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Monday, November 29, 2010

ghrh nirman labh-hani :- jyotish ki nagar se

मकान मनुष्य की परम आवश्यक सम्पत्ति में से है ! प्रत्येक दम्पत्ति अपने कई वर्षो के कठिन परिश्रम से इस सपने को साकार करते है !
             देखे वास्तु ज्योतिष अनुसार मकान में क्या लाभ एवं हानि देते है , आपकी उन्नति केसे हो समझे ! घर लेते समय एवं निवास के बाद विशेष ध्यान रखें !
१.   किसी भी रास्ते अथवा गली का अंतिम मकान अशुभ होता है , यह कष्ट देने वाला होता है !( जहाँ रास्ता नही)
२.   एक ही दीवार से दो मकान बने हुए हो , तो वह यमराज के समान कष्ट देने वाले होते है ! मालिक कष्ट में रहता है !
३.   मकान पूर्व में उत्तर में हमेशा नीचा एवं पश्चिम में दक्षिण में उचा होना चाहिए ! मकान दक्षिण में यदि उचा है ,तो
      धनव्रद्धी एवं पश्चिम में नीचा है तो धन का नाश करते है !
४.   घर के चारो तरफ एवं में गेट के सामने कुछ जगह छोड़ना चहिये , जो कि लाभदायक रहती है !
५.   घर ऐसा बनाना चाहिये जिसमे मन्दिर के स्थान (देव स्थान) में सूर्य किरणे पढ़े वरना अशुभ होता है !
६.   हमेशा से याद रखे पश्चिम के तरफ पूर्व से जो मकान लम्बा होता है वह " सूर्य बेधी " कहलाता है एवं उत्तर से
      दक्षिण कि और वाला मकान " चन्द्र बेधी " कहलाता है शास्त्रों अनुसार चन्द्र बेधी मकान शुभ होता है ! मकान
      में यदि आप आंगन छोड़ते है , तो ध्यान रखे वह भी चन्द्र बेधी हो !
७.   मकान में कुछ भाग में मिट्टी अवश्य होनी चाहिये !
८.   पंचक में घर को लीपना ,पुताई करना जलाऊ लकड़ी लाना अशुभ होता है!(पंचक धनिष्ठा ,शतभिषा ,पु .भा . उ .भा .एवं रेवती के बीच रहता है !)
९.   नए घर में मेन गेट का विशेष ध्यान रखना चाहिये , क्योकि इसके टूटने से स्त्री को कष्ट होता है ! नये घर में
     कोई वस्तु टूट जाती है , तो घर में किसी सदस्य कि मोत या मोत समान कष्ट होता है!
१०.  घर में टूटी खाट , टूटे बर्तन , टूटे फूटे आसन एवं टूटी सायकल अथवा दुसरे वाहन अशुभ फल देते है !
११.  घर में कुत्ते नही पालना चाहिये !
१२.  घर के अंदर बड़े व्रक्ष नही होना चाहिये ! क्योकि बड़े व्रक्ष कि जड़ में सांप , बिच्छु अपना स्थान बनाते है जो कि
      अशुभ  होता है !
        इस प्रकार आपको घर बनाते समय उपरोक्त (चीजे ) नियम का ध्यान रखना चाहिये , ये सरलतम प्रयोग है , जो बिना किसी तोड़ -फोड़ के आपके लिए सरलतम तरीके से करने के प्रयोग है , आप करे एवं लाभांश उठाये !
        व्यक्ति ने हमेशा अपने भविष्य को शुभ मानकर मकान में सच्चे मन से प्रवेश करना चाहिये एवं शांति पूर्वक
 जीवन बिताना चाहिये     
           

