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Tuesday, December 28, 2010

tantr-- mantr--yantr

                  मनुष्य की जिज्ञासा हमेशा स्वस्थ्य रहने की रहती है! करे कुछ सिध्द  प्रयोग एवं रहे स्वस्थ्य आप भी
एवं अपने परिवार को भी स्वस्थ्य रखे!
                                जादू-- टोना-- निवारण मन्त्र
      ॐ काकलक-कपाल बज्र पर्वत लंक अलग-पलन्का !
       फलक फलीक यती की वाचा गुरु की सोचा सत्यों !
                कोई व्यक्ति जादू टोने से ग्रस्त है, एवं स्वस्थ्य नही रहता है! तो उपरोक्त मन्त्र का प्रयोग करे ! किसी नये वस्त्र का टुकड़ा लेकर रेंडी के तेल में तर करे!  एक थाली में पानी भरकर रखे, तेल में तर कपड़े को किसी चिमटे आदि से पकडकर रोगी के सिर से पाँव तक साथ बार उतारे एवं जलाएं व थाली के उपर कर लें ! जलते हुए तेल की बुँदे थाली के पानी में गिरनी चाहिये ! जब तक कपड़ा जलता रहे, उपयुक्त मन्त्र को पदते रहे जब तेल टपकनाबंद हो जाये ! तो उसे उसी पानी में बुझा दें! फिर इक्कीस बार -मन्त्र पढकर रोगी को फूंक मारे! इस किर्या से व्यक्ति सभी प्रकार के जादू टोने के दुष्प्रभाव से मुक्त हो जायेगा !         
     

Thursday, December 23, 2010

rahu ka dhdash bhavo me fal

             पिछले लेखो में आपने राहू का कुंडली में नवम भाव तक जातक पर प्रभाव देखा, आगे दशम भाव से ---ध्दाद्श -भाव तक राहू के रहने पर जातक पर शुभ -अशुभ प्रभाव देखिये!
दशम भाव -->राहू कुंडली  में दशम भाव में हो, तो जातक को लाभ देता है! कार्य सफल करने के साथ -साथ --
व्यवसाय कराता है! परन्तु मन्दमति, लाभहीन, अल्प्-संतति, अरिष्ट-नाशक भी बनाता है!
एकादश भाव -->राहू कुंडली  में एकादश भाव में हो, तो अनियमित कार्यकर्ता, मितव्ययी, अच्छा वक्ता बनाता है!
इसी के साथ आलसी, क्लेशी एवं चन्द्रमा से युक्ति हो, तो राजयोग दिलाता है!
ध्दाद्श भाव -->राहू कुंडली में ध्दाद्श भाव में हो, तो चिन्ताशील एवं विवेकहीन बनाता है!जातक परिश्रमी, सेवक के साथ कामी होता है, मुर्ख जैसा व्यवहार करता है!

