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Monday, February 7, 2011

DEVI ARADHANA

मे तीन नेत्रों वाली दुर्गा देवि का ध्यान करता हू, !उनके श्री अंगोकी प्रभा विजली के समान है ! वे सिह के कंधे पर बैठी  है एवं भयंकर प्रतीत हो रही  है  हाथो मे चक्र ,गदा , तलवार  ,ढाल ,बाण, धनुष ,पाश और वर्जनी मुद्रा भगवती धारण किये हुए है !जिसके सेवा अनेक कन्याये  हाथ मे तलवार एवं ढाल लिए खड़ी है एवं उनका स्वरूप अग्निमय है !तथा चन्द्रमा का मुकुट धारण किये हुए है!इसी शोभायमान देवि को मे ध्यान करके नमस्कार करता हु ! इस प्रकार देवि को नमस्कार करे वे स्वयं प्रसन्न होके आपको अभयदान दे देगी !भगवती स्वयं कहती है!
                    जो एकाग्रचित्त  हो के प्रतिदिन मेरा स्तवन करेगा उसकी सारी बाधा मे निश्चय ही दूर कर दूंगी !भगवती को इस प्रकार मानने से अनेक प्रकार की बाधा नष्ट हो जाती है ! एवं जीवन सुखी हो जाता है प्रत्येक व्यक्ति ने नोंरात्रि मे देवि की अराधना अवश्य करना चाहिये !एवं उनके महात्म को सुनना चाहिये देवि का सप्तशती (दुर्गा ----सप्तशती ) द्वारा पूर्ण पाढ करने से एवं चरित्र का गुणगान करने से प्रसन्न होकर  आपको संपूर्ण पापो से छुटकारा दिलाकर मोक्ष प्रदान करती है !यहा तक की लुटेरो से ,राजा से ,अग्नि से, जल से ,शस्त्र से ,शत्रुओ  से कभी भय नही उत्पन्न होगा भगवती भक्तो के लिए कहती है,विशेषकर चतुर्थी अष्टमी नवमी एवं चतुर्थद्शी को देवि महात्म को जो पड़ेगा उसके पाप नष्ट होजाते है!
भगवती स्वयं कहती है जो मेरा महात्म पढ़ता है उनके घर मे कभी दरिद्रता नी होगी तथा उनका कभी प्रेमीजनो के विड्रोह्का कष्ट भी नहीं भोगना पड़ेगा !भगवती के साधक को कोई पीड़ा नहीं सताती मा दुर्गा के उपासक जिस स्थान पर  जिस मंदिर मे देवि महात्म अथवा दुर्गा पाढ  करते है वहा देवी हमेशा विराजमान रहती है !जो नवदुर्गा उत्सव (शरद काल)है,इसमे जो भक्त देवी कि अराधना करते है एवं भक्ति भाव  से पूजता है उसके सब कार्य सिध्द होते है! माँ जगदम्बा के महात्म्य को जो भक्त श्रवण करता है! उसके शत्रु नष्ट  हो जाते है, उन्हें कल्याण की प्राप्ति होती है! तथा उनका कुल आनन्दमय हो जाता है!
    वर्तमान में गुप्त नों -रात्रि चल रही है! देवी अराधना बहुत लाभप्रद रहेगी!

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