Thursday, November 25, 2010

mangal pribhraman

नों ग्रह कुंडली पर जब परिभ्रमण करते है , तो जातक को शुभ अशुभ फल देते है ! भोम चन्द्र कुंडली अनुसार
जब भ्रमण करता है!  तो प्रत्येक भाव (स्थान) पर अलग अलग फल देता है ! जानिये !
प्रथम भाव में  >   परिजनों से द्वेष कराता है! रोग , आर्थिक तंगी , राज्याधिकारी से कष्ट तथा आयु की कमी करता है !
दुसरे भाव में >     शत्रुओ को बढ़ाता है एवं  शत्रुओ से नुकसान कराता है ! अधिक खर्च , धन की कमी एवं मानसिक
                         परेशानी देता है !
तीसरे भाव में >   धनागमन कराता है एवं स्वास्थ्य में लाभ देता है ! इच्छाओ की पूर्ति कराता है  तथा मान सम्मान
                        में बढ़ोतरी कराता है ! भोतिक सुख बढ़ाता है !
चोथे भाव में >   परिवार एवं समाज में मान सम्मान में बढ़ोतरी कराता है ! परन्तु दुश्मनों की बढ़ोतरी एवं बीमारी
                        बढ़ाता है !
पाचवे भाव में >  कष्ट कारक होता है ! रोग के साथ हानि एवं रिश्तेदारों से कष्ट देता है !
छटवें भाव में >   शत्रुओ पर विजय दिलाता है एवं कार्य में सफलता देता है ! मान  सम्मान की वृद्धी कराता है !
                          धनागमन के रास्ते बनाता है एवं भोतिक सुख सुविधाए देता है !
सातवे भाव में >   पत्नी से कलह कराता है ! अनेक प्रकार के रोग एवं आर्थिक तंगी देता है ! मंगल सप्तम भाव
                         में रहने पर मित्रो से झगड़ा करवाता है ! सतर्क रह कर कार्य करे ! 
आठवे भाव में >   बीमारी के साथ कमजोरी देता है एवं धन की हानि देता है ! व्यापार कम होता है !
नवम भाव में >   अस्त्र शस्त्रों से चोट पहुचता है ! जब भोम नवम भाव में हो तो यात्रा भी कष्टप्रद होती है ! सम्मान
                         में कमी होती है ! धन की हानि होती है !नवम भाव के भ्रमण में भोम दुर्घटना करा सकता है
                        लेकिन १५ डिग्री पर रहने से शुभ फल देता है !
दसवे भाव में  >   प्रत्येक कार्य में असफलता देता है ! बीमारी देता है ! वाहन न चलाये अथवा बचे !
ग्यारवे भाव में >  आर्थिक सम्पन्नता देता है एवं जातक को जमीन जायदाद दिलाता है ! भोतिक सुख में व्रद्धी
                         कराता है !
बारवे भाव में >  खर्च में बढ़ोतरी के साथ परेशानी देता है ! पत्नी से झगड़े एवं मानसिक कष्ट देता है ! कभी दूसरी
                        ओरतो से भी कष्ट देता है ! रिश्तेदारों से मन मुटाव एवं सम्मान में कमी कराता है !
                                                              उपाय एवं निदान 
                          मंगल जब अशुभ फल दे तो सरलतम उपाय करे ! मंगलवार के दिन तांबा , स्वर्ण , केशर ,मूंगा,
 लाल वस्त्र , लाल चन्दन ,लाल फुल , गेंहू ,गूढ़ , घी , मसूर की दाल ये सभी वस्तुए सूर्योदय के समय या सूर्योदय के दो घंटे के बीच शिव मंदिर या पंडित को दान करे !
             इसी के साथ ॐ अंगारकाय  नमहा के ११००० हजार जाप कराए !

Thursday, November 18, 2010

jai shri krishna

प्रातः उठते समय गुरु को प्रणाम करे ....