Wednesday, December 22, 2010

rahu ka dhdash bhavo me fal

             प्रथम लेख में आपने देखा राहू का ध्दितीय भाव तक राहू का कुंडली में रहने पर जातक पर शुभ -अशुभ
प्रभाव! आगे देखे अन्य भाव में राहू का प्रभाव !
तृतीय भाव -->राहू जातक की कुंडली में तृतीय भाव में हो, तो योग्याभासी , विवेक को बनाये रखने वाला , प्रवासी ,
पराक्रम शून्य, अरिष्ट्नाशक के साथ बलवान, विद्वान एवं अच्छा व्यवसायी होता है !
चतुर्थ भाव --> राहू जातक की कुंडली मे चतुर्थ भाव में रहने पर असंतोष, दुखी, क्रूर एवं मिथ्याचारी (झूट पे चलने वाला) काम बोलने वाला बनाता है ! इसी के साथ पेट की बीमारी बनी रहती है एवं माता को कष्ट रहता है !
पंचम भाव-->  राहू जातक की कुंडली मे पंचम भाव मे रहने पर भाग्यशाली बनाता है !शास्त्र को समजने वाला होता है ! परन्तु  इसी के साथ मन्दबुध्दी हो सकता है! एवं धनहीन, कुटुंब का धन समाप्त करने वाला निकलता है !
षष्टम भाव --> जातक की कुंडली मे राहू षष्टम भाव मे रहता है ,तो जातक निरोगी, पराक्रमी एवं बड़े -बड़े कार्य करने
वाला रहता है !जातक अरिष्ट निवारक के साथ शत्रुहंता एवं कमरदर्द से पीडित रहता है !
सप्तम भाव --> जातक की कुंडली मे राहू सप्तम भाव मे रहता है तो व्यापार मे जातक को  हानि, एवं बात  रोग होता है !दुष्कर्म की प्रेरणा, चतुर के साथ लोभी एवं दुराचारी बनाता है! सबसे ज्यादा प्रभाव गृहस्त पर पड़ता है !श्त्री कष्ट अथवा स्त्रिनाशक बनाता है !
अष्टम भाव--> जातक की कुंडली मे राहू अष्टम  भाव मे जातक को हस्तपुष्ट  बनाता है! जातक गुप्तरोगी होता है ,व्यर्थ भाषण करने वाला, मुर्ख के साथ क्रोधी, उद्र्रोगी, एवं कामी  होता है! 
नवम भाव-->जातक की कुंडली मे राहू नवम भाव मे जातक को तीर्थ करने वाला एवं धर्मात्मा बनाता है !परन्तु इसके  विपरीत परिणाम भी  देता है! प्रवासी वातरोगी व्यर्थ परिश्रमी के साथ दुष्ट प्रवति का बनाता है !  

Tuesday, December 21, 2010

kundli me rahu ka hdsh bhavo me fal

                प्रत्येक जातक कि कुंडली मे ग्रह,स्थान ( भाव ) अनुसार जातक को फल देते है ! एवं विजय यश ,सम्मान, कीर्ति के साथ अपयश, अपव्यय, विनाशकारी बुध्दि, कीर्ति का ह्रास इस प्रकार दोनों तरह के फल देते
है! यह सब निर्भय करता है, ग्रह जातक कि लग्न कुंडली में किस भाव में बैठा है ! जानिये राहू के अलग -अलग
भाव में फल!
प्रथम भाव में ( लग्न )-->राहू यदि जातक कि कुंडली में प्रथम भाव में बैठा है, तो जातक को दुष्ट, मश्तक का रोगी , श्वार्थी एवं राजध्देशी के साथ नीच कर्म करने वाला, दुर्बल एवं कमी बनाता है!
ध्दितीय भाव में --> राहू जातक कि कुंडली में ध्दितीय भाव में बैठा है, तो जातक परदेश जाकर कमाता है! अल्प-
संतति, कुटुंब- हीन के साथ भाषा कठोर रहती है, धन का कम आगमन होता है (अल्प धनवान ) परन्तु समूह करने
कि आदत जातक में रहते है!

