली में बैठा सूर्य आपको आगे की योजना को सुव्यवस्थित करने की प्रेरणा प्रदान करता है। मंगल गुरु की राशि पर विराजमान रहने से आपको प्रसिद्धि दिलाता है। मंगल भी आपको ऐश्वर्यवान बनाता है। साथ ही स्वयं की मेहनत पर भाग्योदय एवं उन्नति होती है, ऐसा प्रभाव छोड़ता है।

कुंडली में बुध जिस भाव में बैठा है वह भाग्योदय तो करता ही है, साथ ही दूसरे ग्रहों के अनिष्ठ प्रभाव को भी खत्म करता है। जूही के जन्म के समय गुरु सिंह राशि पर परिभ्रमण कर रहा था जो उच्च स्थान प्रदान करता है। कुंडली में गुरु की स्थिति वंश का नाम उज्ज्वल करने का भाग्य देती है एवं परोपकारी भी बनाती है। हंसमुख स्वभाव प्रदान करती है। शुक्र मिश्रित फल प्रदान करता है।

जन्मपत्रिका में जन्म के समय शनि जिस राशि पर विराजमान था वह भी सर्वसुख प्रदान करता है एवं‍ विरोधी पक्ष को परास्त करने के गुण प्रदान करता है। राहु स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ दे सकता है। केतु भी स्वास्थ्य की दृष्टि से कष्‍ट दे सकता है। अत: ध्यान देना चाहिए। आपका जन्म शनि की महादशा में हुआ है, जिसका भोग्यकाल 7 वर्ष 3 माह 25 दिन रहा। आपको नौ ग्रहों की शांति करवाना ‍चाहिए त‍था मां दुर्गा को पूर्ण श्रृंगार सामग्री चढ़ाना लाभदायी रहेगा।

आगामी दिसंबर माह आपके लिए ठीक रहेगा। जनवरी 2012 अच्छा रहेगा। फरवरी, मार्च संघर्ष वाला रहेगा। मई के अंतिम सप्ताह में हल्की चोट या दुर्घटना के योग बनते है, ध्यान दें। जून व जुलाई अच्छा रहेगा एवं 2012 में बड़े ऑफर मिलते रहेंगे। अगस्त-सितंबर सामान्य रहेगा। अक्टूबर सामान्य, लेकिन अंतिम सप्ताह अच्छा रहेगा।

आपको किसी की माह की 5 तारीख को बड़े अधिकारियों से नहीं मिलना चाहिए। शुक्रवार को लंबी यात्रा नहीं करनी चाहिए। आश्लेषा नक्ष‍त्र में किसी बड़े ऑफर पर साइन न करें। चतुर्थ प्रहर में अपने अच्छे कार्य के लिए कम निकलें। पन्ना एवं नीलम का संयुक्त लॉकेट धारण करना फलदाई रहेगा।

इति शुभम्।।

Wednesday, November 9, 2011

लालकृष्ण आडवाणी

लालकृष्ण आडवाणी : वाणी पर रखें नियंत्रण  
लालकृष्ण आडवाणी : हैप्पी बर्थ डे
LK Advani

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 में पाकिस्तान में हुआ। उनके जन्म के समय आश्विनी नक्षत्र चल रहा था। इस प्रभाव से आडवाणी भाग्यशाली, कुशल, सफल एवं आर्थिक संपन्न है। भारी शरीर भी नक्षत्र का ही असर है।

आडवाणी की पत्रिका के अनुसार जन्म के समय चंद्र की स्थिति भागदौड़ कर लाभ कमाने वाला बनाती है। साथ ही लोभी स्वभाव का भी बनाती है। मंगल की स्थिति के कारण ही लालकृष्ण प्रबल पराक्रमी होते हुए भी कार्यों की विफलता के कारण दुखी एवं चिंतित रहते हैं।

जन्म के समय में गुरु मीन राशि पर परिभ्रमण कर रहा था। गुरु के कारण आडवाणी आज पार्टी के विशेष पद पर विराजमान है।

कुंडली में बैठे शुक्र क‍ी स्थिति हर सुख प्रदान करती है। यही स्थिति क्रीड़ा कौतुक पसंद करने वाला भी बनाती है। शुक्र के कारण ही कई बार आडवाणी अपने बयानों के कारण विवादों में आ जाते हैं। अपने गुण व कीर्ति का ह्रास करते है, पार्टी के खास और नज‍दीकी लोगों को अपना बैरी बना लेते हैं। अत: आडवाणी को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए।

कुंडली में शनि की स्थिति आडवाणी को कटुभाषी बनाती है। राहु का प्रभाव आपको वायु एवं रक्त संबंधी तकलीफ दे सकता है।

लालकृष्ण आडवाणी को वर्तमान में शनि की महादशा चल रही है। इसकी अवधि 19 वर्ष है। यह 20-10-2009 से आरंभ हुई है और 20-10-2028 तक रहेगी। शनि की महादशा में वर्तमान बुध की अंतर्दशा 19-9-2011 से 20-5-2014 तक रहेगी। इसके बाद केतु की अंतर्दशा भी 20-5-2014 से 6-6-2015 तक रहेगी।

लालकृष्ण आडवाणी के लिए शनिवार का दिन विशेष शुभ है। शनिवार को लालकृष्ण आडवाणी सर्वोच्च कार्य करें तो सफलता दिलाएगा। नवंबर-दिसंबर का माह ठीक रहेगा। जनवरी 2012 से मार्च तक आपत्तिवाला समय रहेगा। विपक्षी दल एवं स्वयं की पार्टी का विरोध हो सकता है। अप्रैल 2012 में स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। मई-जून ठीक रहेगा। जुलाई, अगस्त, सितंबर अच्छा रहेगा।

Monday, November 7, 2011

मलाइका अरोरा खान :

मलाइका अरोरा खान : हैप्पी बर्थ डे  
लाभदायी रहेगा माणिक धारण करना
Malaika


मलाइका अरोरा का जन्म 23 अक्टूबर 1973 में मुंबई में हुआ। मलाइका के जन्म के समय उत्तराफाल्गुनी नक्ष‍त्र चल रहा था जो कि आपको आर्थिक संपन्न कराता है। साथ ही आपका जो स्वभाव है वो भी इस नक्षत्र का ही असर है। जन्म के समय सूर्य की राशि मलाइका को घमंडी स्वभाव का बनाती है, अत: ध्यान देना चाहिए।

कुंडली में सूर्य की स्थिति भाग्य में वृद्धि करत‍ी है। आपके जन्म के समय चंद्र सिंह राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, जो कि सूर्य की राशि है। वह आपको मानी, सुखी एवं अपने विवेक से निर्णय वाला बनाता है। परंतु कुंडली में चंद्र की स्थिति नीरस एवं शुष्क बना सकती है।

आपकी पत्रिका में मंगल स्वराशि पर विराजमान होने से भ्रमणशील स्वभाव प्रदान करता है। कुंडली में बैठा बुध पराक्रमी एवं सर्वसुख प्रदान करता है। कुंडली में गुरु जिस भाव में बैठा है वह भी भाग्यशाली बनाता है। ऐसे व्यक्ति को उन्नति में अड़चने तो आती है, परंतु गुरु के प्रभाव से मार्ग खुलता चला जाता है।

शुक्र आपके जन्म के समय मंगल की राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, जो कि अपने वालों से विरोध करा सकता है।

पत्रिका में शनि जिस राशि पर विराजमान है, वह शनै: शनै अच्छी स्थिति पर पहुंचाएगा एवं अपने क्षेत्र में उच्च स्थान दिलाएगा। राहु एवं केतु मिश्रित फल प्रदान करते है। पारिवारिक कष्ट भी दे सकते है।

