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Wednesday, October 24, 2012

रावण दहन का महत्त्व एवं रावण दहन मुहुर्त

रावण दहन का महत्त्व एवं रावण दहन मुहुर्त ----->
राम नाम उर मै गहिओ जा कै सम नही कोई !!
जिह सिमरत संकट मिटै दरसु तुहारे होई !!

जिनके सुन्दर नाम को हध्दय में बसा लेने मात्र से सारे काम पूर्ण हो जाते है !जिनके समान कोई दूजा नाम नही है! जिनके स्मरण मात्र से सरे संकट मिट जाते
है! येसे श्रीराम को कोटि-कोटि प्रणाम करता है !प्रभु ने रावण रूपी बुराई को ख़त्म करने के लिए मनुष्य का रूप धारण किया! प्रभु श्री राम की भक्ति को कलयुग में सिर्फ नाम के आधार पर पूर्ण बताई है !
कलयुग जोग न जग्य न ग्याना !
एक आधार राम गुण गाना !!
अर्थात कलयुग में ना तो योग ,ना यज्ञ और न ज्ञान का महत्व है ,एक मात्र राम का गुणगान ही जीवो का उद्धार है संतो का कहना है ,कि प्रभु श्री राम की सेवा में कपट ,दिखावा,छल नहीं अपितु आन्तरिक भक्ति का ही महत्व है , अर्थात दशहरे पर रावण  नहीं अपितु आंतरिक छल -कपट ,द्वेष के रावण को जला दो ,

दशहरा पर्व पर शमी पूजन का महत्व

दशहरा पर्व पर शमी पूजन का महत्व


भारतीय परंपरा में विजयादशमी पर शमी पूजन का पौराणिक महत्व रहा है। जन मानस में विजयादशमी 'दशहरा' के नाम से भी प्रचलित है। श्रद्धालुओं द्वारा दशहरा पर सायंकाल शमी वृक्ष का पूजन कर उससे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस परंपरा के पीछे शमी वृक्ष का महत्व छुपा है।

आश्विन (क्वार) माह के दशहरे के दिन अपराह्न को शमी वृक्ष के पूजन की परंपरा विशेष कर क्षत्रिय व राजाओं में रही है। आज भी यह परंपरा कायम है। कहते हैं कि ऐसा करने से मानव पवित्र हो जाता है। इसके लिए घर या गांव के ईशान कोण (पूर्वोत्तर) में स्थित शमी का वृक्ष विशेष लाभकारी माना गया है।

दशहरे के दिन शमी वृक्ष का पूजन अर्चन व प्रार्थना करने के बाद जल और अक्षत के साथ वृक्ष की जड़ से मिट्टी लेकर गायन-वादन और घोष के साथ अपने घर आने के निर्देश हैं।

शमी पूजा के कई महत्वपूर्ण मंत्र भी हैं जिनका उच्चारण किया जाता है। इन मंत्रों में भी अमंगलों और दुष्कृत्य का शमन करने, दुस्वप्नों का नाश करने वाली, धन देने वाली, शुभ करने वाली शमी के प्रति पूजा अर्पित करने की बात कही गई है। कहते हैं कि लंका पर विजय पाने के बाद राम ने भी शमी पूजन किया था।

नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा भी शमी वृक्ष के पत्तों से करने का शास्त्र में विधान है। इस दिन शाम को वृक्ष का पूजन करने से आरोग्य व धन की प्राप्ति होती है।

दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजन परंपरा हमारे यहां प्राचीन समय से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व शमी वृक्ष के सामने शिश नवाकर अपनी विजय हेतु प्रार्थना की थी।

महाभारत के संदर्भ से पता चलता है कि पांडवों ने देश निकाला के अंतिम वर्ष में अपने हथियार शमी के वृक्ष में ही छिपाए थे। संभवतः इन्हीं दो कारणों से शमी पूजन की परंपरा प्रारंभ हुई होगी।

शमी वृक्ष तेजस्विता एवं दृढ़ता का प्रतीक भी माना गया है, जिसमें अग्नि तत्व की प्रचुरता होती है। इसी कारण यज्ञ में अग्नि प्रकट करने हेतु शमी की लकड़ी के उपकरण बनाए जाते हैं।

आयुर्वेदिक दृष्टि में तो यह अत्यंत गुणकारी औषधि मानी जाती है। शमी वृक्ष के संदर्भ में कई पौराणिक कथाओं का आधार विद्यमान है। यज्ञ परंपरा में शमी के पत्तों का हवन गुणकारी माना गया है।

शमी का पेड़ (प्रोसोपिस सिनरेरिया) 8-10 मीटर ऊंचा होता है। शाखाओं पर कांटे होते हैं। पत्तियां द्विपक्षवत होती हैं। शमी के फूल छोटे पीताभ रंग के होते हैं। प्रौढ़ पत्तियों का रंग राख जैसा होता है इसीलिए इसकी प्रजाति का नाम सिनरेरिया रखा गया है अर्थात राख जै
दशहरा पर्व पर शमी पूजन का महत्व
अमंगल का हरण करता है शमी

भारतीय परंपरा में विजयादशमी पर शमी पूजन का पौराणिक महत्व रहा है। जन मानस में विजयादशमी 'दशहरा' के नाम से भी प्रचलित है। श्रद्धालुओं द्वारा दशहरा पर सायंकाल शमी वृक्ष का पूजन कर उससे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस परंपरा के पीछे शमी वृक्ष का महत्व छुपा है।

आश्विन (क्वार) माह के दशहरे के दिन अपराह्न को शमी वृक्ष के पूजन की परंपरा विशेष कर क्षत्रिय व राजाओं में रही है। आज भी यह परंपरा कायम है। कहते हैं कि ऐसा करने से मानव पवित्र हो जाता है। इसके लिए घर या गांव के ईशान कोण (पूर्वोत्तर) में स्थित शमी का वृक्ष विशेष लाभकारी माना गया है।

दशहरे के दिन शमी वृक्ष का पूजन अर्चन व प्रार्थना करने के बाद जल और अक्षत के साथ वृक्ष की जड़ से मिट्टी लेकर गायन-वादन और घोष के साथ अपने घर आने के निर्देश हैं।

शमी पूजा के कई महत्वपूर्ण मंत्र भी हैं जिनका उच्चारण किया जाता है। इन मंत्रों में भी अमंगलों और दुष्कृत्य का शमन करने, दुस्वप्नों का नाश करने वाली, धन देने वाली, शुभ करने वाली शमी के प्रति पूजा अर्पित करने की बात कही गई है। कहते हैं कि लंका पर विजय पाने के बाद राम ने भी शमी पूजन किया था।

नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा भी शमी वृक्ष के पत्तों से करने का शास्त्र में विधान है। इस दिन शाम को वृक्ष का पूजन करने से आरोग्य व धन की प्राप्ति होती है।

दशहरे पर शमी के वृक्ष की पूजन परंपरा हमारे यहां प्राचीन समय से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने लंका पर आक्रमण करने के पूर्व शमी वृक्ष के सामने शिश नवाकर अपनी विजय हेतु प्रार्थना की थी।

महाभारत के संदर्भ से पता चलता है कि पांडवों ने देश निकाला के अंतिम वर्ष में अपने हथियार शमी के वृक्ष में ही छिपाए थे। संभवतः इन्हीं दो कारणों से शमी पूजन की परंपरा प्रारंभ हुई होगी।

शमी वृक्ष तेजस्विता एवं दृढ़ता का प्रतीक भी माना गया है, जिसमें अग्नि तत्व की प्रचुरता होती है। इसी कारण यज्ञ में अग्नि प्रकट करने हेतु शमी की लकड़ी के उपकरण बनाए जाते हैं।

आयुर्वेदिक दृष्टि में तो यह अत्यंत गुणकारी औषधि मानी जाती है। शमी वृक्ष के संदर्भ में कई पौराणिक कथाओं का आधार विद्यमान है। यज्ञ परंपरा में शमी के पत्तों का हवन गुणकारी माना गया है।

Sunday, October 21, 2012

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त --->कल का दिन आप के लिए माँ महागौरी ( देवी का आठ्वा रूप )  प्रकाशमय करे ! कल आप कुछ नया कार्य करने जा रहें है,कुछ लेने जा रहे है,तो रुकिए हर कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब देखने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर 
अंग्रेजी तारीख --> 22
वार -- सोमवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु

अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--शुक्ल
तिथि--> अष्टमी   
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्हेज 
तारीख--05
योग--  मृत्यु !
करण--- विष्टि
चंद्रमा-- पुरे समय मकर का !    
ग्रहयोग---नौ रात्रि
दिन का पर्व--दुर्गाष्टमी,दुर्गा पूजन   
दिशा-शूल--पूर्व
मुहूर्त-- नामकरण संस्कार मुहुर्त !  
शुभ समय--प्रात:06.00से 07.30, 09 .00 से 10 .30, दोपहर 3 से शाम 6 तक !   
सुझाव-!घर के अंदर मंदिर ईशान कोण में होना चाहिए !  

Saturday, October 20, 2012

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त --->कल का दिन आप के लिए उन्नतिशील रहें ! कल आप कुछ नया कार्य करने जा रहें है,कुछ लेने जा रहे है,तो रुकिए हर कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब देखने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर 
अंग्रेजी तारीख --> 21
वार -- रविवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु

अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--शुक्ल
तिथि--> सप्तमी  
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्हेज 
तारीख--04
योग--  शुभ,त्रिपुष्कर योग ,सर्वसिद्धि योग
करण--- गर
चंद्रमा-- धनु दिन में एवं रात्रि 3:13 से मकर का !    
ग्रहयोग---नौ रात्रि
दिन का पर्व--सप्तमी पूजन   
दिशा-शूल--नैऋत्य
मुहूर्त-- सरस्वती पूजन, धान्यछेदन 
शुभ समय--प्रात: 09 .00 से 12 .00 दोपहर, 1.30 दोपहर 3 तक !   
सुझाव--घर के मुख्य द्वार पर मोरपंख एवं मुरली लगाने से नकारात्मक उर्जा घर में नही आती !  

Thursday, October 18, 2012

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त

कल का दिन आप के लिए माँ कुष्मांडा(देवी का चौथा रूप)के आशीर्वाद से हर्षो-उल्लास से परिपूर्ण रहे !कल आप कुछ करने जा रहे है,तो रुकिए ये कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब समझने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर

अंग्रेजी तारीख --> 19
वार --शुक्रवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु
अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--शुक्ल
तिथि-->चतुर्थी व पंचमी (चतुर्थी छे )Navaratri
MAA SKANDMATA

हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्हेज
तारीख--02
योग-- चर   
करण---विष्टि
चंद्रमा--- प्रात:से वृश्चिक का,रात्रि 2 बजकर 24 मिनट से धनु का ! 
ग्रहयोग---नौरात्रि उत्सव
दिन का पर्व---शरद नौरात्रि का चौथा दिन,देवी के चौथे रूप कुष्मांडा एवं पांचवा रूप स्कन्दमाता का पूजन
दिशा-शूल-नैऋत्य 
मुहूर्त--- भद्रा
शुभ समय--प्रात: 7:29 से 10:29,दोपहर 11:59 से 1:29 तक   
  सुझाव--- नवरात्रि में प्रात: रामरक्षास्त्रोत का पाठ करने से घर में सुख-शान्ति आती है

Wednesday, October 17, 2012

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त

कल का दिन आप के लिए आनन्दमय रहें !माँ चंद्रघंटा (देवी का तीसरा रूप ) आपके जीवन को आनन्दमय करे! कल आप कुछ करने जा रहे है,तो रुकिए ये कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब समझने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर

अंग्रेजी तारीख --> 18
वार --गुरुवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु
अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--शुक्ल
तिथि-->तीज
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्हेज
तारीख--01
योग-- आनंद    
करण--- गर  
चंद्रमा-पुरे समय वृश्चिक का ! 
ग्रहयोग---नौरात्रि उत्सव,तुला में सूर्य !
दिन का पर्व---शरद नौरात्रि का तीसरा दिन,देवी के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी का पूजन,वैनायकी चतुर्थी व्रत  
दिशा-शूल-अग्नि
मुहूर्त-सर्वासिध्दी योग ! 
शुभ समय--सुबह 06.00 से 07.30, दोपहर 12:00 से03.00,शाम 04.30 से 06.00 तक!
सुझाव-- मछली को दाना ( भोजन ) देने से व्यापार वृध्दि होती है!

Tuesday, October 16, 2012

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त

कल का दिन आप के लिए सुखमय रहें !माँ भगवती की कृपा से आपके जीवन में उन्नति आये  !कल आप कुछ करने जा रहे है,तो रुकिए ये कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब समझने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर

अंग्रेजी तारीख --> 17
वार --बुधवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु
अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--शुक्ल
तिथि-->दूज
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--30
योग-- धूम्र   
करण--- कौलब 
चंद्रमा-तुला का रात्रि 12.09 से वृश्चिक का ! 
ग्रहयोग---नौरात्रि उत्सव !
दिन का पर्व---शरद नौरात्रि दूसरा दिन,देवी के दुसरे रूप ब्रम्हाचारणी देवी का पूजन  !
दिशा-शूल-उत्तर
मुहूर्त-व्यापार प्रारंभ मुहुर्त ,धार्मिक अनुष्ठान !
शुभ समय--सुबह 06.00 से 09.00, 10:30 से 12:00,शाम 04.30 से 06.00 तक!
 सुझाव-- कुत्ते को भोजन करने से व्यापार में उन्नति होती है!

