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Monday, January 2, 2012

2012 me aapki rashi


कन्या :
कन्या राशि वाले जातकों के लिए यह वर्ष साढ़ेसाती के आखरी ढैय्या वाला रहेगा। कन्या राशि फाल्गुनी नक्षत्र के ‍तीन चरण हस्त नक्षत्र एवं चित्रा के दो चरणों के संयोग से बनी है। कन्या राशि का स्वामी बुध ग्रह है। इस राशि का स्वाभव द्विस्वभाव है। यह शीर्षोदय राशि है। यह रजोगुणी राशि है। कन्या में जन्मे पुरुष परिश्रमी, विष्याक्त, विघ्न-बाधाओं पर साधारण रूप से विजय प्राप्त करने वाले होते है। कन्या राशि वाले जातक अपने परिवार के प्रति नि:स्वार्थ समर्पित रहते है। तेज, प्रकृति व असहनशीलता वाले होते है।

इस साल कन्या राशि वाले जातकों को कर्ज से मुक्ति, सुख शांति के साथ जीवन स्तर सुधरता नजर आएगा। शनि के परिवर्तन से धन में बढ़ोतरी, प्रॉपर्टी में वृद्धि होगी। परंतु लालच में आकर किसी के कहने से नुकसान न करें। सोच कर निर्णय लें। किसी भी प्रकार का गलत सहारा न लें। सुख शांति आएगी।

14 मई 2012 से गुरु का राशि परिर्वतन अनेक खुशियां लेकर आएगा। आरोग्यता, उमंग, कामकाज में रुचि बढ़ेगी। कुटुंब व रिश्तेदारों से हानि के योग बनेंगे। राजनैतिक उलटफेर का सामना करना पड़ सकता है। किसान एवं व्यापारी वर्ग के लिए अच्छा समय रहेगा। इस वर्ष गुरु विशेष आराध्य रहेंगे।

तुला :
तुला राशि चित्रा नक्षत्र के दो चरण स्वाति नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र के तीन चरणों के संयोग से बनी है। तुला राशि के स्वामी शुक्र है। यह राशि चर होकर शीर्षोदय है। इसका तत्व वायु एवं धातु समधा है। यह दिन में बलशाली रहती है।

तुला राशि में जन्मे जा‍तक ईमानदार, सत्यप्रिय, न्यायवादी, प्रलोभनरहित, त्यागी स्वभाव के होते हैं। शांति प्रिय एवं अपने परिजनों से स्नेह भाव रखने वाले होते है। तुला राशि वाले जातकों के लिए यह वर्ष दूसरे (शनि का) ढैय्या वाला रहेगा। भाग्योदय की शुरुआत होगी। शां‍ति व सुख की समानता के साथ वर्ष ‍बीतेगा। स्त्रियां व्यर्थ्य उलझनों से बचें। मन में भावना संकल्प, आत्मविश्वास की कमी एवं मित्रों के प्रति संवेदना का प्रयास व्यर्थ जा सकता है। दूसरों की उलझनों में न पड़े।

14 मई 2012 को गुरु अष्‍टम भाव में आने से रोग भय रहेगा। वृद्धों को अधिक तकलीफ हो सकती है। धर्म के प्रति आस्था, तीर्थ के योग बनेंगे। सामान्य लाभ मिलेगा। पारिवारिक या अन्य प्रसंग में अतिव्ययता रहेगी। बुद्धि बल में चंचलता रहेगी। पत्नी से लाभ, कुछ कर्ज की स्थिति हो सकती है। ध्यान दें। प्रेम संबंध में खटास के योग बनते हैं। पार्टनरशिप वाले बिजनेस में ध्यान दें। मनमुटाव की स्थि‍ति आ सकती है। वर्षांत में सफलता। इस वर्ष राहु-केतु आराध्य है।

वृश्चिक :
वृश्चिक राशि वाले विशाखा नक्षत्र के एक चरण, अनुराधा नक्षत्र एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के संयोग से बनी है। वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल ग्रह है। वृश्चिक स्थिर स्वभाव की राशि है। यह शीर्षोदय राशि है, इसका तत्व जल एवं धातु कफ है।