आपका जन्म सूर्य की महादशा में हुआ है जिसका भोग्यकाल 5 वर्ष 4 माह 5 दिन रहा। वर्तमान में राहु की महादशा चल रही है जो कि 2014 तक रहेगी। राहु क‍ी महादशा में चंद्र की अंतर्दशा 10-8-2011 से 10-2-2013 तक रहेगी। उसके बाद मंगल की अंतर्दशा 28-2-2014 तक रहेगी। सूर्य की महादशा के बाद गुरु की महादशा प्रारंभ हो जाएगी, जो 28-2-2014 से 28-2-2030 तक रहेगी।

आपके लिए नवंबर माह मध्यम रहेगा। दिसंबर का समय श्रेष्ठ रहेगा। आगामी 3 माह नए कार्य व उन्नति के रहेंगे। अप्रैल सामान्य रहेगा। मई में कुछ तकलीफ आ सकती है। जून-जुलाई श्रे‍ष्ठ रहेगा। अगस्त सितंबर मध्यम रहेगा।

आपको माणिक धारण करना लाभदायक रहेगा तथा गुरुवार को अधिक से अधिक महत्व देना चाहिए। इस दिन सारे काम सफल होंगे। सफेद व हरे वस्त्र धारण करना आपके लिए शुभ रहेगा।

Friday, November 4, 2011

नवम्बर २०११ क्या कहती है आपकी राशी

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- पं. सुरेंद्र बिल्लौरे
November 2011, Rashifal

मेष : मेष राशि वाले जातकों के लिए यह माह विदेश यात्रा वाला रहेगा। कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी। पत्नी से पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। संतान की प्राप्ति एवं संतान संबंधी चिंता रहेगी। पुराने मित्र से मिलन होगा। कृषि सामान्य रहेगी। व्यापारी प्रसन्न रहेंगे। नौकरी वालों की उन्नति होगी। दिनांक 5, 15 शुभ है। 8 अशुभ। दुर्गा स्तुति शुभ है।

वृषभ : वृषभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह भूमि से लाभ वाला रहेगा। वाहन से भी लाभ मिलने के योग बनते हैं। पत्नी से आर्थिक लाभ मिलेगा। ‍किसी भी प्रकार के हानि वाले कार्य न करें। जुआ, सट्‍टा, लॉटरी आदि कामों से दूर रहे। पुत्र से प्रसन्न होंगे। रिश्तेदारों से मिलनसार व्यवहार रखें। दिनांक 9, 23 शुभ है। 8 अशुभ। श्रीराम स्तुति लाभप्रद है।

मिथुन : मिथुन राशि वाले जातकों के लिए नवंबर का माह शासकीय कार्यों में सफलता वाला रहेगा। आय में कमी के योग है। शत्रु पक्ष पराजित होगा। नौकरी वालों की पदोन्नति होगी। परिवार में मांगलिक कार्य होगा। पास-पड़ोसी से मनमुटाव के योग बनते हैं। किसी व्यक्ति से धोखा मिल सकता है। कृषि कार्य लाभप्रद रहेगा। व्यापार ठीक है। दिनांक 4 शुभ। 3,14 अशुभ है। श्रीकृष्ण भक्ति लाभप्रद है।

कर्क : कर्क राशि वाले जातकों के लिए यह माह पदो‍न्नति वाला वाला रहेगा। भूमि की प्राप्ति होगी। साथ ही वाहन के योग है। राजनैतिक सम्मान मिलेगा, परंतु क्रोध पर नियंत्रण करें, हानि हो सकती है। मानसिक बैचेनी रहेगी। दिनांक 8, 16 शुभ है। 10 अशुभ। राम-सीता की भक्ति करें।

सिंह : सिंह राशि वाले जातकों के लिए यह माह शत्रु पर विजय प्राप्ति वाला रहेगा। नौकरी वालों की पदो‍न्नति होगी। पत्नी से, ससुराल से धन लाभ मिलेगा। माता के स्वास्थ्य की चिंता रहेगी। मित्र से सहयोग प्राप्त होगा। व्यापार भी सामान्य रहेगा। कृषि से लाभांश होगा। लंबी यात्रा न करें। पुत्र से परेशानी आ सक‍ती है। दिनांक 4, 12 शुभ है। 6 अशुभ। शिवशक्ति की आराधना करें, लाभप्रद है।

November 2011, Rashifal
कन्या : कन्या राशि वाले जातकों के लिए इस माह धर्म-कर्म से लाभ मिलेगा। व्यापार में अच्छा फायदा होगा। राज्य से सम्मान एवं लाभ मिलेगा। घर में उत्साह का माहौल रहेगा। परंतु पत्नी को कष्ट के योग है, ध्यान दें। भाई से अच्छा सहयोग मिलेगा। पुराने मित्र से मिलने के योग है। कृषि से लाभ मिलेगा। नौकरी में अधिकारी से थोड़ी झड़प हो सक‍ती है। दिनांक 15, 28 शुभ है। 9 अशुभ है। रामभक्ति लाभप्रद है।

तुला : तुला राशि वाले जातकों के लिए यह माह नए वाहन क्रय वाला रहेगा। भूमि की खरीदी के योग है। घर में धार्मिक आयोजन के योग है। स्वास्थ्य में सुधार होगा। मानसिक प्रसन्नता रहेगी। श‍त्रु पक्ष घबराएगा। पड़ोसी से मानसिक तनाव हो सकता है। नौकरी वालों की उन्नति होगी। कृषि लाभ मिलेगा। व्यापार अच्छा रहेगा। दिनांक 16, 21 शुभ 3 अशुभ है। कृष्ण भक्ति करें।

वृश्चिक : वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए यह माह पारिवारिक खुशी वाला रहेगा। प‍त्नी पक्ष से सुख मिलेगा। जमीन से लाभ मिलेगा। लंबी यात्रा न करें। हानि के योग बनते है। स्वास्थ्य को लेकर चिंता रहेगी। आर्थिक व्यय ज्यादा होगा। बहन को कष्ट के योग बनते है। माता-पिता की चिंता रहेगी। दिनांक 5, 17 शुभ। 11, 24 अशुभ है। गायत्री मंत्र लाभप्रद रहेगा।

धनु : धनु राशि वालों के लिए नवंबर माह पत्नी से लाभ वाला रहेगा। नौकरी में अधिकारी खुश रहेंगे। व्यापार ठीक रहेगा। परिवार में धन को लेकर विवाद हो सकत‍ा है। दुर्घटना का भय है, पैर संबंधित चोट हो सकत‍ी है, ध्यान दें। मित्र से सहयोग मिलेगा। शत्रु पराजित होंगे। दिनांक 6, 19 शुभ। 25 अशुभ है। शिवशक्ति की आराधना करें।

मकर : मकर राशि वालों के लिए यह माह शासकीय कार्य से धन लाभ होगा। यात्रा सावधानी से करें, कष्ट के योग है। परिवार में विवाद की स्थिति रहेगी। पत्नी को कष्ट हो सकता है। शत्रु पक्ष से सावधान रहें। हानि पहुंचा सकता है। किसी नारी से सहयोग मिलेगा। व्यापार में वृद्धि के योग है। क‍ृषि लाभांश होगा। दिनांक 1, 24 शुभ है। 5 अशुभ है। कृष्‍ण भक्ति लाभप्रद है।

कुंभ : कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह नौकरी में पदोन्नति वाला रहेगा। पारिवारिक कार्यों में धन खर्च होगा। स्वयं का स्वास्थ्य कमजोर रहेगा। परिवार में विरोध का सामना करना पड़ सकता है। शत्रु पराजित होंगे। मित्र से सहयोग मिलेगा। व्यापार सामान्य रहेगा। कृषि लाभ व हानि बराबर रहेगी। दिनांक 3, 10 शुभ है। 9 अशुभ। राम आराधना करें।
मीन : मीन राशि वाले जातकों को नवंबर माह मिश्रित फल वाला रहेगा। कृषि सामान्य रहेगी। व्यापारी परेशान रहेंगे। अनिष्टकारक स्थिति रहेगी। बुद्धिनाश के योग। शत्रु प्रबल हो सकते है, ध्यान दें। सावधानी भी रखें। परिवार में धन को लेकर विवाद रहेगा। परिवार से भय रहेगा। पुराने मित्र से सहयोग मिलेगा। ससुराल पक्ष से सहयोग मिलेगा। स्त्री कष्‍ट होगा। दिनांक 3, 18, 25 शुभ है। 2, 11 अशुभ। गणेश व गायत्री मंत्र का जप लाभप्रद है। 

नवम्बर २०११ ज्योतिष की नजर से

प्रकृति, मनुष्य जीवन पर एवं अन्य जीवधारियों पर नौ ग्रहों के राशि परिवर्तन अथवा नक्षत्र परिवर्तन से प्रभाव पड़ता है। देखें नवंबर माह में ग्रहों के देश और समाज पर प्रभाव!