नौ रात्रि में राशि अनुसार किस देवी का पूजन करे

 
 
 नौ रात्रि में राशि अनुसार किस देवी का पूजन करे
 





ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी !
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा नमोस्तुते !!
सृष्टी( संसार ) की उत्पत्ति के समय से जन्म -मृत्यु,जरा-ब्याधि,लाभ-हानि का चक्र चला आ रहा है ! मनुष्य आपत्ति-विपत्ति के समय अपने इष्ट देवता,कुलदेवता,गुरु अथवा अपने पितृ देवता के शरण में जाता है!
     त्रिपुर सुंदरी, राज-राजेश्वरी, ममतामयी माँ दुर्गा देवी, जिनके नौ रूपों के अतिरिक्त भी अनन्य रूप है, इन रूपों में से किसी भी रूप की शरण में जा कर भक्त माँ की अराधना करता है,  तो माँ अवश्य अपने भक्त को शरण में लेकर उसके कष्टों को दूर कर देती है,अत:भक्त ( मनुष्य ) ने माँ के शरण में जाकर उनकी अराधना  करना चाहिए! नौ रात्रि में राशि अनुसार माँ के किस रूप की अराधना करनी चाहिए, देखे -----------

मेष---> मेष राशि वाले जातक "माँ मंगला देवि" की अराधना करे !
           ॐ मंगला देवी नम:का जाप करे !
वृषभ---> वृषभ राशि वाले जातक "माँ कात्यायनी" की अराधना करे!
                   ॐ  कात्यायनी नम: का जाप करे !
मिथुन ---> मिथुन राशि वाले जातक "माँ दुर्गा" की अराधना करे !
                  ॐ दुर्गाये नम: का जाप करे  !
कर्क-----> कर्क राशी वाले जातक "माँ शिवाधात्री" की अराधना करे !
                   ॐ शिवाय नम: का जाप करे !
सिंह-----> सिंह राशि वाले जातक "माँ भद्रकाली" की अराधना करे!
                   ॐ कालरुपीन्ये नम: का जाप करे !
कन्या----> कन्या राशि वाले जातक "माँ जयंती" की अराधना करे !
                    ॐ अम्बे नम: या "ॐ जगदम्बे नम:" का जाप करे !
तुला-------> तुला राशि वाले जातक माँ के "क्षमा रुप" की अराधना करे
                ॐ दुर्गादेव्यै नम: का जाप करे !
वृश्चिक -----> वृश्चिक राशी वाले जातक "माँ अम्बे" की अराधना करे !
                   ॐ अम्बिके नम: का जाप करे !
धनु---------> धनु राशि वाले जातक "माँ दुर्गा" की अराधना करे !
                 ॐ  दूं  दुर्गाये नम: का जाप करे !
मकर-----> मकर राशि वाले जातक माँ के "शक्ति रूप" की अराधना करे !
                  ॐ दैत्य -मर्दिनी  नम: का जाप करे !
 कुम्भ ------>कुम्भ राशि वाले जातक "माँ चामुण्डा" की अराधना करे !
                ॐ चामुण्डायै नम:का जाप करे !
मीन ------> मीन राशि वाले जातक "माँ तुलजा" की अराधना करे !
                 ॐ तुलजा देव्यै नम:का जाप करे !
इन सरलतम जाप से जो भी भक्त माँ भगवती की अराधना करता है,माँ उस भक्त की हर मनोकामना पूर्ण  करती है!

Monday, October 15, 2012

नवरात्रि पर दुर्गा पूजा की संक्षिप्त विधि

नवरात्रि में कैसे करें मां दुर्गा का पूजन
नवरात्रि पर दुर्गा पूजा की संक्षिप्त विधि



मां जगदंबा दुर्गा देवी जो ममतामयी मां अपने पुत्रों की इच्छा पूर्ण करती है, ऐसी देवी मां का पूजन संक्षिप्त में प्रस्तुत है।

सबसे पहले आसन पर बैठकर जल से तीन बार शुद्ध जल से आचमन करे- ॐ केशवाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: फिर हाथ में जल लेकर हाथ धो लें। हाथ में चावल एवं फूल लेकर अंजुरि बांध कर दुर्गा देवी का ध्यान करें।

आगच्छ त्वं महादेवि। स्थाने चात्र स्थिरा भव।
यावत पूजां करिष्यामि तावत त्वं सन्निधौ भव।।

'श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:।' दुर्गादेवी-आवाहयामि! - फूल, चावल चढ़ाएं।
'श्री जगदम्बे दुर्गा देव्यै नम:' आसनार्थे पुष्पानी समर्पयामि।- भगवती को आसन दें।
श्री दुर्गादेव्यै नम: पाद्यम, अर्ध्य, आचमन, स्नानार्थ जलं समर्पयामि। - आचमन ग्रहण करें।
श्री दुर्गा देवी दुग्धं समर्पयामि - दूध चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी दही समर्पयामि - दही चढा़एं।
श्री दुर्गा देवी घृत समर्पयामि - घी चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी मधु समर्पयामि - शहद चढा़एं
श्री दुर्गा देवी शर्करा समर्पयामि - शक्कर चढा़एं।
श्री दुर्गा देवी पंचामृत समर्पयामि - पंचामृत चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी गंधोदक समर्पयामि - गंध चढाएं।
श्री दुर्गा देवी शुद्धोदक स्नानम समर्पयामि - जल चढा़एं।
आचमन के लिए जल लें,
श्री दुर्गा देवी वस्त्रम समर्पयामि - वस्त्र, उपवस्त्र चढ़ाएं।
श्री दुर्गा देवी सौभाग्य सूत्रम् समर्पयामि-सौभाग्य-सूत्र चढाएं।
श्री दुर्गा-देव्यै पुष्पमालाम समर्पयामि-फूल, फूलमाला, बिल्व पत्र, दुर्वा चढ़ाएं।
श्री दुर्गा-देव्यै नैवेद्यम निवेदयामि-इसके बाद हाथ धोकर भगवती को भोग लगाएं।
श्री दुर्गा देव्यै फलम समर्पयामि- फल चढ़ाएं।
तांबुल (सुपारी, लौंग, इलायची) चढ़ाएं- श्री दुर्गा-देव्यै ताम्बूलं समर्पयामि।
मां दुर्गा देवी की आरती करें।

कल का मुहुर्त

कल का दिन आप के लिए आनन्दमय रहें !माँ भगवती की कृपा से आपके जीवन में उन्नति आये  !कल आप कुछ करने जा रहे है,तो रुकिए ये कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब समझने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर

अंग्रेजी तारीख --> 16
वार --मंगलवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु
अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--शुक्ल
तिथि-->एकम
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--29
योग-- ध्वांश  
करण--- बव
चंद्रमा-तुला पुरे दिन 
ग्रहयोग---नौरात्रि
दिन का पर्व---शरद नौरात्रि प्रारंभ, देवी घट स्थापना दिवस !
दिशा-शूल-वायव्य
मुहूर्त-व्यापार प्रारंभ मुहुर्त,अग्न्याधान ,धार्मिक अनुष्ठान ,धान्य छेदन 
शुभ समय--सुबह 10:30 से 1:30 ,दोपहर 3:30 से 4 तक
  सुझाव-- चीटियों को बिस्किट का चुरा खिलाने से घर में खोई हुई सुख-सम्रद्धि वापस आती है !