वृश्चिक राशि में जन्मे जातक कठोर, परिश्रम‍ी, चरित्रवान, ईमानदार, अपनी वाणी और दृढ़शक्ति में खरे और जिद्दी होते है। ये जातक विप‍रीत परिस्थितियों को अनुकूल बनाने में अत्यंत चतुर होते है। इस राशि के जातक राष्ट्र भक्त भी होते है। वृश्चिक राशि वालों के लिए यह वर्ष प्रथम शनि के ढैय्या वाला रहेगा। मान-सम्मान, प्रयत्न द्वारा सफलता मिलेगी। तीर्थयात्रा का योग बनेगा। गृहस्थ में मन लगेगा। शत्रु विरोधी भावना उत्पन्न होगी। रिश्तेदारों से नुकसान के योग, शारीरिक कष्ट, पेट संबंधी विकार के योग, स्वार्थ सिद्धि के चक्कर में तंत्र से बचे। पड़ोसी से टकराव की स्थिति पैदा हो सकत‍ी है। पत्नी की चिंता रहेगी।

अपनी शक्ति के बाहर के (बड़े भारी) कार्य न करें। अधिक खर्च, कम लाभ, नौकरी में भी झंझट हो सकती है। राजनैतिक सफलता मिलेगी। स्त्री को संतान की चिंता, अनुचित कार्य की संभावना, ध्यान रखें। 13 मई 2012 से गुरु का परिवर्तन गृहस्थ सुख देगा। नौकरी एवं व्यापार में अनुकूल वातावरण रहेगा। वाहन चलाते समय आप सावधानी रखें। इस वर्ष शनि-राहु की शांति कराएं।

धनु :
धनु राशि मूल, पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा के प्रथम चरण के संयोग से बनी है। इस राशि का स्वामी गुरु ग्रह है। यह द्विस्वभाव की राशि होकर पृष्ठोदय है। इसका तत्व अग्नि, धातु प्रिय है। धनु राशि वाले जातक सामंजस्य स्वभाव वाले रहते है एवं स्थिरता पर ध्यान देते हैं। हर जगह अपनी छवि बनाने में माहिर रहते हैं।

धनु राशि वालों के लिए यह वर्ष मिश्रित फल रहेगा। संतान से सुख, धर्म लाभ अनेक तरह से लाभ मिलेगा, कुटुंब से कुछ असंतोष, चिंता का वातावरण, स्त्रियों को सौभाग्य सुख, कन्या के विवाह के योग बनेगे। शांति में वृद्धि होगी। धर्म लाभ मिलेगा। नौकरी में परिवर्तन के योग तथा व्यापार-व्यवसाय में बड़े उतार-चढ़ाव का दौर रहेगा। इस वर्ष सावधानीपूर्वक रहें। किसी भी प्रकार की भावुकता में न आएं। मन में द्वेष, कपटी, चतु‍र लोगों से बचें। पेट एवं दांत संबंधी तकलीफ रहेगी।

13 मई 2012 से गुरु परिवर्तन के कारण दुख-दर्द, स्त्री के कारण मन विचलित रहेगा। नौकरी वालों को सुख, व्यापारियों को नुकसान के योग है। वर्षां‍त में लाभ मिलेगा। सम्मान में कमी महसूस होगी। विद्यार्थियों के लिए समय मध्यम रहेगा। कृषकों के लिए कर्ज से मुक्ति दिलाएगा। नेताओं के लिए अच्छा है। राहु एवं गुरु वर्षा में आराध्य है। शांति के लिए पूजन, जाप करें।

मकर :
 
मकर राशि में उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के तीन चरण, श्रवण और घनिष्ठा नक्षत्र के दो चरण सम्मिलित रहते है। मकर राशि के स्वामी शनि देव है। मकर राशि पर चर और पृष्ठोदय है। इसका तत्व पृथ्वी एवं धातु तत्व है। मकर राशि का बल समय रात्रि एवं दिशा दक्षिण है। मकर राशि के जा‍तक सामाजिक गुण प्रधान होते है। ये दूसरों से बदला लेने में माहिर होते है। कठोर, जिद्दी होते है। वैवाहिक जीवन में सुख के साधन सशक्त रूप से प्राप्त होते है।