सूर्य का तुला राशि में परिभ्रमण करने से पूर्व के देशों में सुख, दक्षिण एवं पश्चिम के देशों में दुर्भिक्ष का भय, उत्तर के देशों में युद्ध का भय रहेगा। इस माह मंगल का सिंह राशि में परिभ्रमण करने से स्वर्ण, चांदी, तांबा, लाल रंग की वस्तुएं महंगी हो सकती है।

नवंबर माह में बुध का वृश्चिक राशि में परिभ्रमण करने से घी-तेल के भावों में तेजी आएगी एवं धान्य का सुख मिलेगा। प्रजा सुखी रहेगी। शांति का माहौल रहेगा।

India, November 2011
नवंबर माह में शुक्र राशि परिवर्तन कर वृश्चिक राशि में परिभ्रमण करने से सभी अनाजों के भाव सस्ते होंगे। शांति होगी, सब लोग सुखी एवं निर्भय होंगे। स्थायित्व रहेगा। शनि का भी राशि परिवर्तन करने से धान्य का अच्छा उत्पादन कराएगा। देश में एवं पृथ्वी पर शांति उत्पन्न कराएगा। किसी भी राज्य में सत्ता परिवर्तन के योग बनते हैं।

शुक्र अपनी राशि परिवर्तन कर 11 नवंबर को धनु राशि में प्रवेश कर रहा है। फलस्वरूप सभी अनाजों के भाव बढ़ेंगे। इसका असर कृषि पर भी पड़ेगा। गेहूं की स्थिति में वृद्धि का रुख होगा। लोहा विशेष महंगा होगा। शक्कर के भाव के साथ ही रस वाले पदार्थ के भी भाव तेजी बनाए रखेंगे। भार‍त की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगी। भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों में प्राकृतिक प्रकोपों से जन-धन की हानि बढ़ेगी।

इस माह की कुंडली में मौसम का पूर्ण परिवर्तन दिखाई देगा, कहीं-कहीं बूंदाबांदी होगी। कहीं-कहीं तेज वायु का प्रकोप रहेगा। हिमाचल, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर एवं मैदानी क्षेत्रों में शीतलहर बढ़ेगी। कहीं-कहीं आंशिक तापमान रहेगा। देश में प्राकृतिक प्रकोप के संकेत‍ रहेंगे।

Friday, October 14, 2011

भगवान कृष्ण की भक्ति

यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत: स्तुन्वन्ति दिव्यै: स्तवै वैदै: सांगपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थिततद्‍गतेन मनसा पश्यति यं योगिनो यस्यान्तं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।।

ब्रह्मा, वरुण, इंद्र, रुद्र और मरुतगण- दिव्य स्तोत्रों द्वारा जिनकी स्तुति करते है, सामवेद के गाने वाले अंग, पद, क्रम और उपनिषदों के सहित वेदों द्वारा जिनका गान करते हैं, योगी जनध्यान में स्थित तद्‍गत हुए मन से जिनका दर्शन करते हैं, देवता और असुरगण (कोई भी) जिनके अंत को नहीं जानते उन (परमपुरुष नारायण) देवादिदेव को मेरा नमस्कार है।

कृष्ण, देवकीनंदन, यदुनंदन, गोपाल, नंदलाल, कन्हैया जो नाना प्रकार के नामों से भजें जाते हैं ऐसे विष्णु अवतार श्रीकृष्ण का जन्म भादौ कृष्‍ण की अष्टमी को हुआ।  कृष्ण की भक्ति गोपियों जैसी विशुद्ध मन से की जानी चाहिए। गोपियां कृष्ण को नि:स्वार्थ प्रेम करती थी। सखा अर्जुन जैसे बनने की कोशिश करनी चाहिए।

जिन्होंने कृष्ण को सखा एवं ईश्वर दोनों रूपों में मान दिया और अनन्य विश्वास से अपना जीवन उन्हें समर्पित कर दिया। निश्चित ही यदि आप सच्चे चित्त से कृष्‍ण भक्ति करते हैं, तो वह (कृष्ण) आपके सारे दुख-दर्द और पाप को हर लेते हैं एवं मोक्ष प्रदान करते हैं।

भगवान कृष्ण स्वयं कहते भी हैं-
मनुष्याणां सहस्त्रेषु कश्चिधतति सिद्धये।
यत् तामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेन्ति तत्वत:।।

हजारों मनुष्यों में कोई एक मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करता है और उन यत्न करने वाले योगियों में भी कोई एक मेरे परायण होकर मुझको यथार्थ रूप में जानता है।

उनका कहना है कि जो सकाम भक्त जिस-जिस देवता के स्वरूप को श्रद्धा से पूजना चाहता है, उस-उस भक्त की श्रद्धा को मैं उसी देवता के प्रति स्थिर करता हूं।

परंतु भगवान कृष्ण की भक्ति किसी भी रूप में की जाए, ध्यान करके, भजन करके, जाप करके अथवा मानसिक, सच्चा भक्त उनको अवश्‍य प्राप्त‍ करता है।

स्वयं कृष्‍ण कहते है- मेरे भक्त मुझे चाहे जैसे ही भजे, अंत में मुझको ही प्राप्त होते हैं। जो मनुष्य जिस भाव से स्मरण करता है वह अवश्‍य ही प्रभु को उस रूप में पाता है।

मन्मना भव मभ्दक्तो मघाजी मां नमस्कुरु।
मामेवैष्यासि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण:।।

अर्थात् मुझमें मन लगा, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन कर। इस प्रकार आत्मा को मुझमें स्थापित करके मेरे परायण होकर तू मुझको ही प्राप्त होगा।
 



गणेश आराधना

पं. सुरेंद्र बिल्लौरे

एह्येहि हेरंब महेशपुत्र समस्त विघ्नौद्या विनाशदक्ष
मांगल्य पूजा प्रथम प्रधान गृहाण पूजां भगवन नमस्ते।।

हे महेशपुत्र समस्त विघ्नों के विनाश करने वाले देवाधिदेव मांगल्य कार्यों में प्रधान प्रथम पूज्य गजानन, गौरी पुत्र आपको नमस्कार है।

गजानन, गौरी पुत्र, महेश पुत्र, एकदंत, वक्रतुंड, विनायक, लंबोदर, भालचंद्र ऐसे नाना प्रकार के नामों से पूज्य श्री गणेशजी की आराधना जो भक्त भाद्रपद शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक करता है। उस भक्त के जन्म-जन्मांतर के पाप नष्‍ट हो जाते हैं एवं उसकी हर मनोकामना गणेशजी पूर्ण करते है।

जितने भी ग्रह-नक्षत्र, राशियां है उनको गणेशजी का अंश माना गया है। यह सत्य है। मन, कर्म, वचन से जो गणेशजी की आराधना करता है, अनुष्‍ठान करता है, उस पर गणेशजी की विशेष अनुकंपा होती है।