Monday, December 13, 2010

kundli me chturth bhav

                 जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव घर, वाहन, माता व सुख भाव का होता है ! इसी भाव से अंचल
       सम्पत्ति , भोतिक सुख सुविधा , तालाब , बावड़ी व घर का वातावरण जान सकते है ! इस भाव
       में विभिन्न प्रकार के सुख को जानिए गृह की उपस्थिति एवं उनकी द्रष्टि से !
१.    चतुर्थ भाव में बुध स्थित है एवं इसी भाव में शुभ ग्रहों की द्रष्टि पड़ रही है ! तो राजयोगी योग
       बनता है तथा जातक के घर में अनेक नोकर चाकर रहते है !
२.    चतुर्थ भाव में कारक गृह चन्द्रमा विराजमान है एवं यदि वह उच्च का या स्व राशी पर विराजमान
       है ! तथा उच्च ग्रहों की द्रष्टि इस भाव पर पड़ रही है तो जातक को सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते
      है ! 
३.   इस भाव में सूर्य शुभ नही माना गया है ! नीच सूर्य जातक को धनहिन , भूमिहीन बना देता है तथा 
      बार-बार जातक का स्थान परिवर्तन होता है ! सिंह का सूर्य इस भाव में शुभ होता है ! 
४.   चतुर्थ भाव में चंद्रमा स्थित होने पर एवं शुभ ग्रहों के द्रष्टि पड़ने पर साथ में शुक्र पर चन्द्रमा की
      द्रष्टि पड़ने पर जातक के पास अनेक वाहन होते है !
५.   चतुर्थ भाव में यदि राहू  केतु विराजमान है जातक को धार्मिक प्रवत्ति का बना देते है ! ये चतुर्थ
       भाव में मोन रहते है !
६.    शनि का चतुर्थ भाव जातक को वृद्धावस्था में चीड़ - चिड़ा एवं प्रिय या सन्यासी बना सकता है ! 
       एवं नीच का शनि भिखारी जेसी हालत कर सकता है !
७.    चतुर्थ भाव का शुक्र शुभ ग्रहों की द्रष्टि जातक को भोतिक सुख देता है ! कभी कभी ऐसे जातक
        का भाग्य  शादी के बाद उदय होता है !
८.     चतुर्थ भाव में मंगल जातक को अपराधी प्रवृति का बना देता है ! एवं सब कुछ तबाह कर देता है ! इसकी
       शांति अवश्य करना चाहिए ! ( जिन जातको रहे )
९.    चतुर्थ भाव में उच्च का वृहस्पति होना एवं शुभ ग्रहों की द्रष्टि उस पर पड़ रही हो तो जातक को राज्य से धन
       प्राप्ति का योग बनता है एवं उच्च पद पर विराजमान होता है ! नीच का गुरु परिवार एवं भाई से द्वेष या
       दुश्मनी करा सकता है !

Monday, November 29, 2010

ghrh nirman labh-hani :- jyotish ki nagar se

मकान मनुष्य की परम आवश्यक सम्पत्ति में से है ! प्रत्येक दम्पत्ति अपने कई वर्षो के कठिन परिश्रम से इस सपने को साकार करते है !
             देखे वास्तु ज्योतिष अनुसार मकान में क्या लाभ एवं हानि देते है , आपकी उन्नति केसे हो समझे ! घर लेते समय एवं निवास के बाद विशेष ध्यान रखें !
१.   किसी भी रास्ते अथवा गली का अंतिम मकान अशुभ होता है , यह कष्ट देने वाला होता है !( जहाँ रास्ता नही)
२.   एक ही दीवार से दो मकान बने हुए हो , तो वह यमराज के समान कष्ट देने वाले होते है ! मालिक कष्ट में रहता है !
३.   मकान पूर्व में उत्तर में हमेशा नीचा एवं पश्चिम में दक्षिण में उचा होना चाहिए ! मकान दक्षिण में यदि उचा है ,तो
      धनव्रद्धी एवं पश्चिम में नीचा है तो धन का नाश करते है !
४.   घर के चारो तरफ एवं में गेट के सामने कुछ जगह छोड़ना चहिये , जो कि लाभदायक रहती है !
५.   घर ऐसा बनाना चाहिये जिसमे मन्दिर के स्थान (देव स्थान) में सूर्य किरणे पढ़े वरना अशुभ होता है !
६.   हमेशा से याद रखे पश्चिम के तरफ पूर्व से जो मकान लम्बा होता है वह " सूर्य बेधी " कहलाता है एवं उत्तर से
      दक्षिण कि और वाला मकान " चन्द्र बेधी " कहलाता है शास्त्रों अनुसार चन्द्र बेधी मकान शुभ होता है ! मकान
      में यदि आप आंगन छोड़ते है , तो ध्यान रखे वह भी चन्द्र बेधी हो !
७.   मकान में कुछ भाग में मिट्टी अवश्य होनी चाहिये !
८.   पंचक में घर को लीपना ,पुताई करना जलाऊ लकड़ी लाना अशुभ होता है!(पंचक धनिष्ठा ,शतभिषा ,पु .भा . उ .भा .एवं रेवती के बीच रहता है !)
९.   नए घर में मेन गेट का विशेष ध्यान रखना चाहिये , क्योकि इसके टूटने से स्त्री को कष्ट होता है ! नये घर में
     कोई वस्तु टूट जाती है , तो घर में किसी सदस्य कि मोत या मोत समान कष्ट होता है!
१०.  घर में टूटी खाट , टूटे बर्तन , टूटे फूटे आसन एवं टूटी सायकल अथवा दुसरे वाहन अशुभ फल देते है !
११.  घर में कुत्ते नही पालना चाहिये !
१२.  घर के अंदर बड़े व्रक्ष नही होना चाहिये ! क्योकि बड़े व्रक्ष कि जड़ में सांप , बिच्छु अपना स्थान बनाते है जो कि
      अशुभ  होता है !
        इस प्रकार आपको घर बनाते समय उपरोक्त (चीजे ) नियम का ध्यान रखना चाहिये , ये सरलतम प्रयोग है , जो बिना किसी तोड़ -फोड़ के आपके लिए सरलतम तरीके से करने के प्रयोग है , आप करे एवं लाभांश उठाये !
        व्यक्ति ने हमेशा अपने भविष्य को शुभ मानकर मकान में सच्चे मन से प्रवेश करना चाहिये एवं शांति पूर्वक
 जीवन बिताना चाहिये     
           