Saturday, October 13, 2012

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त

--->कल का दिन आप के लिए आनन्दमय रहें !कल आप कुछ करने जा रहे है,तो रुकिए ये कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब समझने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर

अंग्रेजी तारीख --> 14
वार -- शनिवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु
अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--कृष्ण
तिथि--> चतुर्दशी ( चौदस )
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--27
योग-- मित्र 
करण---विष्टि
चंद्रमा-कन्या का पुरे दिन
ग्रहयोग---श्राद्ध पक्ष  
दिन का पर्व---चतुर्दशी का श्राद्ध !
दिशा-शूल--पश्चिम
मुहूर्त--सर्वसिध्दी योग !
शुभ समय--सुबह 09.00 से 12.00,दोपहर 01.25 से03.00तक !
  सुझाव--घर मेंजल का स्थान अग्नि कोण में रहने से घर में आर्थिक परेशानी आती है !

Friday, October 12, 2012

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त

--->कल का दिन आप के लिए शुभ रहें !कल आप कुछ करने जा रहे है,मकान या सम्पदा लेने जा रहे है,तो रुकिए ये कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब समझने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर
अंग्रेजी तारीख --> 13
वार -- शनिवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु
अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--कृष्ण
तिथि--> त्रयोदशी ( तेरस )
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--26
योग-- लुम्बस
करण---गर
चंद्रमा--सुबह सिंह का चंद्रमा शाम 05.22 से कन्या का चन्द्रमा !
ग्रहयोग---श्राद्ध पक्ष  
दिन का पर्व--- त्रयोदशी का श्राद्ध,शनिप्रदोष व्रत !
दिशा-शूल--पूर्व
मुहूर्त--संपदाक्रय,बीज वोवनी 
शुभ समय--सुबह 07.25 से 08.55,दोपहर 01.25 से04.25तक !
  सुझाव--घर में मलमूत्र का स्थान ( लेटरिंग,वाथरुम ) अग्नि कोण में रहने से घर का मालिक बीमार रहता है!

Thursday, October 11, 2012

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त

--->कल का दिन आप के लिए प्रगतिशील रहें !कल आप कुछ करने जा रहे है,मकान या सम्पदा लेने जा रहे है,तो रुकिए ये कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब समझने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर

अंग्रेजी तारीख --> 12
वार -- शुक्रवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु
अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--कृष्ण
तिथि--> ध्दाद्शी ( बारस )
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--25
योग-- सिध्द
करण--- तैतिल
चंद्रमा-- सिंह का चंद्रमा
ग्रहयोग---श्राद्ध पक्ष  
दिन का पर्व--- ध्दाद्शी का श्राद्ध,
दिशा-शूल--उत्तर
मुहूर्त-- कोई मुहुर्त नहीं !
शुभ समय--11.48 से 12.15 तक !
सुझाव--दो मकानों की मुख्य दीवाल एक दुसरे से लगी हुई नही होना चाहिए मालिक दुखी रहता है

चंद्र ने बनाया अमिताभ को सबका चहेता

चंद्र ने बनाया अमिताभ को सबका चहेता
अमिताभ बच्चन- हैप्पी बर्थ डे



अमिताभ का जन्म इलाहाबाद में प्रसिद्ध कवि हरिवंशराय बच्चन के यहां 11 अक्टूबर 1942 में हुआ, जब भारत गुलाम था। अमिताभ का जन्म जब हुआ, उस समय चंद्रमा तुला राशि पर परिभ्रमण कर रहा था। उसके प्रभाव के कारण ही अमिताभ अच्छी कद-काठी (लंबी हाइट) वाले है। कुंडली में बैठे चंद्र की स्थिति ने अमिताभ को आर्थिक सुख दिया एवं घर के प्रत्येक सदस्य का चहेता बनाया। चंद्र के कारण अमिताभ युवा अवस्था में लड़कियों के चहेते रहें।

कुंडली में सूर्य की स्थिति ने अमिताभ को दीर्घसूत्री बनाया। अमिताभ को जीवन में बहुत पराक्रम करना पड़ा, परंतु मंगल ने अपने कार्य के प्रति कृतज्ञ बनाया, इसी वजह से आज अमिताभ बच्चन इस मुकाम तक पहुंचे है। कुंडली में बुध की स्थिति ने अमिताभ के अन्य ग्रहों के कष्टों को भी खत्म किया, बुध के कारण ही अमिताभ दूसरों की सेवा और मदद करते रहें, परंतु स्वयं हमेशा रोगी रहें। मिथुन के बुध ने धनवान एवं बुद्धिमान बनाया।

अमिताभ के जन्म के समय गुरु कर्क राशि पर थे, जिसके कारण आज अमिताभ स्त्री, पुत्रादि तथा धन से संपन्न है। कुंडली में गुरु के प्रभाव के कारण ही अमिताभ आर्थिक और मानसिक सुखी है। इसी के साथ अपने पिता का नाम रोशन करने में सफल रहे एवं भोगी कम परोपकारी अधिक है। शुक्र ने भी अमिताभ को सुख दिया एवं अपने दर्शकों का हमेशा चहेते बनाएं रखा।


अमिताभ के जीवन में मनपसंद शादी (लव-मैरिज) के योग बने, यह योग कुंडली में बुध एवं शुक्र की स्थिति के कारण ही बना। शनि ने अमिताभ को तेज बुद्धि वाला एवं मृदु (मीठे) स्वभाव का बनाया।

शनि ने ही अमिताभ को राजनैतिक सुख प्रदान किया था। कुंडली में राहु की स्थिति के कारण पसली संबंधी ‍तकलीफ रही एवं बाद में भी हो सकती है। केतु भी आपको तकलीफ दे सकता है। अत: राहु-केतु की शांति कराना चाहिए।