गणेशजी की आराधना विद्यार्थी विद्या प्राप्ति के लिए करें, जिसको धन पाना है वह धन प्राप्ति के लिए, मोक्ष पाने वाला मोक्ष प्राप्ति के लिए, पुत्र की कामना वाले व्यक्ति पुत्र प्राप्ति के लिए करें, रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश सभी प्रकार के भक्तों की इच्छा अवश्‍य पूर्ण करते हैं। भगवान गणेश की आराधना सच्चे मन से करने पर हर मनोरथ पूर्ण होंगे।

विद्यार्थी लभते विद्यां, धनार्थी लभते धनम्
प‍ुत्रार्थी लभते पुत्रान्, मोक्षार्थी लभते गतिम्।।

देवताओं के भी पूज्य गजानन जी को यक्ष, दानव, किन्नर जो भी पूजता है। वह सुख-संपदा, राज्य भोग, सब प्राप्त कर लेता है। यदि मनुष्य सच्चे दिल से गौरी पुत्र का स्मरण करें तो अवश्य ही समस्त सिद्धियों का ज्ञाता एवं पराक्रमी होता है। श्री गणेश जी के स्त्रोत को जो नित्य जपता है, वह अवश्‍य ही वांछित फल पाता है। इसमें संशय नहीं है।

नमो व्रातपतये नमो गणपतये
नम: प्रथमपतये नमोस्तेतु लंबोदरायैकदन्ताय
विघ्नविनाशिने शिवसुताय श्री वरदमूर्तये नमो नम: ।।

गजानन गणपति को बार-बार नमस्कार है। हे विघ्न विनाश करने वाले, लंबोदर, एकदंत, प्रथमपूज्य, शिवसुताय इस भक्त का प्रणाम स्वीकार करो। इस प्रकार गणेशजी से प्रार्थना करें। वह अवश्‍य आपके मनोरथ पूर्ण करेंगे। 

Wednesday, October 12, 2011

अनंत चर्तुदशी

ं. सुरेंद्बिल्लौर

गणेश चतुर्थी से गणेशजी का दस दिवसीय उत्सव अनंत चर्तुदशी पर समाप्त होता है। अनंत स्वयं भगवान कृष्ण रूप है। भगवान कृष्ण से युधिष्ठिर पूछते है- श्रीकृष्ण ये अनं‍त कौन है? क्या शेष नाग हैं, क्या तक्षक सर्प है अथवा परमात्मा को कहते है।

तब श्रीकृष्ण कहते हैं मैं वहीं कृष्ण हूं जो (अनंत रूप मेरा ही है) सूर्यादि ग्रह और यह आत्मा जो कहे जाते हैं। और पल-विपुल-दिन-रात-मास-ऋतु-वर्ष-युग यह सब काल कहे जाते हैं। जो काल कहे जाते है, वहीं अनंत कहा जाता है। क्योंकि ये निरंतर चलता रहता है।

मैं वहीं कृष्ण हूं जो पृथ्वी का भार उतारने के लिए बार-बार अवतार लेता हूं। आदि, मध्य, अंत कृष्ण, विष्णु, हरि, शिव, वैकुंठ, सूर्य-चंद्र, सर्वव्यापी ईश्वर तथा सृष्टि को नाश करने वाले विश्व रूप महाकाल इत्यादि रूपों को मैंने अर्जुन के ज्ञान के लिए दिखलाया था। अनंत चर्तुदशी पर प्रभु की ये प्रार्थना अत्यंत लाभदायक है।

त्वमादिदेव: पुरुष: पुराण-
स्त्वमस्य विश्वस्य परं विधानम्
वेन्तासि वेधं च परं च धाम
त्वया तवं विश्वमनंतरूपं।

अर्थात् आप आदि देव और सनातन पुरुष हैं। आप इस जगत के आश्रयदाता, जानने योग्य और परम धाम है। हे अनंत रूप आपसे ही यह सब जगत व्याप्त अर्थात् परिपूर्ण है।

वायुर्यमोदग्निर्वरूण: शशांक:
प्रजापतिस्त्वं प्रपितामहश्च।
नमो नमस्तेस्तु सहस्त्रकृत्व:
पुनश्च भुयोपि नमो नमस्ते।।

अर्थात् आप वायु,यमराज, अग्नि, वरूण,चंद्रमा, प्रजा के स्वा‍मी ब्रह्मा और ब्रह्मा के भी पिता है। आपके लिए हजारों बार नमस्कार है-नमस्कार है। आपके लिए पुन: बारंबार नमस्कार है।

हे अनंत सामर्थ्यवाले देव, आपको चारों दिशाओं से नमस्कार है। आपको आगे और पीछे से भी नमस्कार है, क्योंकि अनंत पराक्रमशाली आप, समस्त संसार को व्याप्त किए हुए हैं।। अत: आप ही सर्वरूप है।

अनंत चतुर्दशी के दिन इस प्रकार प्रभु से प्रार्थना करके देखिए, अनंत देव आपके सारे कार्य संपन्न कर देंगे और प्रसन्न होंगे। जैसे, कौंडिल्य के अपराध को क्षमा कर प्रसन्न हुए थे।

अनंत चतुर्दशी की कथा :
सतयुग में एक सुमंत नाम का ब्राह्मण था। उसने अपनी कन्या शीला का विवाह विधि-विधानपूर्वक कौंडिल्य ऋषि से कर दिया। शीला ने अनंत चर्तुदशी पर पूजन कर कौंडिल्य को चौदह गांठ वाला (धागा) अनंत भुजा में बांध दिया, परंतु कौंडिल्य ने उस धागे का अपमान कर उसे आग में जला दिया। परिणामस्वरूप उन्हें कई कष्टों का सामना करना पड़ा।

पूरे ब्रह्मांड में भटकने के बाद भी शरण नहीं मिली। अंत में बेहोश होकर पृथ्वी पर गिर पड़े। फिर थोड़ा होश आने पर ह्रदय से अनंत देव को- हे अनंत! कहकर आवाज लगाई। तभी शंख चक्रधारी श्री भगवान ने स्वयं प्रकट होकर आशीर्वाद दिया, ऐसे हैं दयालु प्रभु।

उस अनंत भगवान के शरण में जाने से सर्वकार्य मनोरथ पूर्ण हो जा‍ते हैं। अनंत चर्तुदशी अपने आपमें भगवान स्वयं कृष्ण का दिवस है।

इति शुभम्।

Tuesday, October 11, 2011

निरोगी काया के टोटके

निरोगी काया के टोटके  
मोटापा घटाने का सरलतम टोटका
 
मनुष्य हमेशा नई ऊर्जा के साथ जीना चाहता है जिससे वह सदा प्रसन्न रह सके एवं उन्नति उसके कदम चूमे। नई ऊर्जा, नई उमंग के लिए स्वस्थ रहना परम आवश्यक है। अनेक विद्वानों ने, डॉक्टरों ने लिखा है, कहा है व्यक्ति बिना परेशानी के अपना मन किसी भी उद्‍देश्य को पूर्ण करने में लगा सकता है। हमारे यहाँ कहावत है

1. पहला सुख निरोगी काय
निरोगी काया को रखने के लिए अपनाएँ कुछ टोटके। क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही एक स्वस्थ आत्मा निवास करती है।

ज्वर (बुखार) नाश
यदि आपका ज्वर सारे उपाय कर लेने के बाद भी ठीक नहीं हो रहा हो, तो प्रभु पवनपुत्र हनुमान जी की शरण में जाएँ, क्योंकि उनकी कृपा से रोग नष्ट हो जाते हैं।
' नाशै रोग हरे सब पीड़ा'
अमावस्या या शनिवार के दिन सूर्यास्त के बाद हनुमान जी के मंदिर में पाकर प्रणाम करके उनके चरणों का सिंदूर ले आएँ। फिर ये मंत्र सात बार पढ़कर मरीज के मस्तिष्क पर लगा दें।

