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Wednesday, April 11, 2012

vastu se kre grh nirman

वास्तु से करे ग्रह निर्माण :-  प्रत्येक  परिवार की पहली आवश्यकता होती है, अपना स्वयं का घर! मध्यमवर्ग इस सपने को सजोने के लिए जीवन भर संघर्ष करता है! जिस समय यह सपना सच होने जा रहा हो,तो हमे वह घर पूर्ण रूप से समृध्दी दे ,इसका ध्यान रखते हुए वास्तु से करे ग्रह निर्माण!
           भूमि पर ग्रह निर्माण करते समय यह ध्यान रखे की भूमि (प्लाट) के अग्नि कोण मे पाक ग्रह (रसोई ग्रह ),दक्षिण मे शयन ग्रह नेर्यत्त्र कोण मे अस्त्र शस्त्रागार पश्चिम मे भोजन करने का ग्रह , वायव्य कोण मे धन रखने का ग्रह ,ईशान मे देवालय एवं उत्तर मे जल रखने का ग्रह ,उत्तरपूर्व के  मध्य बाथरूम होना चाहिए !दूध, दही ,घी ,सिरका,आचार का स्थान पाकशाला मे या पाकशाला के बगल मे होना चाहिए! श्रृंगार एवं औषधि सामग्री शयन ग्रह के बगल मे होना चाहिए !विद्यार्थी के पढने का कमरा देवालय के बगल मे होना चाहिए !घर के पास बड़,पीपल ,इमली ,कैथ ,निम्बू ,कांटे वाले एवं दूध वाले वृक्ष नै होना चाहिए! इनके होने से धन की हानि होती है! विशेषकर घर के दक्षिण और पश्चिम  भाग मे इनका होना निश्चित है!
             कुआ एवं जल  का स्थान मुख्य ध्दार से पूर्व ईशान ,उत्तर अथवा पश्चिम मे होने से धन प्राप्त होता है !
सोभाग्य  में बढ़ोत्री होती है! अग्निकोण में सन्तान हानि, दक्षिण में ग्रहिणी नाश, नेरत्य कोण में ग्रह मालिक का नाश एवं वायु कोण में भय, चिंता बनी रहती है!
भवन में स्तम्भ लगाना पड़ते है, अत:स्तम्भ लगाने की आवश्यकता हो, तो स्तम्भ सम संख्या में लगवाना चाहिए!इनकी संख्या यदि विषम हो, तो अशुभ फल देते है!
पूर्ण रूप से उपरोक्त विधि को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण करने से घर में सुख समृध्दी यश, वैभव शांति प्राप्त होती है!

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