अमिताभ का जन्म मंगल की महादशा में हुआ, जिसका भोग्यकाल 10 माह 14 दिन रहा। वर्तमान में बुध की महादशा चल रही है, जो 25.8.1996 से शुरू हुई एवं 25.8.2013 तक रहेगी। बुध की महादशा में 16.12.2010 शनि की अंतर्दशा चल रही है, जो की 25.8.2013 तक रहेगी। साथ ही केतु की महादशा 25.8.2013 से 25.8.2020 तक रहेगी।

अमिताभ के लिए नवंबर 2012 शुभ रहेगा, दिसंबर मध्यम रहेगा, जनवरी 2013 लाभप्रद रहेगा, फरवरी एवं मार्च स्वास्थ्य के लिए तकलीफदायक रहेगा, अप्रैल-मई सामान्य रहेगा, जून में बड़े प्रस्ताव आएंगे, जुलाई व अगस्त पुन: स्वास्थ्य के लिए तकलीफदायक रहेगा, सितंबर 2013 स्वास्थ्य में सुधार होगा एवं लाभप्रद रहेगा।

Wednesday, October 10, 2012

रेखा को गुरु ने बनाया विख्यात

रेखा को गुरु ने बनाया विख्यात
रेखा : जन्मदिन की शुभकामनाएं


रेखा का जन्म 10 अक्टूबर 1954 को चेन्नई में हुआ। रेखा ने फिल्मों में अपने अभिनय को इतना जीवंत निभाया कि दर्शकों के चहेते बनते चले गए।

रेखा के जन्म समय में चन्द्र वृश्चिक राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, जिसने रेखा को लोक विख्यात बनाया। कुंडली में चन्द्र की स्थिति के कारण रेखा ने अपने पराक्रम के द्वारा ख्याति एवं धन अर्जित किया। सूर्य ने रेखा को अच्छी उन्नति प्रदान की, परंतु कुंडली में मंगल की स्थिति ने रेखा को पारिवारिक सुख में कष्ट दिए अर्थात् रेखा अपनी गृहस्थी ठीक से नहीं निभा पाई।

मंगल ने रेखा को उग्र स्वभाव का भी बनाया। रेखा के जन्म समय में बुध कन्या राशि पर भ्रमण कर रहा था, जिसके प्रभाव से रेखा आर्थिक सुखी है। कुंडली में गुरु जिस भाव में बैठा है, उसके कारण आज रेखा यशस्वी, दार्शनिक, देश-विदेश में विख्यात है। गुरु ने भी रेखा को आर्थिक सुख प्रदान किया।

कुंडली में शुक्र की स्थिति ने रेखा को आर्थिक सुख तो प्रदान किया, परंतु कही-कही स्वजनों को बैरी भी बनाया। शनि स्वराशि में होने से रेखा ने फिल्मों में उच्च स्थान प्राप्त किया एवं उन्हें राजनिति में उच्च पद मिला। राहु एवं केतु कष्ट दे सकते हैं।

रेखा का जन्म शनि की महादशा में हुआ, जिसका भोग्यकाल 4 वर्ष 8 माह 7 दिन रहा। 17 जून 1993 से शुक्र की महादशा चल रही है जो 17 जून 2013 तक चलेगी। शुक्र की महादशा में 17 अप्रैल 2012 से केतु की अंतर्दशा चल रही है जो 17 जून 2013 को समाप्त होगी। शुक्र की महादशा समाप्त होने के बाद 17 जून 2013 से सूर्य की महादशा चलेगी, जिसकी अवधि 6 वर्ष रहेगी, अर्थात् 17 जून 2019 को समाप्त होगी।

नवंबर 2012 रेखा के लिए लाभप्रद रहेगा, दिसंबर सामान्य रहेगा। जनवरी 2013 तकलीफ वाला रहेगा, फरवरी एवं मार्च मध्यम रहेगा, अप्रैल ठीक रहेग, मई-जून कष्टप्रद हो सकता है, जुलाई धार्मिक आस्था वाला रहेगा, अगस्त सामान्य बीतेगा, सितंबर 2013 अच्छा रहेगा। रेखा ने पन्ना धारण करना चाहिए।

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त

--->कल का दिन आप के लिए मंगलमय रहें !कल आप कालेज में प्रवेश लेने जा रहे है,जल सम्बन्धी कार्य करने जा रहे है,मकान या सम्पदा लेने जा रहे है,तो रुकिए ये कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब समझने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर

अंग्रेजी तारीख --> 11
वार -- गुरुवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु
अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--कृष्ण
तिथि--> एकादशी 
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--24
योग-- अमृत 
करण--- वव
चंद्रमा---11.50 कर्क का चंद्रमा 11,50 से सिंह का चंद्रमा  
ग्रहयोग---श्राद्ध पक्ष  
दिन का पर्व--- एकादशी का श्राद्ध,इंदिरा एकादशी व्रत !
दिशा-शूल--अग्नि
मुहूर्त-- विधा-आरंभ मुहुर्त,संपदाक्रय,कुपखनन,विजवोवानी मुहुर्त !
शुभ समय--प्रात:06 से 07 .30 ,10 .दोपहर 12.00 से 03.00 ,शाम 4 .30 से 06 शाम तक !
  सुझाव--घर में एकादशी के दिन चावल नही बनाना चाहिए !

Tuesday, October 9, 2012

कल का मुहुर्त

कल का मुहुर्त --->कल का दिन आप के लिए प्रगतिशील रहें ! कल आप कुछ नया कार्य करने जा रहें है,कुछ लेने जा रहे है,तो रुकिए हर कार्य करने के पहले कुछ विचार करे एवं अच्छा समय देखे ,ये सब समझने के लिए हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढ़े !
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर
अंग्रेजी तारीख --> 10
वार -- बुधवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934 photo
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु
अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--कृष्ण
तिथि--> दशमी 
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--23
योग-- मातंग
करण--- वव
चंद्रमा---कर्क का चंद्रमा पुरे दिन   
ग्रहयोग---श्राद्ध पक्ष  
दिन का पर्व--- दशमी का श्राद्ध
दिशा-शूल--उत्तर
मुहूर्त-- पुरे दिन भद्रा
शुभ समय--प्रात:06 से 09 .00 ,10 .30 से 12 .00 दोपहर, 1 .30 ,दोपहर 3 ,4 .30 से 06 शाम तक !   
सुझाव--घर में मोरपंख रखने से नकारात्मक उर्जा घर में नही आती !  