'मनो जबं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियय बुद्धिमतांवरिष्ठं।
वातात्मजं वानरयूथ मुख्‍यं श्रीरामदूत शरणं प्रवध्ये!'
ज्वर शीघ्र शांत हो जाएगा।

2. सफेद आँकड़े (मदार) की जड़ को लाकर स्त्री की बाईं एवं पुरुष की दाहिनी भुजा पर बाँध एक दिन छोड़कर आने वाला बुखार उतर जाएगा।

2. मोटापा घटाने के लि
मनुष्य के शरीर की सुंदरता आवश्यक है। उसको फूर्ति के लिए शरीर गठा हुआ एवं सामान्य चाहिए। परंतु कई लोगों को मोटापा घेर लेता है जो दुखदायी रहता है एवं मनुष्य भद्‍दा दिखने लगता है। ज्यादा मोटापा कई बीमारी भी उत्पन्न करता है। मोटापा कम करने के लिए सरलतम टोटका अपनाएँ। रविवार के दिन अनामिक अँगुली में काला धागा बाँध ले। एवं उसको राँगे की अँगूठी से ढँक लो। अर्थात् पहन लो। आपको आश्चर्य होगा, मोटापा धीरे-धीरे कम हो जाएगा।

3. भूख बढ़ाने के लि
मनुष्य को स्वस्थ रहने के लि
एवं जल तुरंत पी जाएँ। आपको भूख लगने लगेगी। अनुभवी टोटका है।

4. दस्त लगने प
अधिक दस्त लगने पर सहदेई की जड़ को लाकर उसके सात टुकड़े कर लें। ये ध्यान रहे टुकड़े बराबर-बराबर हों, फिर उसकी माला बनाकर कमर में बाँध लें। दस्त तुरंत बंद हो जाएँगे।
 

Monday, October 10, 2011

ग्रहों के अनुसार लहलहाती है फसलें

सुरेंद्र बिल्लौरे


ज्योतिष शास्त्र का उदय वहां से आरंभ होता है। जहां पर पाश्चात्य विज्ञान की समा‍प्ति होती है। ग्रह एवं नक्षत्रों का प्रभाव जीवधारियों पर तो क्या, वन‍स्पति तक भी अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है।

* हमारे दैनिक जीवन में ज्योतिष विज्ञान का अत्याधिक महत्वपूर्ण स्थान है। चंद्रमा का सीधा प्रभाव वनस्पतियों पर पड़ता है। जो फसलें धरती के अंदर (फल) से उत्पन्न होती है, अथवा जिनके फल धरती के अंदर लगते हैं जैसे आलू, शकरकंद, जमीकंद ऐसी फसलें कृष्‍ण पक्ष में बोने से अधिक मात्रा में उत्पन्न होती है। अगर यही फसल शुक्ल पक्ष बोई गई हो तो कम उपज होती है।

* ऐसे ही जो फसलें धरती के ऊपर होती है, जैसे कि गेहूं, चना, मटर, धान, ईख इन फसलों को शुक्ल पक्ष में बोने से ज्यादा उपज होती है। अलग-अलग पक्ष में बोने वाली फसलों को समान मात्रा में खाद, मिट्‍टी, पानी देने पर भी उत्पादन में अंतर आएगा। इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। ग्रहों की अनुकूलता का प्रभाव जल के कमल एव कुमुदिनी पर भी स्पष्‍ट देख सक‍ते है।

* कमल के लिए सूर्य अनुकूल रहता है। जबकि कुमुदिनी के लिए चंद्रमा का अनुकूल रहना लाभप्रद है। अर्थात् ग्रहों का प्रभाव वनस्पति पर कितना पड़ता है यह आप प्रत्यक्ष देख सकते हैं।

* इसी प्रकार अलग-अलग नक्षत्रों में होने वाली वर्षा वनस्पति पर अलग-अलग प्रभाव डालती है। विशाखा में होने वाली वर्षा का जल वन‍स्पतियों के लिए विष समान है, परंतु स्वाति नक्षत्र में होने वाली वर्षा का जल वनस्पति के लिए अमृत तुल्य है।

यह अनुभव दर्शाते हैं कि हमारे जीवन में ग्रहों का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से कितना प्रभाव है एवं प्रकृति पर इनका कितना महत्वपूर्ण प्रभाव है। ज्योतिष विज्ञान पाश्चात्य विज्ञान से कितने कदम आगे है। आप स्पष्ट समझ सकते हैं।

हिन्दू माह का ज्योतिष आधार

हिन्दू धर्मानुसार महीनों के जो नाम रखे गए हैं उनसे मौसम की ऋतुएं जुड़ीं है। इन सबका ज्योतिषीय आधार है। उसी से संबंधित है नक्षत्रों का नामकरण। पेश है इसी से जुड़ी रोचक जानकारी।

चंद्रमा के महीनों में पहला महीना चैत्र आता है। द‍ेखिए प्रमाण- इसकी पूर्णिमा को हमेशा चित्रा नक्षत्र ही आता है।

दूसरा महीना बैसाख कहलाता है, इसकी पूर्णिमा पर बिशाखा नक्षत्र रहता है।

ज्येष्ठ की पूर्णिमा को ज्येष्ठा नक्षत्र आता है।

आषाढ़ की पूर्णिमा को पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा दो नक्षत्रों में से एक रहता है।

श्रावण की पूर्णिमा को श्रवण नक्षत्र रहता है।
भादो (भाद्रपद) की पूर्णिमा को भाद्रपद या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र रहेगा।

अ‍ाश्विन माह की पूर्णिमा को अ‍ाश्विनी नक्षत्र कहलाता है।

कार्तिक माह की पूर्णिमा को कृतिका नक्षत्र।

मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा को मृगशिरा नक्षत्र।

पौष माह की पूर्णिमा को पुष्‍य नक्षत्र।

माघ की पूर्णिमा को मघा नक्षत्र।

फाल्गुन की पूर्णिमा को पूर्वाफाल्गुनी या उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा।

चैत्र की पूर्णिमा से फाल्गुन तक आपने देखा हर महीने का नाम और नक्षत्र का विलक्षण संयोग।

Saturday, October 8, 2011

प्रत्येक व्यक्ति को धन की आवश्यकता होती है. धन के बिना अनेक कम रुक जाते है! धन कमाने एवं कर्ज 
से छुटकारा पाने के लिए करे,दीपावली पर कुछ खास प्रयोग !


इस प्रयोग को पूर्ण पवित्रता से करने पर लाभ अवश्य मिलता है। लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। धन की वर्षा होती है। रूका पैसा तो मिलता ही है आय के नए-नए साधन भी जुटने लगते हैं। सबसे पहले पूरी शुद्धता से नीचे दिए गए मंत्र की पहले 108 बार माला करें।

महालक्ष्मी मंत्र -
'ॐ श्रीं ह्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नम:'
    माला करने के बाद महालक्ष्मी को सहद का भोग लगाये ! आपके यहा किसी प्रकार की कमी नही रहेगी !

Thursday, October 6, 2011

दशहरे की शुभकामना !

एक सीता के हरण से गया था रावण मारा ,आज सीता का हरण रोज हुआ करता है! 
 उस समय रावण ध्दारा सीता के हरण करने पर राम ने रावण का बध कर दिया! आज इस प्रकार का काम ना
हो, संकल्प लेना चाहिए ! सही दशहरा यही है!  यही आशा के साथ सबको दशहरे की शुभकामना !

happy dashhara

सभी दोस्तों को, पाठको को दशहरे की शुभकामना !