Thursday, November 25, 2010

mangal pribhraman

नों ग्रह कुंडली पर जब परिभ्रमण करते है , तो जातक को शुभ अशुभ फल देते है ! भोम चन्द्र कुंडली अनुसार
जब भ्रमण करता है!  तो प्रत्येक भाव (स्थान) पर अलग अलग फल देता है ! जानिये !
प्रथम भाव में  >   परिजनों से द्वेष कराता है! रोग , आर्थिक तंगी , राज्याधिकारी से कष्ट तथा आयु की कमी करता है !
दुसरे भाव में >     शत्रुओ को बढ़ाता है एवं  शत्रुओ से नुकसान कराता है ! अधिक खर्च , धन की कमी एवं मानसिक
                         परेशानी देता है !
तीसरे भाव में >   धनागमन कराता है एवं स्वास्थ्य में लाभ देता है ! इच्छाओ की पूर्ति कराता है  तथा मान सम्मान
                        में बढ़ोतरी कराता है ! भोतिक सुख बढ़ाता है !
चोथे भाव में >   परिवार एवं समाज में मान सम्मान में बढ़ोतरी कराता है ! परन्तु दुश्मनों की बढ़ोतरी एवं बीमारी
                        बढ़ाता है !
पाचवे भाव में >  कष्ट कारक होता है ! रोग के साथ हानि एवं रिश्तेदारों से कष्ट देता है !
छटवें भाव में >   शत्रुओ पर विजय दिलाता है एवं कार्य में सफलता देता है ! मान  सम्मान की वृद्धी कराता है !
                          धनागमन के रास्ते बनाता है एवं भोतिक सुख सुविधाए देता है !
सातवे भाव में >   पत्नी से कलह कराता है ! अनेक प्रकार के रोग एवं आर्थिक तंगी देता है ! मंगल सप्तम भाव
                         में रहने पर मित्रो से झगड़ा करवाता है ! सतर्क रह कर कार्य करे ! 
आठवे भाव में >   बीमारी के साथ कमजोरी देता है एवं धन की हानि देता है ! व्यापार कम होता है !
नवम भाव में >   अस्त्र शस्त्रों से चोट पहुचता है ! जब भोम नवम भाव में हो तो यात्रा भी कष्टप्रद होती है ! सम्मान
                         में कमी होती है ! धन की हानि होती है !नवम भाव के भ्रमण में भोम दुर्घटना करा सकता है
                        लेकिन १५ डिग्री पर रहने से शुभ फल देता है !
दसवे भाव में  >   प्रत्येक कार्य में असफलता देता है ! बीमारी देता है ! वाहन न चलाये अथवा बचे !
ग्यारवे भाव में >  आर्थिक सम्पन्नता देता है एवं जातक को जमीन जायदाद दिलाता है ! भोतिक सुख में व्रद्धी
                         कराता है !
बारवे भाव में >  खर्च में बढ़ोतरी के साथ परेशानी देता है ! पत्नी से झगड़े एवं मानसिक कष्ट देता है ! कभी दूसरी
                        ओरतो से भी कष्ट देता है ! रिश्तेदारों से मन मुटाव एवं सम्मान में कमी कराता है !
                                                              उपाय एवं निदान 
                          मंगल जब अशुभ फल दे तो सरलतम उपाय करे ! मंगलवार के दिन तांबा , स्वर्ण , केशर ,मूंगा,
 लाल वस्त्र , लाल चन्दन ,लाल फुल , गेंहू ,गूढ़ , घी , मसूर की दाल ये सभी वस्तुए सूर्योदय के समय या सूर्योदय के दो घंटे के बीच शिव मंदिर या पंडित को दान करे !
             इसी के साथ ॐ अंगारकाय  नमहा के ११००० हजार जाप कराए !