मकर राशि वालों के लिए यह वर्ष श्रेष्ठ उपलब्धि वाला, सुख, धन लाभ, भूमि वाहन, भवन सुख, रोजगार में पदोन्नति वाला रहेगा। शनि महान साहस, पराक्रम देगा। कुटुंब परिवार में विशेष व्यय के साथ नगर-ग्राम में मान-सम्मान दिलाएगा। परं‍तु पाप कर्म के प्रति अहंकार वाले गुण त्यागना होगा। चिंता शत्रु भय सताएगा। स्वास्थ्य खराब, ह्रदय दर्द या ह्रदय संबंधी तकलीफ हो सकत‍ी है, ध्यान रखें। इस साल कोई ऐसा कार्य करें, जिससे ख्याति प्रा‍प्त हो। सुख लाभ मिलने के योग। अचानक लाभ के योग।

वर्षारंभ में व्यय, उत्तरार्द्ध में लाभ होगा। माता-पिता की चिंता के साथ व्यस्तता बढ़ेगी। 13 मई 2012 से गुरु परिवर्तन से शौर्य-बल मिलेगा। संतान से सुख प्राप्त होगा, धन वृद्धि व शिष्य के प्रति आस्था एवं पुण्य संचय का योग। वर्ष में गुरु आराध्य है। गुरु जाप, शांति, अनुष्ठान से साल अच्छा रहेगा।

कुंभ :
कुंभ राशि घनिष्ठा नक्षत्र के दो चरण शतभिषा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के तीन चरणों के योग से बनी है। इसके राशि स्वामी शनिदेव है। यह स्थिर एवं शीर्षोदय होकर वायु तत्व प्रधान है। राशि वायु तत्व प्रधान होने के ‍कारण वात प्रकृति के जा‍तक होते है। इस राशि के जातक चिंतन, अथक पराक्रमी, दूरदर्शी, चंचल प्रवृत्ति, ओजस्वी और अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित और अधिक कामी होते है।

कुंभ राशि वालों की इस वर्ष 3 नवंबर 2011 से शनि की पनोती उतर रही है। कर्तव्यनिष्ठा, साहस के द्वारा विजय मिलेगी। दिनचर्या के साथ स्वकर्म में जागरूकता लाना जरूरी होगी। धर्म से विशेष लाभ मिलेगा, परंतु अपने लक्ष्य पर डटे रहे। व्यापारियों की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। नौकरी में प्रतिष्ठा के साथ पदोन्नति होगी। अविवाहितों के विवाह होंगे। कुटुंब, परिवार से सुख प्राप्त होगा। रोग व्याधि से छुटकारा मिलेगा।

13 मई 2012 से गुरु परिवर्तन वाहन योग के साथ भूमि, मकान का सुख देगा। नगर में प्रतिष्ठा बढ़ेगी। तीर्थ यात्रा के साथ अन्य शुभ कार्य में व्यय अधिक होगा। उलझनों, बंधनों से मुक्ति मिलेगी। गुरु का पूजन वर्ष में लाभप्रद है।

मीन :
मीन राशि पूर्वाभाद्रपद के चतुर्थ चर, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र के संयोग से बनी है। मीन राशि के स्वामी गुरु देव है। म‍ीन राशि तत्व जल धातु कफ है। मीन राशि के जा‍तक, जल प्रवासी, स्वच्छ ह्रदय और एकाकी प्रवृत्ति के होते है। हमेशा अपने लक्ष्यों के प्राप्ति के लिए योजनाओं में उलझे रहते हैं। मित्रों से हानि ज्यादा होती है।

इस वर्ष शनि की पनोती ढैय्या होने के कारण शोक, दु:ख, संकट, अति व्यय होगा। वृद्धों का सहयोग नहीं मिलेगा। अनेक जवाबदारी सिर पर आ जाएगी। कर्तव्यनिष्ठ बनना पड़ेगा। सोचे हुए काम में विलंब, अशांति महसूस करेंगे।

पुण्य, धर्म, कर्म में कमी अवरोध होंगे। परंतु नवीन कार्य के लिए वर्ष श्रेष्ठ रहेगा। कोर्ट-कचहरी के काम से मुक्त होंगे। संतान से चिंता, अधिक चपलता, चतुराई से स्वार्थ सिद्ध करना होगा। प्रेम, शांति एवं मिलनसार व्यवहार से कार्य निकालना होगा। 13 मई 2012 से गुरु पुराने कार्यों को पूरा करेगा। अविवाहित के विवाह के योग है। धर्म, पुण्य लाभ मिलेगा। मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी। वर्ष में शनि-गुरु आराध्य है।

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