Monday, October 3, 2011

अक्टूवर २०११ ज्योतिष की नजर से

इस माह सूर्य का कन्या राशि में परिभ्रमण करने से उत्तर के देशो में युद्ध का भय होने से अशांति के योग बनते है। पूर्व तथा दक्षिण के देशों में पीड़ा होने की संभावना है। मंगल (भौम) का कर्क राशि में परिभ्रमण करने से चोरों का भय, आपसी (जनता व सरकार) विरोध होगा। अशुभ फलों की अधिकता रहेगी। शासक निर्बल होंगे।

'कन्या राशि गते ज्ञे हि कांचनं शुद्ध कर्करा।' बुध के कन्या राशि में परिभ्रमण करने से शक्कर एवं सोने के व्यापारी को लाभ होगा। दोनों वस्तुओं के भाव बढ़ेंगे। ये स्थिति छ: माह तक रह सकती है, फिर भाव घटेंगे।

शुक्र का कन्या राशि में भ्रमण का प्रभाव सीधा कृषि पर पड़ेगा। खेती में फसल का नाश होता है। सभी प्रकार के अनाज महंगे होने के योग बनते है। शनि का कन्या राशि में परिभ्रमण करने से मध्यप्रदेश सरकार को सीधा असर पड़ेगा एवं जल पर भी सीधा असर पड़ेगा। पानी के शोषण होने के योग बनते है। इसी के साथ तेज वायु के योग बनते है।

बुध का 11 अक्टूबर को तुला राशि में प्रवेश करने से वर्षा में प्रभाव पड़ेगा एवं पृथ्वी पर क्लेश, अशांति होने की प्रबलता बढ़ेगी। युद्ध का भय बनता है।

4 सितंबर को शुक्र अपनी राशि तुला में प्रवेश करने से शांति एवं आरोग्यता होगी। सूर्य का भी राशि परिवर्तन कर तुला राशि में मध्य माह से प्रवेश होने के प्रभाव से पूर्व के देशों में सुभिक्ष आदि का सुख होगा, दक्षिण तथा पश्चिम के देशों में दुर्भिक्ष का भय, उ‍त्तर के देशों में युद्ध का भय व अशांति होगी।

इस माह सूर्य-बुध-शुक्र के एक ही राशि पर स्थित होने से वर्षा कम होगी। सभी अनाजों के भाव तेज होंगे। इस माह चर्तुग्रही योग बन रहे हैं। इसके प्रभाव से कहीं रक्तपात, कहीं प्राकृतिक प्रकोप की संभावना बनती है।

अक्टूबर माह की कुंडली में ग्रह गोचर पर आकाशीय मंडल के योग से दृष्टि डाले तो सूर्य-बुध एवं शुक्र के एक साथ बैठने से एवं शनि के सूर्य के पीछे होने से कुछ भागों में पानी की कमी, वर्षा का अवरोध होगा। कहीं तेज वायु के साथ छिटपुट बूंदाबांदी होगी।

ऋतु परिवर्तन के लक्षण दिखाई देंगे। शीत में वृद्धि होगी एवं रात्रि के तापमान में गिरावट आएगी। पर्वतीय क्षेत्रों में छिटपुट बूंदाबंदी होगी तथा शीत बढ़ेगी। मैदानी भागों में परिवर्तन आएंगे। तेज आंधी, तूफान से जनजीवन अस्त-व्यस्त होने की संभावना बनती है।

Sunday, October 2, 2011

mantr ka upyog

mantra

                                                              ग्रह रक्षा मंत्र
                 ॐ ह्रीं चामुंड भ्रकुटी अट्टहासे भीम दर्शने रक्ष रक्ष चोरे:  वजुवेभ्य: अग्रिभ्य : स्वापदेभ्य: दुष्ट -
                                          जनेभ्य: सर्वेभ्य सर्वोपद्रवेभ्य गंडी ह्रीं हो ठ: ठ !
             इस मंत्र को १०८ बार पढ़कर मकान के चारो तरफ रेखा खीच देने से वह घर दुष्ट आत्माएं , भूत ,
 प्रेत ,चोर , डाकू तथा दुष्ट व्यक्ति या हिंसक जन्तुओ के प्रवेश का भय , बिजली गिरने व आग लगने का भय तक भी नही रहता ! किसी शुभ तिथि घड़ी नक्षत्र या चन्द्र ग्रहण सूर्य ग्रहण में दस हजार बार पाठ करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है !
                                ति मोहन  मंत्र
                          ॐ अस्य श्री सुरी मंत्र स्वार्थ वर्ण ! ऋषि इति शिपस स्वाहा !
           जिस स्त्री का पति उससे संतुष्ट न रहता हो उस स्त्री को निम्न मंत्र का १०८ बार प्रतिदिन नियम से जाप
करते हुए १०८ दिन तक पाठ करना चाहिए ! इससे पति पत्नी पर आकर्षित होगा तथा दोनों का जीवन आनन्दमय
हो जायेगा !
                               सरस्वती आकर्षण मंत्र
                                                 ॐ वाग्वादिनी स्वाहा मिन्सहरा !
                इस मंत्र को किसी भी शुभ तिथि में प्रात: उठकर नहा-धोकर पवित्र होकर सवा लाख बार जाप करने से
 देवी सरस्वती आकर्षित होकर विद्या दान देती है !
                        उपरोक्त मंत्र पूर्ण श्रद्धा के साथ करे पूर्ण लाभ होगा !

meen--ka--svbhav

meen--ka--svbhav

          राशी के प्रथम चरण में मेष एवं अंतिम चरण में मीन आता है! पूर्वाभाद्रपद के अंतिम चरण से रेवती नक्षत्र
के अंतिम चरण तक मीन राशी बिधमान रहती है! इस राशी का स्वामी गुरु है!
          इस लग्न में जन्म वाला जातक लग्न का स्वामी शुभ होने पर  सुंदर, रूपवान,धनी, ईमानदार अपने कार्य में
निष्ठां रखने वाला एवं कार्य क्षेत्र में माननीय पद पर पहुँचने वाला एवं सीधे स्वभाव वाला जरूरत मंद व्यक्ति की मदद
करने वाला होता है, एवं लेखक या कवि बनाने के योग बनते है! परन्तु लग्न में क्रूर ग्रह स्थित हो, या उसकी द्रष्टि
पड़ रही हो,तो जातक मादक द्रव्य लेने बाला या व्यभिचारी शराबी हो सकता है, अथवा होने के प्रबल योग रहते है!
लेखक, दुसरो की हमेशा सहायता करने वाला, गुप्त बिधा का ज्ञाता, देश भक्ति रखने वाला  व्यक्ति इसी लग्न में
पैदा होता है! इस लग्न के जातक समाज सेवी, राजनीती, तथा स्वास्थ्य सेवा में नर्स की नॉकरी करना ज्यादा पसंद
करते है!
          लग्नेश गुरु  तीसरे भाव में हो, तो भैयो की संख्या ज्यादा एवं बारहवे भाव में हो, तो पिता से सहयोग की सम्भावना बड़ती है!
        मीन लग्न में  उत्पन्न जातक की कुंडली में सातवे भाव में शनी या शुक्र की द्रष्टि पड़ जाये, तो तो पत्नी से तलाक होने संभावना बड़ जाती है!
        मीन लग्न में यदि शुक्र उच्च का हो तो व्यक्ति संगीत में रूचि रखने वाला, कलाकार बनाता है!
         मीन लग्न की कुंडली में मंगल बारहवे भाव में होने पर या उसकी दशा महादशा आने पर  किसी भी विभाग या
   देश का शासक बनाता है! परन्तु यदि शनी की द्रष्टि पड़ रही हो, तो जेल भिजवा सकता है!
         लग्नाधिपति गुरु यदि पंचम भाव में विराजमान हो, तो अनेक प्रकार की यात्रा करवाता है, एवं गुरु महादशा में उच्च पद पर पहुँचाता है!
         इस लग्न में बुध अच्छा नही होता है, इसकी (बुध) की महादशा में स्थान परिवर्तन कराता है! यदि बुध व्यय भाव में बैठा है, तो ग्रहस्थी में स्वास्थ्य खराब, मित्र, परिवार से झगडा करा सकता है!
      मीन लग्न वालो ने पुखराज धारण करना चाहिए!