Thursday, November 18, 2010

jai shri krishna

प्रातः उठते समय गुरु को प्रणाम करे ....

Wednesday, November 17, 2010

jai shri krishna

दिवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं

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             !!    जय श्री कृष्ण !!
                                                < शुक्र ग्रह का परिभ्रमण >
                शुक्र ग्रह जब चन्द्र कुंडली में परिभ्रमण करता है ,तो जातक को अलग -अलग भाव [स्थान] में अलग -अलग शुभ -अशुभ परिणाम देता है ! देखे किस भाव में क्या प्रभाव देता है !
१.  प्रथम भाव में >  वैवाहिक जीवन का आनद देता है ! बिधा मे पूर्णता एवं बच्चे का जन्म देता 
                                है ,नए पद की प्राप्ति होती है ! तथा पूर्ण मनोरंजन देता है !
२.  दुसरे भाव में >  धन की प्राप्ति देता है , परिवार की बढ़ोत्री, बच्चे का जन्म एवं अविवाहित का
                                विवाह तथा शुभ काम कराता है !
३.  तीसरे भाव में > पद की प्राप्ति तथा प्रभुत्व बढ़ता है ! एवं जातक को धन की प्राप्ति देता है !
४.चतुर्थ भाव में >   प्रभाव एवं प्रभुत्व को बढ़ाता है ! जातक को धन की प्राप्ति देता है , अच्छे
                                व्यक्ति से मित्रता कराता है , अविवाहित का विवाह कराता है , एवं काम के
                                क्षेत्र में धन की प्राप्ति देता है !
५.   पंचम भाव में > विवाहित दम्पति को बच्चे का सुख देता है ! शत्रुओ का नाश कराता है , बड़े अधिकारियो
                             से सम्मान  एवं समाज में मान सम्मान में बडोतरी देता है !
६.  षष्टम भाव में >   मानहानि कराता है ! खर्च में बडोतरी देता है एवं राज्य से नोकरी से खतरा बनता है !
७. सप्तम भाव में >  किसी से गलत सम्बन्ध कराता है ! पत्नी को बीमारी एवं नीच प्रवृति के लोगो से सम्बन्ध
                            करता है ! स्त्री  द्वारा धन हानि तथा गृहस्थी में तनाव देता है !
८. अष्टम भाव में > स्वास्थ्य को स्वस्थ्य रखता है! शरीर ठीक रहता है , धन लाभ देता है ! इसी के साथ
                           जमीन जायदाद की प्राप्ति देता है !
९. नवम भाव में > मानहानि एवं शारीरिक सुख देता है ! और भोतिक सुख की पूर्णता करता है ! गृहस्थ सुख
                           देता है !
१०.दशम भाव में > कष्ट पद जीवन एवं तनाव देता है , लेकिन दोस्तों के सहयोग से अपने कार्य करवाता है !
११.एकादश भाव में > पूर्ण भोतिक सुख देता है ! विपरीत लिंग से सम्बन्ध बनवाता है ! मानसिक सुख एवं आर्थिक
                             सम्पन्नता  देता है !
१२. द्वादश भाव में > सामान्य फल देता है , जीवन को जीने के लिए अच्छे कार्य दिलाता है ! बेरोजगार को रोजगार
                             दिलाता है ! 
                                                           सुझाव एवं उपाय  
                             शुक्र अशुभ फल दे तो शुक्रवार के दिन किसी कन्या को या एक आंख वाले व्यक्ति को
              सफेद कपड़ा ,चावल , शक्कर ,दही , सफेद चन्दन , अमेरिकन डायमंड का दान करे ! एवं किसी ब्रह्मण से
              या स्वयं मंत्र के ३६००० जप कराए !
    मंत्र   >        !!    ॐ द्राम द्रिम द्रोम सह शुक्राय नमह    !! 