Monday, October 8, 2012

कल का मुहुर्त

कल का दिन आप के लिए मंगलमय रहें! आपके जीवन में कल उन्नति रूपी सूरज का प्रकश आये,कल आप यात्रा करने जा रहें है ,कुछ लेने जा रहे है ,मरीज को इलाज के लिए ले जा रहे हो ,पूंजी निवेश करने जा रहें है ,तो हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढकर जाए !
 कल का मुहुर्त ---> अंग्रेजी सन -->2012
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर
अंग्रेजी तारीख --> 09
वार -- मंगलवार
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु

अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--कृष्ण
तिथि--> नवमी 
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--22
योग-- स्थिर
करण--- तैतिल
चंद्रमा---कर्क   
ग्रहयोग---श्राद्ध पक्ष  
दिन का पर्व--- नवमी का श्राद्ध 
दिशा-शूल--वायव्य
मुहूर्त--शल्य चिकित्सा ,यात्रा , पूंजी निवेश
शुभ समय--प्रात:10 .30 से दोपहर 1 .30 ,दोपहर 3 से 4 .30 तक   
सुझाव-- घर के मुख्य द्वार के सामने जूते-चप्पल रखने से नकारात्मक ऊर्जा घर में आती है! 

Sunday, October 7, 2012

कल का मुहूर्त

कल का दिन आप के लिए प्रगतिशील रहे ! आप कल कुछ लेने जा रहे है ,मरीज को इलाज के लिए ले जा रहे हो तो हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढकर जाए !
jain gahuli photo
 कल का मुहूर्त---> अंग्रेजी सन -->2012
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर
अंग्रेजी तारीख --> 8
वार -- सोमवार 
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु

अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--कृष्ण
तिथि--> अष्टमी
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--21
योग-- काल
करण---वालब
चंद्रमा---मिथुन का रात्रि 2 :43 से कर्क का    
ग्रहयोग---श्राद्ध पक्ष  
दिन का पर्व--अष्टमी का श्राद्ध,महालक्ष्मी पूजन 
दिशा-शूल--पूर्व
मुहूर्त--शल्य चिकित्सा ,यात्रा
शुभ समय--प्रात:6 से 7 :30 , 9 से 10 :30 , दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक   
सुझाव--श्राद्ध पक्ष में गाय, कुत्ते व कौए को भोजन खिलाने से पितृ प्रसन्न होते है !

Saturday, October 6, 2012

कल का मुहुर्त

कल का दिन आप के लिए प्रगतिशील रहे ! आप कल कुछ लेने जा रहे है ,मरीज को इलाज के लिए ले जा रहे हो तो हमारा कल का मुहुर्त कॉलम पढकर जाए !
 कल का मुहुर्त ---> अंग्रेजी सन -->2012
अंग्रेजी माह -->अक्टुम्बर
अंग्रेजी तारीख --> 7
शालिवाहन - सम्वंत- 2069
 शक सवंत--
1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु

अयन--दक्षिणायन
ऋतु--शरद
पक्ष--कृष्ण
तिथि--> सप्तमी
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--20
योग--ध्वांक्ष
करण--बव
चंद्रमा---मिथुन पुरे दिन    
ग्रहयोग---श्राद्ध पक्ष (विविध दोष ) 
दिन का पर्व--सप्तमी का श्राद्ध
दिशा-शूल--पश्चिम
मुहूर्त--पूंजी निवेश, प्रसूति स्नान , वाटिका रोपण ,शल्य चिकित्सा
शुभ समय--प्रात:8 :55 से 11 :55 तक दोपहर 1 :30 से 3 तक  
सुझाव--श्राद्ध पक्ष में पितरो के लिए तर्पण देने से पितरो का आशीर्वाद मिलता है एवं कुल की वृद्धि होती है !

Friday, October 5, 2012

कल का मुहूर्त

कल का दिन आप सभी के लिए शुभ हो,आप कल कुछ नया  कार्य करने जा रहे है,अथवा व्यापार प्रारंभ करने जा रहे है या भूमि का सौदा करने जा रहे है,तो हमारे कल का मुहुर्त कालम को अवस्य पढे
कल का मुहुर्त ---> शालिवाहन - सम्वंत- 2069

 शक सवंत-- 1934
 सम्वत्वसर का नाम- विश्र्वावसु

अयन--दक्षिणायनऋतु--शरद
पक्ष--कृष्ण
तिथि---छठ
हिजरी सन--1433
मुस्लिम माह--जिल्काद
तारीख--19
योग--वज्र 
करण---बव 
चंद्रमा---वृषभ ,रात्रि 12:17 से  मिथुन का   
ग्रहयोग---श्राद्ध पक्ष  
दिन का पर्व--षष्ठी का श्राद्ध
दिशा-शूल--ईशान
मुहूर्त--पूंजी निवेश
शुभ समय--प्रात: 7:30 से 9 :0 5 दोपहर 1 :30 से 4:30 तक
सुझाव--मुख्य द्वार पर अन्दर की ओर सीधे हाथ की तरफ  हल्दी से स्वस्तिक बनाने से घर में लक्ष्मी का वास रहता है !

श्राध्दपक्ष में कैसे करें पितृ को प्रसन्न

श्राध्दपक्ष में कैसे करें पितृ को प्रसन्न---> प्रत्येक मनुष्य की इच्छा रहती है कि वह एवं उसका परिवार सुखी एवं संपन्न रहें! मनुष्य ने अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए देवता के साथ-साथ अपने पितरो का भी पूजन करना चाहिए! कैसे करे पितृ पूजन--------