      इति शुभम
 

अक्टूम्बर माह २०११ ध्दाद्श राशियों का फलादेश

मेष : मेष राशि वाले जातकों के लिए अक्टूबर का माह धर्म के लाभ वाला रहेगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा। इस माह लंबी यात्रा के योग बनते हैं। शत्रु पक्ष से समझौता मिलेगा। पारिवारिक लोगों से पूर्ण सहयोग मिलेगा। किसी मित्र की सहायता से सारे कार्य पूर्ण होंगे। पत्नी का स्वास्थ्य नरम-गरम रहेगा। कृषि लाभ मिलेगा। व्यापार मध्यम रहेगा। दिनांक 3, 20, 29 शुभ है। दिनांक 6 अशुभ है। शिव शक्ति की आराधना शुभ रहेगी।

वृषभ : वृषभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह शत्रु पक्ष पर विजय वाला रहेगा। विद्यार्थी की शिक्षा में सुधार होगा। पत्नी के पक्ष में स्थिति चिंता वाली रहेगी। राज्य कार्य से हानि की संभावना है। नौकरी में सब ठीक रहेगा। व्यापार अच्छा रहेगा। दिनांक 11, 15 शुभ है। 5 अशुभ है। दुर्गा आराधना लाभदायक रहेगी।

मिथुन : मिथुन राशि वाले जा‍तकों के लिए यह माह धन लाभ वाला रहेगा। स्वास्थ्य सुधार होगा। शत्रु पक्ष पर विजय मिलेगी। स्थान परिवर्तन से विशेष लाभ मिलेगा। वाहन सावधानी से चलाएं, दुर्घटना के योग बनते है। दिनांक 6,18 शुभ। 9 अशुभ रहेगी। राधा-कृष्‍ण की आराधना करें।

कर्क : कर्क राशि वाले जातकों के लिए यह माह पारिवारिक सुख वाला रहेगा। विद्यार्थी को रूकावट के योग बनते है। शत्रु पक्ष प्रबल हो सकता है, ध्यान दें। माता को कष्ट के योग। व्यापार मध्यम रहेगा। कृषि लाभ होगा। नौकरी में अधिकारी खुश रहेंगे। दिनांक 6, 12 शुभ, 6 अशुभ है। रामरक्षा स्त्रोत लाभप्रद है।

सिंह : सिंह राशि वाले जातकों के लिए यह माह मिश्रित फल वाला रहेगा। स्वयं के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। शत्रु पक्ष से भय रहेगा। व्यापार मध्यम रहेगा। नौकरी में उन्नति के योग बनते हैं। कृषि सामान्य रहेगी। यात्रा में नुकसान के योग बनते है, ध्यान दें। चोट इत्यादि की संभावना बनती है। मित्र से सहयोग मिलेगा। दिनांक 2, 11 शुभ है। 14 अशुभ है। देवी आराधना शुभ है।

कन्या : कन्या राशि वाले जातकों के लिए यह माह भाई की उन्नति वाला रहेगा। साथ ही बहन की उन्नति के योग भी बनत‍े है। शारीरिक सुधार होगा। संगति का ध्यान दें। हानि के योग बनते है। व्यापार सामान्य रहेगा। नौकरी में अधिकारी अप्रसन्न हो सकते हैं। स्त्री से पूर्ण सहयोग मिलेगा। दिनांक 5, 18 शुभ। 22, 29 अशुभ है। राधा-कृष्‍ण की आराधना लाभप्रद रहेगी।

तुला : त‍ुला राशि वाले जातकों के लिए यह माह धर्म पर खर्च वाला रहेगा। खुद के स्वास्थ्य को लेकर चिंता हो सकती है। आर्थिक खर्च होगा। पत्नी के पक्ष से विरोध होगा। व्यापार में लाभ मिलेगा। कृषि लाभ देगी। नौकरी में उन्नति के साथ प्रमोशन होने के योग है। दिनांक 1, 14 शुभ एवं 20, 26 अशुभ है। श्रीराम ‍भक्ति लाभ देगी।

वृश्चिक : वृश्चिक रा‍‍शि वाले जातकों के लिए यह माह परिवार में आर्थिक मजबूती वाला रहेगा (आय में वृद्धि होगी)। अपना ध्यान रखें, सिर संबंधी चोट की संभावना है। पुराने मित्र से सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक रहेगा। कृषि से हानि के योग, नौकरी में उन्नति होगी। दिनांक 7, 14 शुभ है। 9 अशुभ है। देवी आराधना लाभप्रद रहेगी।

धनु : धनु राशि वाले जातकों के लिए यह माह विद्यार्थी के लिए सफलता वाला रहेगा। रिटायर्ड कर्मचारी वर्ग की पदोन्नति के योग है। व्यापार अच्छा चलेगा। कृषि लाभ वाली रहेगी। नौकरी में अनबन होने के योग है। किसी की बात में आकर जीवन बर्बाद न करें। योग ठीक नहीं है। पत्नी से पूर्ण सहयोग रहेगा। दिनांक 4, 18 शुभ है। 23 अशुभ है। शिव शक्ति की आराधना लाभप्रद रहेगी।

मकर : मकर राशि वाले जातकों के लिए यह माह शुभ यात्रा वाला रहेगा। आय में वृद्धि होगी। शत्रु पर विजय प्राप्त होगी। पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंताजनक स्थिति रहेगी। दिनांक 1, 22, 29 शुभ है। 3 अशुभ। शिव आराधना करें।

कुंभ : कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह मिश्रित फल वाला रहेगा। अच्छे कार्यों से दूरी हो सकती है। पारिवारिक माहौल ठीक नहीं रहेगा। धार्मिक कार्यों के प्रति अविश्वास रहेगा। व्यापार ठीक रहेगा। कृषि से लाभान्वित होंगे। नौकरी सामान्य रहेगी। रिश्तेदारी में सतर्कता से काम लें। दिनांक 5, 18 शुभ है। 8 अशुभ। देवी भक्ति करें।

मीन : मीन राशि वाले जा‍तकों के लिए यह माह सामान्य लाभ वाला रहेगा। पत्नी के पक्ष से अनबन के योग बनते है। मित्रों से व्यवहार में सतर्कता रखें। विवाद के योग बनते है। व्यापार वृद्धि होगी। परंतु लाभ सामान्य रहेगा। कृषि के हानि के योग है। नौकरी में अधिकारी नाराज हो सकते हैं। दिनांक 6, 12, 24 शुभ है। 20 अशुभ। हनुमान जी की सेवा लाभप्रद है।


Thursday, September 29, 2011

गोरखनाथ का प्रिय मंत्र 'जंजीरा

गोरखनाथ का प्रिय मंत्र 'जंजीरा'  
परोपकार के लिए सिद्ध मंत्र
 

मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए नाना प्रकार की सिद्धियाँ की एवं उस पर विजय प्राप्त करने के बाद स्वार्थ-परमार्थ दोनों कार्य भी किए। किसी ने भैरव को, किसी ने दुर्गा को, किसी ने हनुमान जी को इस प्रकार सभी ने अपने-‍अपने हिसाब से देवताओं की आराधना कर सिद्ध किया और अपने कार्य को किया।

यहाँ पर गुरु गोरखनाथ को प्रसन्न करने के लिए मंत्र (जंजीरा) दे रहे हैं जो 21 दिन में सिद्ध होता है। साथ में गोरखनाथ जी का आशीर्वाद भी मिलता है इसे सिर्फ परोपकार के लिए ही कार्य में लें अपने स्वार्थ के लिए नहीं।

