गणगौर उत्सव राज्यस्थान एवं निमाड़ का चेत्र वदी ११ से इस त्यौहार की शुरुवात होती है. अमावस्या को घुन्घरती है.( विशेष भोग लगता है,लापसी एवं गुड का)
एवं चेत्र सुदी २ के दिन पाठ बैठती है, मतलब श्रंगार होता है, माता जी का ! चेत्र सुदी ३ को विशेष पूजन होता यह दिन
गणगौर तीज के नाम जाना जाता है. इस दिन महिलाये गणगौर का पूर्ण मन से पूजन करती है! फिर विसर्जन होता है!
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