Wednesday, November 17, 2010

jai shri krishna

दिवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं

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             !!    जय श्री कृष्ण !!
                                                < शुक्र ग्रह का परिभ्रमण >
                शुक्र ग्रह जब चन्द्र कुंडली में परिभ्रमण करता है ,तो जातक को अलग -अलग भाव [स्थान] में अलग -अलग शुभ -अशुभ परिणाम देता है ! देखे किस भाव में क्या प्रभाव देता है !
१.  प्रथम भाव में >  वैवाहिक जीवन का आनद देता है ! बिधा मे पूर्णता एवं बच्चे का जन्म देता 
                                है ,नए पद की प्राप्ति होती है ! तथा पूर्ण मनोरंजन देता है !
२.  दुसरे भाव में >  धन की प्राप्ति देता है , परिवार की बढ़ोत्री, बच्चे का जन्म एवं अविवाहित का
                                विवाह तथा शुभ काम कराता है !
३.  तीसरे भाव में > पद की प्राप्ति तथा प्रभुत्व बढ़ता है ! एवं जातक को धन की प्राप्ति देता है !
४.चतुर्थ भाव में >   प्रभाव एवं प्रभुत्व को बढ़ाता है ! जातक को धन की प्राप्ति देता है , अच्छे
                                व्यक्ति से मित्रता कराता है , अविवाहित का विवाह कराता है , एवं काम के
                                क्षेत्र में धन की प्राप्ति देता है !
५.   पंचम भाव में > विवाहित दम्पति को बच्चे का सुख देता है ! शत्रुओ का नाश कराता है , बड़े अधिकारियो
                             से सम्मान  एवं समाज में मान सम्मान में बडोतरी देता है !
६.  षष्टम भाव में >   मानहानि कराता है ! खर्च में बडोतरी देता है एवं राज्य से नोकरी से खतरा बनता है !
७. सप्तम भाव में >  किसी से गलत सम्बन्ध कराता है ! पत्नी को बीमारी एवं नीच प्रवृति के लोगो से सम्बन्ध
                            करता है ! स्त्री  द्वारा धन हानि तथा गृहस्थी में तनाव देता है !
८. अष्टम भाव में > स्वास्थ्य को स्वस्थ्य रखता है! शरीर ठीक रहता है , धन लाभ देता है ! इसी के साथ
                           जमीन जायदाद की प्राप्ति देता है !
९. नवम भाव में > मानहानि एवं शारीरिक सुख देता है ! और भोतिक सुख की पूर्णता करता है ! गृहस्थ सुख
                           देता है !
१०.दशम भाव में > कष्ट पद जीवन एवं तनाव देता है , लेकिन दोस्तों के सहयोग से अपने कार्य करवाता है !
११.एकादश भाव में > पूर्ण भोतिक सुख देता है ! विपरीत लिंग से सम्बन्ध बनवाता है ! मानसिक सुख एवं आर्थिक
                             सम्पन्नता  देता है !
१२. द्वादश भाव में > सामान्य फल देता है , जीवन को जीने के लिए अच्छे कार्य दिलाता है ! बेरोजगार को रोजगार
                             दिलाता है ! 
                                                           सुझाव एवं उपाय  
                             शुक्र अशुभ फल दे तो शुक्रवार के दिन किसी कन्या को या एक आंख वाले व्यक्ति को
              सफेद कपड़ा ,चावल , शक्कर ,दही , सफेद चन्दन , अमेरिकन डायमंड का दान करे ! एवं किसी ब्रह्मण से
              या स्वयं मंत्र के ३६००० जप कराए !
    मंत्र   >        !!    ॐ द्राम द्रिम द्रोम सह शुक्राय नमह    !! 

Tuesday, November 16, 2010

तिथि अनुसार आहार -विहार ज्योतिष की नजर से . 
१     प्रतिपदा को कुष्मांड [कुम्हड़ा पेढा] न खाए . ये धन का नाश करता है !
२     दूज को व्रहली [ छोटा बैगन या  कटहरी ] खाना नही चाहिए !
३     तीज को परमल खाना नही चाहिए .यह शत्रुओ को बडाता है !
४     चतुर्थी को मुली नहीं खाना चाहिए .ये धन का नाश करता है !
५     पंचमी को बैल नहीं खाना चाहिए . ये कलंकित करता है !
६      छट के  दिन नीम की  पत्ती नहीं खाना चाहिए एवं दातुन नहीं करना चाहिए . ये करने से नीच की योनी
        प्राप्त  होती है !
७     सप्तमी के  दिन ताड़ का फल नहीं खाना चाहिए . ये खाने से रोग उत्पन्न होता है !
८    अष्टमी के दिन नारियल नहीं खाना चाहिए . ये खाने से बुद्धि का नाश होता है !
९    नोमी के दिन लोकी नहीं खाना चाहिए . ये गाय के मांस समान होता है !
१०  दशमी को कलाम्बी [परवाल ] नहीं खाना चाहिए . ये भी गाय के मांस समान होता है !
११  एकादशी को शिम्बी [सेम] नहीं खाना चाहिए .
१२  द्वादशी को [पोई] पुतिका नहीं खाना चाहिए .
१३ तेरस को बैगन नहीं खाना चाहिए . ये तीनो दिन उपरोक्त लिखी वस्तुए खाने से पुत्र का नाश होता है !
१४  अमावस्या , पूर्णिमा ,सक्रांति, चतुर्दशी और अष्टमी रविवार श्राद्ध तथा व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल ,
      लाल  रंग का साग तथा कांसे के पात्र मे भोजन नहीं खाना चाहिए  !
१५  रविवार के दिन अदरक नहीं खाना चाहिए !

१६   कार्तिक मास में बैगन एवम माघ मास में मुली का त्याग करना चाहिए  !
१७   अंजली से या खड़े होकर जल नही पीना चाहिए  !
१८  जो भोजन लढाई करके बनाया गया हो ,जिस भोजन को किसी ने लांघ दिया हो , जिस पर ऍम सी .वाली स्त्री
     की नजर पड़ गई हो तो वह भोजन नही करना  चाहिए  . ये राछस भोजन होता है !
१९  लक्ष्मी प्राप्त करने वाले को रत में दही और सत्तू नही खाना चाहिए  !यहाँ नरक  की प्राप्ति करता  है !