Tuesday, November 16, 2010

तिथि अनुसार आहार -विहार ज्योतिष की नजर से . 
१     प्रतिपदा को कुष्मांड [कुम्हड़ा पेढा] न खाए . ये धन का नाश करता है !
२     दूज को व्रहली [ छोटा बैगन या  कटहरी ] खाना नही चाहिए !
३     तीज को परमल खाना नही चाहिए .यह शत्रुओ को बडाता है !
४     चतुर्थी को मुली नहीं खाना चाहिए .ये धन का नाश करता है !
५     पंचमी को बैल नहीं खाना चाहिए . ये कलंकित करता है !
६      छट के  दिन नीम की  पत्ती नहीं खाना चाहिए एवं दातुन नहीं करना चाहिए . ये करने से नीच की योनी
        प्राप्त  होती है !
७     सप्तमी के  दिन ताड़ का फल नहीं खाना चाहिए . ये खाने से रोग उत्पन्न होता है !
८    अष्टमी के दिन नारियल नहीं खाना चाहिए . ये खाने से बुद्धि का नाश होता है !
९    नोमी के दिन लोकी नहीं खाना चाहिए . ये गाय के मांस समान होता है !
१०  दशमी को कलाम्बी [परवाल ] नहीं खाना चाहिए . ये भी गाय के मांस समान होता है !
११  एकादशी को शिम्बी [सेम] नहीं खाना चाहिए .
१२  द्वादशी को [पोई] पुतिका नहीं खाना चाहिए .
१३ तेरस को बैगन नहीं खाना चाहिए . ये तीनो दिन उपरोक्त लिखी वस्तुए खाने से पुत्र का नाश होता है !
१४  अमावस्या , पूर्णिमा ,सक्रांति, चतुर्दशी और अष्टमी रविवार श्राद्ध तथा व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल ,
      लाल  रंग का साग तथा कांसे के पात्र मे भोजन नहीं खाना चाहिए  !
१५  रविवार के दिन अदरक नहीं खाना चाहिए !

१६   कार्तिक मास में बैगन एवम माघ मास में मुली का त्याग करना चाहिए  !
१७   अंजली से या खड़े होकर जल नही पीना चाहिए  !
१८  जो भोजन लढाई करके बनाया गया हो ,जिस भोजन को किसी ने लांघ दिया हो , जिस पर ऍम सी .वाली स्त्री
     की नजर पड़ गई हो तो वह भोजन नही करना  चाहिए  . ये राछस भोजन होता है !
१९  लक्ष्मी प्राप्त करने वाले को रत में दही और सत्तू नही खाना चाहिए  !यहाँ नरक  की प्राप्ति करता  है !

Thursday, November 11, 2010

तंत्र -मन्त्र -टोटके > मानव हमेशा नईउर्जा के साथ जीना चाहता है | जिससे वह हमेशा प्रसन्न रह सखे |एवं उन्नति /उर्जा /नई उमंग के लिए स्वस्थ रहने की परम आवश्कता है \ प्रतेक  विद्वान /डोक्टर बैध ने यही लिखा है स्वस्थ मानव बिना परेशानी के अपना मन किसी भी उदेश्य को पूर्ण करने मे लगा सकता है \ हमारे यहा कहावत है . पहला सुख निरोगी काया \ निरोगी काया को रखने के लिए अपनाये कुछ टोटके -क्योकि स्वस्थ शरीर मे ही एक स्वस्थ आत्मा निवास करती है \ ज्वर {बुखार }नाशक टोटका . यदि आपका ज्वर सरे उपाय कर लेने के बाद भी ठीक नही हो रहा है .तो प्रभु पवनपुत्र हनुमान जी केशरण मेजाय सूर्यास्त के बाद हनुमान जी के मंदिर मे जाकर प्रणाम करके उनके चरणों का सिंदूर ले आये \ फिर ये मन्त्र ७ बार पढ़कर मरीज के मस्तिक पर लगा दे . बुखार ठीक हो जायेगा . {२}सफेदआकडे {मदर }की जड़ को लाकर स्त्री की वाई एवं पुरुष की दाहिनी भुजा पर  बांध दे . एक दिन छोर कर आने बाला बुखार ठीक हो जायेगा \