यहाँ पर पाठको की सुबिधा के लिए संक्षिप्त में सरल हिंदी भाषा में पजन ( तर्पण ) बिधि दे रहें है!  ( तर्पण ही पत्र पजन है!)
सर्वप्रथम अपने पास शुध्द जल,बैठने का आसन ( कुशा का हो ),बड़ी थाली या ताम्रण ( ताम्बे कि प्लेट ), कच्चा दूध,गुलाब के फुल ,फुल-माला, कुशा ,सुपारी, जों,काली तिल,जनेऊ इत्यादी पास में रखे!
आसन पर बैठकर तीन बार आचमन करे ॐ केशवाय नम:,ॐ माधवाय नम:,ॐ गोविन्दाय नम: आचमन के बाद हाथ धोकर अपने उपर जल छिडके अर्थात पवित्र हो,फिर गायत्री मन्त्र से शिखा बाँधकर तिलक लगाकर कुशे की पवित्री (अंगूठी बनाकर) अनामिका ऊँगली में पहन कर हाथ में जल ,सुपारी,सिक्का,फूल लेकर निम्न संकल्प ले !
अपना नाम एवं गोत्र उच्चारण करे फिर बोले अध् श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्
त्यर्थ देवर्षिमनुष्यपितृतर्पणम करिष्ये! !
फिर थाली या ताम्रण में जल,कच्चा दूध,गुलाब की पंखुड़ी डाले,फिर हाथ में चावल लेकर देवता एवं ऋषियों का आवाहन करे! स्वयं पूर्व मुख करके बैठे,जनेऊ को सव्य रखे! कुशा के अग्र भाग को पूर्व की ओर रखे,देवतीर्थ से अर्थात दाये हाथ की अंगुलियों के अग्रभाग से तर्पण दे, इसी प्रकार ऋषियों को तर्पण दे!
फिर उत्तर मुख करके जनेऊ को कंठी करके ( माला जैसी ) पहने एवं पालकी लगाकर बैठे एवं दोनों हथेलियों के बीच से जल गिरकर दिव्य मनुष्य को तर्पण दे,
इसके बाद दक्षिन मुख बैठकर,जनेऊ को दाहिने कंधे पर रखकर बाएं हाथ के नीचे ले जाये, थाली या ताम्रण में काली तिल छोड़े
फिर काली तिल हाथ में लेकर अपने पितरो का आवाहन करे!
ॐ आगच्छन्तु मे पितर इमम ग्रहन्तु जलान्जलिम ;
फिर पितृ तीर्थ से अर्थात अंगूठे और तर्जनी के मध्य भाग से तर्पण दे !
१. अपने गोत्र का उच्चारण करे एवं पिता का नाम लेकर तीन बार उनको तर्पण दे !
२. अपने गोत्र का उच्चारण करे , दादाजी (पितामह) का नाम लेकर तीन बार उनको तर्पण दे !
३. अपने गोत्र का उच्चारण करे पिताजी के दादाजी(प्रपितामह) का नाम लेकर तीन बार उनको तर्पण दे !
४.अपने नाना के गोत्र का उच्चारण करे ,नाना का नाम लेकर उनको तीन बार तर्पण दे !
५. अपने नाना के गोत्र का उच्चारण करे नाना के पिताजी(परनाना) का नाम लेकर तीन बार तर्पण दे !
६. अपने नाना के गोत्र का उच्चारण करे नाना के दादा (वृद्ध परनाना ) का नाम लेकर तीन बार तर्पण दे !
७. अपने नाना के गोत्र का उच्चारण करे नानी का नाम लेकर तीन बार तर्पण दे  !
८. अपने नाना के गोत्र का उच्चारण करे नानाजी की माँ (परनानी )  का नाम लेकर तीन बार तर्पण दे !
९. अपने नाना के गोत्र का उच्चारण करे नानाजी की दादी (वृद्ध परनानी )  का नाम  लेकर तीन बार तर्पण दे !
१०.अपने गोत्र का उच्चारण करे अपनी दिवंगत (जो स्वर्गवासी हो ) पत्नी से लेकर परिवार के सभी दिवंगत सदस्य का नाम लेकर तीन-तीन बार -तर्पण दे ! परिवार के साथ -साथ दिवंगत बुआ, मामा, मौसी, मित्र,एवं गुरु को भी तर्पण दे !
विशेष-->जिनके नाम याद नही हो,तो रूद्र,विष्णु,एवं ब्रम्हा जी का नाम उच्चारण कर ले!
इसके बाद भगवान सूर्य को जल चदाये!  फिर कंडे पर गुड घी कि धूप दे, धूप के बाद पाँच भोग निकले जो  पंचबलीकहलाती है!
१. गाय के लिए सव्य होकर पत्ते प्र्भोग लगाकर गाय को दे,
२. स्वान (कुत्ते) के लिए जनेऊ को कंठी करके पत्ते पर भोग लगाकर कुत्ते को दे,
कौओं के लिए ( ककाब्ली ) असावी होकर पृथ्वी पर भोग ल लगाकर कौओं को दे,
४.( देवादिबली ) देवताओ के लिए सव्य होकर पत्ते पर बोग अतिथि को दे,
५.पिपीलिका के लिए सव्य होकर पत्ते पर भोग लगाकर पिपीलिका को दे,
इसके बाद  हाथ में जल लेकर ॐ विष्णवे नम: ॐ विष्णवे नम: ॐ विष्णवे नम: बोलकर ये कर्म भगवान विष्णु जी के चरणों में छोड़ दे!
इस कर्म से आपके पत्र बहुत प्रसन्न होंगे एवं आपके मनोरथ पूर्ण करेंगे!

Wednesday, October 3, 2012

अक्टूम्बर २०१२ ज्योतिष की नजर से

अक्टूम्बर २०१२ ज्योतिष की नजर से--> परिभ्रमण संसार के चक्र के शत से चल रहा है,परिवर्तन भी समय के साथ-साथ चलता रहता है,ये दोनों
न हो तो संसार रुक जाये! इस संसार में स्थरता आ जाये ! अक्टूम्बर २०१२ में ग्रहों का परिभ्रमण एवं उनका राशि परिवर्तन का संसार पर क्या
असर पड़ता है जानिये ---------------------
 
अक्टूम्बर २०१२ में पाँच मंगलवार पड़ रहें है,इसके प्रभाव से कहीं रक्तपात होगा तथा कहीं छत्रभंग होने का भय रहेगा! सूर्य का तुला राशि में परिभ्रमण करने से उत्तर के देशो में सुभिक्ष ( शुभ ) फल देगा,पश्चिम के देशो में युध्द आदि की सम्भावना से भय का वातावरण रहेगा,दक्षिन एवं पूर्व
के देशो में पीड़ा एवं अशांति रहेगी! मंगल का वृश्चिक राशि में परिभ्रमण करने से सभी द्रव्य महंगे होंगे तथा शासको में क्रोध की अधिकता होगी,
शासको एवं जनता में टकराव होगा ! बुध का तुला राशि में परिभ्रमण करने से क्लेश,कलह,अशांति एवं का वातावरण बनेगा! शुक्र का सिंह राशि में परिभ्रमण करने से सोने के भाव में फर्क आएगा  , शनि का प्रभाव सामान्य रहेगा! १७ अक्तुम्वर को सूर्य अपनी राशि परिवर्तन कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा जिसके प्रभाव से पश्चिम के देशो में सुख होगा,उत्तर एवं पूर्व के देशो में कष्ट तथा बालको को पीड़ा रहेगी,दक्षिन के देशो में युध्द का भय रहेगा! २४ अक्टूम्बर को बुध अपनी राशि परिवर्तन कर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेगा! "बुधो वृश्चिक राशिस्थो सुभिक्षम तत्र धान्यानां लोकानां च शुभम भवेत् "!! अर्थात बुध का वृश्चिक राशि में परिभ्रमण करने से धान्य का सुभिक्ष होगा एवं लोंग सुखी होंगे एवं शांति होगी, घी, तेल के भाव में परिवर्तन आएगा! २३ अक्टूम्बर को शुक्र भी अपनी राशि परिवर्तन कर कन्या राशि में प्रवेश करेगा, शुक्र का कन्या राशि में परिभ्रमण करने से सभी धान्यो के भाव में परिवर्तन होगा,
इस मह की कुंडली को मौसम की द्रष्टि से देखे तो सूर्य के आगे बुध के होने से तेज वायु के साथ आंधी-तूफान की संभावना है! कुछ स्थानों में बादल के साथ छिटपुट बूंदाबांदी होगी! जम्मू-कश्मीर, हिमाचल-प्रदेश,हरियाणा,पंजाब,दि
ल्ली,राजस्थान,आसाम,गुजरात,उत्तरप्रदेश,मध्यप्रदेश,
उत्तराखंड में कुछ स्थानों में हलकी बूंदाबांदी होगी! ऋतु परिवर्तन के का अहसास होने लगेगा!