मंत्र (जंजीरा)
ऊँ गुरुजी मैं सरभंगी सबका संगी, दूध-माँस का इकरंगी, अमर में एक तमर दरसे, तमर में एक झाँई, झाँई में पड़झाँई, दर से वहाँ दर से मेरा साईं, मूल चक्र सरभंग का आसन, कुण सरभंग से न्यारा है, वाहि मेरा श्याम विराजे ब्रह्म तंत्र ते न्यारा है, औघड़ का चेला, फिरू अकेला, कभी न शीश नवाऊँगा,

पत्र पूर पत्रंतर पूरूँ, ना कोई भ्राँत ‍लाऊँगा, अजर अमर का गोला गेरूँ पर्वत पहाड़ उठाऊँगा, नाभी डंका करो सनेवा, राखो पूर्ण वरसता मेवा, जोगी जुण से है न्यारा, जुंग से कुदरत है न्यारी, सिद्धाँ की मूँछयाँ पकड़ो, गाड़ देवो धरणी माँही बावन भैरूँ, चौसठ जोगन, उल्टा चक्र चलावे वाणी, पेडू में अटकें नाड़ा, न कोई माँगे हजरता भाड़ा मैं ‍भटियारी आग लगा दूँ, चोरी-चकारी बीज बारी सात रांड दासी म्हाँरी बाना, धरी कर उपकारी कर उपकार चलावूँगा, सीवो, दावो, ताप तेजरो, तोडू तीजी ताली खड चक्र जड़धूँ ताला कदई न निकसे गोरखवाला,

डा‍किणी, शाकिनी, भूलां, जांका, करस्यूं जूता, राजा, पकडूँ, डाकम करदूँ मुँह काला, नौ गज पाछा ढेलूँगा, कुँए पर चादर डालूँ, आसन घालूँ गहरा, मड़, मसाणा, धूणो धुकाऊँ नगर बुलाऊँ डेरा, ये सरभंग का देह, आप ही कर्ता, आप ही देह, सरभंग का जप संपूर्ण सही संत की गद्‍दी बैठ के गुरु गोरखनाथ जी कही।

सिद्ध करने की विधि एवं प्रयोग :
किसी भी एकांत स्थान पर धुनी जलाएँ। उसमें एक लोहे का चिमटा गाड़ दें। नित्य प्रति धुनी में एक रोटी पकाएँ और वह रोटी किसी काले कुत्ते को खिला दें। (रोटी कुत्ते को देने के ‍पहले चिमटे पर चढ़ाएँ।) प्रतिदिन आसन पर बैठकर 21 बार जंजीरा (मंत्र) का विधिपूर्वक पाठ करें। 21 दिन में सिद्ध हो जाएगा।

किसी भी प्रकार का ज्वर हो, तीन काली मिर्च को सात बार मंत्र पढ़कर रोगी को खिला दें, ज्वर समाप्त हो जाएगा।

भूत-प्रेत यक्ष, डाकिनी, शाकिनी नजर एवं टोने-टोटके किसी भी प्रकार का रोगी हो, मंत्र (जंजीरा) सात बार पढ़कर झाड़ दें। रोगी ठीक हो जाएगा।

यदि आप किसी भी कार्य से जा रहे हो, जाने से पूर्व मंत्र को पढ़कर हथेली पर फूँक मार कर उस हथेली को पूरे चेहरे पर घुमा लें फिर कार्य से जाएँ, आपका कार्य सिद्ध होगा और आपको सफलता जरूर मिलेगी।

आत्मा एवं परमात्मा का मिलन आपके कार्य सिद्ध करेंगे

najar jhadaane ka mantr

नमो सत्य नाम आदेशगुरु को
ॐ नमो नजर जहाँ पर पीर न जानी
बोले छल सो अमरत बानी
कहो नजर कहाँ ते आई
यहाँ की ठौर तोहि कौन बताई
कौन जात तेरा कहाँ ठाम
किसकी बेटी कह तेरो नाम
कहाँ से उड़ी कहाँ को जाय
अब ही बस कर ले तेरी माया
मेरी बात सुनो चित लाए
जैसी होय सुनाऊँ आय
तेलिन तमोलिन चुहड़ी चमारी
कायस्थनी खतरानी कुम्हारी
महतरानी राजा की रानी
जाको दोष ताहि को सिर पड़े
जहार पीर नजर से रक्षा करे
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति
फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा।
उपरोक्त मंत्र को पढ़ते हुए मोर के पंख से बाल के सिर से पैर तक झाड़ दें। इस क्रिया से बालक की नजर उतर जाएगी और बालक स्वस्थ हो जाएगा

इसी प्रकार आप ग्रहण के दिन भगवती गायत्री की साधना कर मंत्र को सिद्ध कर लें फिर आप किसी भी बालक की नजर को झाड़ सकते हैं। अवश्य सफलता प्राप्त होगी। यह अचूक प्रयोग है। उपरोक्त सारे मंत्र विश्वास के साथ करें। कार्य अवश्य होगा।

Wednesday, September 28, 2011



रणब‍ीर कपूर का जन्म साठ के दशक के सुपर स्टार राज कपूर के परिवार में हुआ। कपूर परिवार ने फिल्मों में कई दशक देखें और फिल्मी इतिहास में अपने नाम की ख्याति पूरे विश्व में फैलाई। उसी परिवार में रणबीर का जन्म 28 सितंबर 1982 को बॉम्बे में श्रवण नक्षत्र में हुआ। उसी के प्रभाव से रणबीर धन‍ी एवं सुखी है।

रणबीर की कुंडली के अनुसार सूर्य ने उन्हें दीर्घसूत्री बनाया। मंगल एवं चंद्र ने भ्रमणशील के साथ-साथ फिल्मों में कदम जमाए। बुध जन्म के समय कन्या राशि पर भ्रमण कर रहा था, उसने भी धनवान बनाया एवं प्रसिद्धि दिलाई।

गुरु आपकी कुंडली में जिस राशि पर विराजमान है, उसने भी आपको धन-धान्य से सुखी बनाया। शुक्र केंद्र में होने से रणबीर को श्रेष्ठ कर्म वाला बनाता है। शनि जिस भाव में विराजमान है, यह आपको संपत्तिवान बनाता है। जन्म के समय शनि कन्या राशि पर भ्रमण कर रहा था, वह आपको उच्च स्थान दिलाता है।

आपका जन्म चंद्र की महादशा में हुआ है। वर्तमान में राहु की महादशा चल रही है, जो कि 2-5-1994 से 2-5-2015 तक रहेगी। वर्तमान में राहु महादशा में शुक्र की अंर्तदशा 20-11-2009 से 20-11-2012 तक रहेगी। इसके बाद सूर्य की अंतर्दशा 14-10-2013 ‍तक रहेगी। इसलिए आपको राहु और शुक्र की शांति अवश्य करानी चाहिए।

Tuesday, September 27, 2011

navratri ki shubh-kamanaye

  सभी दोस्तों को आगामी  नवरात्री की शुभकामनाये ! माँ  दुर्गा आप सबकी मनोकामना पूर्ण करे! एवं 
आपके जीवन में उन्नति का प्रकाश दे!

navratri ko no din lagaye bishrsh bhog

पहले  नवरात्रि के दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। तथा शरीर निरोगी रहता है।

दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं व घर में सभी सदस्यों को दें। इससे आयु वृद्धि होती है।

तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग माँ को लगाकर ब्राह्मण को दान करें। इससे दुखों की मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है।

मां दुर्गा को चौथी नवरात्रि के दिन मालपुए का भोग लगाएं। और मंदिर के ब्राह्मण को दान दें। जिससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।

नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवैद्य चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।

छठवीं नवरात्रि के दिन मां को शहद का भोग लगाएं। जिससे आपके आकर्षण शक्त्ति में वृद्धि होगी।

सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है।

नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी को नारियल का भोग लगाएं व नारियल का दान कर दें। इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें। इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी। साथ ही अनहोनी होने की‍ घटनाओं से बचाव भी होगा।