Thursday, November 11, 2010

तंत्र -मन्त्र -टोटके > मानव हमेशा नईउर्जा के साथ जीना चाहता है | जिससे वह हमेशा प्रसन्न रह सखे |एवं उन्नति /उर्जा /नई उमंग के लिए स्वस्थ रहने की परम आवश्कता है \ प्रतेक  विद्वान /डोक्टर बैध ने यही लिखा है स्वस्थ मानव बिना परेशानी के अपना मन किसी भी उदेश्य को पूर्ण करने मे लगा सकता है \ हमारे यहा कहावत है . पहला सुख निरोगी काया \ निरोगी काया को रखने के लिए अपनाये कुछ टोटके -क्योकि स्वस्थ शरीर मे ही एक स्वस्थ आत्मा निवास करती है \ ज्वर {बुखार }नाशक टोटका . यदि आपका ज्वर सरे उपाय कर लेने के बाद भी ठीक नही हो रहा है .तो प्रभु पवनपुत्र हनुमान जी केशरण मेजाय सूर्यास्त के बाद हनुमान जी के मंदिर मे जाकर प्रणाम करके उनके चरणों का सिंदूर ले आये \ फिर ये मन्त्र ७ बार पढ़कर मरीज के मस्तिक पर लगा दे . बुखार ठीक हो जायेगा . {२}सफेदआकडे {मदर }की जड़ को लाकर स्त्री की वाई एवं पुरुष की दाहिनी भुजा पर  बांध दे . एक दिन छोर कर आने बाला बुखार ठीक हो जायेगा \

Tuesday, November 2, 2010

Dipawali Mantra

दीपावली पर करे कुछ छोटे मन्त्र सिद्ध टोटके ॐ चंद्रिके स्वाहा / बट के निचे बैठकर १० हजार जप सूर्योदय से पहले समाप्त करे ओर उसी स्थान पर घी से १ हजार मन्त्र से हबन करे तो चन्दिकाप्रसन्न होकर अमृत प्रदान करती है | परन्तु यह फल उसको मिलता है जब मानव हर तरह से पवित्र है |

Monday, November 1, 2010

दीपावली पर करे तंत्र मन्त्र सिध्द इ संसार की रचना के साथ ही बहुँत चीजो का अविष्कार हुआ है जैसे  जैसे मनुष्य ने उन्नति की अपने स्वार्थ लाभांश प्रुशार्थ परोपकार  के लिए कुघ न कुघ खोजता रहा है इ आप करे दीपावली पर कुघ प्रयोग  .रोगी को ठीक करने के प्रयोग |कृष्ण पझ मई अमावस्या की रत १२     बजे नहा धोकर नीले रंग के वस्त्र पहने असके बाद आसन पर नीला कपड़ा बिझाकर पूर्व मुख करके बैठे .इसके पश्चात दीपक चोई    मुखी   जलाये ये सामानरख ली नीला कपडा सवा गज {चर्मिथर } चौमुखी दीपक ४०नग मिटटी की गडवी १नग सफ़ेद कुषा आसन १नग बत्तिय ५१नग छोटी इलायची ११दाने खरिक ५नग नीले कपडे का रुमाल १नग दिया सलाई १नग ग लोंग११दाने तेल सरसों १किलो इतर १शिशि गुलाब के फुल ५नग गेरू की डाली लाडू ११नग बिधि / नीले कपडे के चारो कोने मेलाडू लोंग इलायची ,खरीक बांध ले ,फिर मिटटी के बर्तन में पानी भरकर गुलाब के फुल भी बहा रख ले फिर निचे लिखा मन्त्र पड़े मन्त्र पड़ते समय लोहे की सलाई से अपने चारो ओर लकीर खिचे ,इ मन्त्र इस प्रकार है ॐ अनुरागिनी मैथन परये स्वाहा शुक्ल पझे जपे ध्व्न्तव द्र्यते जपत पेट मन्त्र चालीस दिन तक करते रही पानी मई अपनी छाया को देखे जब मन्त्र पूरा हो जाये  सब सामान पानी में दल दे इ अब जिसका इलाज करना है उसका न्न्नाम नाम लेकर मन्त्र को बोले रोगी अच्घ्हा हो जायेगा
 श्री गणेशाय नमः
दीपावली पर विशष प्रार्थना
दीपावली पर सामान्य पूजा करने के बाद पुरे परिवार सहित उत्साह  से त्यौहार को मनाया जाता हे . रात्रि में स्वयं या ब्राहमण द्वारा भगवती को मनाने के लिए कनक धारा श्री सुक्तम का पाठ करना चाहिए . इसी के साथ गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए . भगवान श्री हरी सहित
dipavalee par veshash