अक्टूम्बर २०१२ में ध्दादश राशियों का फलादेश



अक्टूम्बर २०१२ में  ध्दादश राशियों का फलादेश----> मेष राशि वाले जातको के लिए यह माह सामान्य रहेंगा! स्त्री पक्ष की प्रधानता रहेंगी,रोगी व्यक्ति  को रोग से राहत  मिलेगी व्यापार सामान्य रहेगा,नौकरी में स्थान परिवर्तन के योग है,धार्मिक कार्य में विघ्न आयेंगे! विधार्थी को पढाई
में अडचन आएगी! दि . १०,१५ शुभ है,४ अशुभ है!  गायत्री मंत्र के जाप लाभदायक है!
वृषभ-->वृषभ राशि वाले जातको के लिए यह माह भूमि-वाहन के लाभ वाला रहेगा! व्यापारी वर्ग को लाभ मिलेगा,नौकरी में उन्नति होगी, कृषि सामान्य लाभ देगी! शारीरिक कष्ट के योग है ध्यान रखे! पुराने विवाद में व्यय होगा,किसी मित्र से सहयोग प्राप्त करे लाभ मिलेगा ! दि.६,१८ शुभ है,
१४ अशुभ है! राधाकृष्ण की आराधना शुभ है!     
मिथुन-->मिथुन राशि वाले जातको के लिए यह माह आध्यात्मिक तरक्की वाला रहेगा! न्यायिक कार्यों में सफलता मिलेगी,परिवार से पूर्ण सहयोग
मिलेगा! व्यापार ठीक रहेगा, कृषि में भी अच्छा लाभ मिलेगा,नौकरी में अधिकारी खुश रहेंगे! दि.७,२१ शुभ है, ५ अशुभ है! श्री गणेश आराधना शुभ
है!
कर्क-->कर्क राशि वाले जातको के लिए यह माह मिश्रित फल वाला रहेगा! शत्रु पक्ष परास्त होंगे,व्यापार सामान्य रहेगा, कृषि मध्यम लाभ देगी,
नौकरी में मानसिक व्यग्रता बनी रहेगी, माता के पक्ष से सुख प्राप्त होगा,संतान की चिंता रहेगी! दि.१०,२४ शुभ है,३ अशुभ है! श्री सीताराम की सेवा
लाभप्रद है!
सिंह-->सिंह राशि वाले जातको के लिए यह माह सुख वाला रहेगा! माता से लाभ मिलेगा,कार्य की स्थिति उत्तम रहेगी, कृषि लाभ देगी, नौकरी में अधिकारी खुश रहेंगे! राजनैतिक स्थिति में सुधार होगा एवं लाभ मिलेगा! दि.२,१४ शुभ है,
कन्या-->कन्या राशि वाले जातको के लिए यह माह स्थान-परिवर्तन वाला रहेगा! विधार्थी को लाभ मिलेगा,इस माह परिश्रम अधिक रहेगा,नौकरी
में उन्नति होगी,कृषि कार्य में लाभ मिलेगा, स्वास्थ्य में सुधार होगा, व्यापार में लाभ मिलेगा, कृषि लाभ देगी! दि.२,१८ शुभ है,२० अशुभ है!
राधाकृष्ण की सेवा लाभप्रद है!
तुला-->तुला राशि वाले जातको के लिए यह माह मांगलिक कार्य वाला रहेगा! शत्रु पक्ष परास्त होगा,व्यापार में उन्नति होगी,नौकरी में अधिकारी
नाराज हो सकते है ध्यान दे, स्त्री को पीड़ा रहेगी, पारिवारिक तनाव रहेगा! दि.१५,२४ शुभ है, ३० अशुभ है! गायत्री मंत्र लाभदायक है!
वृश्चिक-->वृश्चिक राशि वाले जातको के लिए यह माह कष्ट-प्रद हो सकता है! व्यर्थ खर्च होगा, व्यापार में हानि हो सकती है,नौकरी में परेशानी आएगी, वाहन से हानि के योग बनते है! सहयोग में कमी आएगी, दि.६,२१ अशुभ है,५ अशुभ है! सीता राम की सेवा लाभप्रद है!
धनु-->धनु राशि वाले जातको के लिए यह विशेष कार्य में सफलता वाला रहेगा!नौकरी में उच्चपद प्राप्त होगा,राजनैतिक लाभ मिलेगा,व्यापार में लाभ मिलेगा, कृषि ठीक रहेगी,नौकरी में उन्नति रहेगी,स्वास्थ्य का ध्यान रखे दि.३,१५ शुभ है,७अशुभ है श्री राम सेवा लाभप्रद है!
मकर-->मकर राशि वाले जातको के लिए यह माह मुकदमे में सफलता वाला रहेगा! व्यापार में उन्नति होगी,माता को पीड़ा रहेगी, नौकरी में ध्यान दे, घर में मांगलिक कार्य होन्ग,परन्तु पारिवारिक बिरोध होगा, दि.६,९ शभ है,१९ अशुभ है! शिव आराधना शुभ है!
कुम्भ -->कुम्भ राशि वाले जातको के लिए यह माह मिश्रित फल वाला रहेगा! मांगलिक कार्य होगा,परिश्रम अधिक करना पड़ेगा, व्यापार सामान्य रहेगा, नौकरी में तकलीफ आएगी,कृषि घटा देगी,न्यायिक मुकदमो में सफलता मिलेगी दि.५.१० शुभ है,३ अशुभ है! गायत्री आराधना शुभ है!
मीन-->मीन राशि वाले जातको के लिए यह माह शारीरिक,मानसिक पीड़ा वाला रहेगा! वाहन यात्रा में नुकशान हो सकता है,स्वजनों से विरोध का सामना करना पड़ सकता है,व्यापार में सही लाभ नही मिलेगा,कृषि में नुकसान होगा,दि.४,१२ शुभ है, १६ अशुभ है! देवी जी की आराधना लाभप्रद रहेगी!