Tuesday, November 2, 2010

Dipawali Mantra

दीपावली पर करे कुछ छोटे मन्त्र सिद्ध टोटके ॐ चंद्रिके स्वाहा / बट के निचे बैठकर १० हजार जप सूर्योदय से पहले समाप्त करे ओर उसी स्थान पर घी से १ हजार मन्त्र से हबन करे तो चन्दिकाप्रसन्न होकर अमृत प्रदान करती है | परन्तु यह फल उसको मिलता है जब मानव हर तरह से पवित्र है |

Monday, November 1, 2010

दीपावली पर करे तंत्र मन्त्र सिध्द इ संसार की रचना के साथ ही बहुँत चीजो का अविष्कार हुआ है जैसे  जैसे मनुष्य ने उन्नति की अपने स्वार्थ लाभांश प्रुशार्थ परोपकार  के लिए कुघ न कुघ खोजता रहा है इ आप करे दीपावली पर कुघ प्रयोग  .रोगी को ठीक करने के प्रयोग |कृष्ण पझ मई अमावस्या की रत १२     बजे नहा धोकर नीले रंग के वस्त्र पहने असके बाद आसन पर नीला कपड़ा बिझाकर पूर्व मुख करके बैठे .इसके पश्चात दीपक चोई    मुखी   जलाये ये सामानरख ली नीला कपडा सवा गज {चर्मिथर } चौमुखी दीपक ४०नग मिटटी की गडवी १नग सफ़ेद कुषा आसन १नग बत्तिय ५१नग छोटी इलायची ११दाने खरिक ५नग नीले कपडे का रुमाल १नग दिया सलाई १नग ग लोंग११दाने तेल सरसों १किलो इतर १शिशि गुलाब के फुल ५नग गेरू की डाली लाडू ११नग बिधि / नीले कपडे के चारो कोने मेलाडू लोंग इलायची ,खरीक बांध ले ,फिर मिटटी के बर्तन में पानी भरकर गुलाब के फुल भी बहा रख ले फिर निचे लिखा मन्त्र पड़े मन्त्र पड़ते समय लोहे की सलाई से अपने चारो ओर लकीर खिचे ,इ मन्त्र इस प्रकार है ॐ अनुरागिनी मैथन परये स्वाहा शुक्ल पझे जपे ध्व्न्तव द्र्यते जपत पेट मन्त्र चालीस दिन तक करते रही पानी मई अपनी छाया को देखे जब मन्त्र पूरा हो जाये  सब सामान पानी में दल दे इ अब जिसका इलाज करना है उसका न्न्नाम नाम लेकर मन्त्र को बोले रोगी अच्घ्हा हो जायेगा
 श्री गणेशाय नमः
दीपावली पर विशष प्रार्थना
दीपावली पर सामान्य पूजा करने के बाद पुरे परिवार सहित उत्साह  से त्यौहार को मनाया जाता हे . रात्रि में स्वयं या ब्राहमण द्वारा भगवती को मनाने के लिए कनक धारा श्री सुक्तम का पाठ करना चाहिए . इसी के साथ गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए . भगवान श्री हरी सहित
dipavalee par veshash 

Friday, October 29, 2010

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ra=&ea=&;a=ekuo dh ftKklk ges’kk LoLF; jgus dh jgrh gSaA LoLF; jgus ds fy;s djsa dqN iz;ksx ,oa jgsa LoLF;A LoLF; jgsa vki Hkh ,oa vius ifjokj dks lq[kh j[ksa Atknw&Vksuk fuokj.k ea=

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