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Wednesday, January 5, 2011

sntan--sukh--prapt--kre

               संतान प्राप्ति दाम्पत्य जीवन में पहला सुख होता है! नारी सन्तान प्राप्त करके धन्य हो जाती है! हर आँगन
में बच्चो की किलकारी घर के सोंदर्य एवं खुशहाली में चार चाँद लगा देती है! परन्तु कुछ दम्पत्ति इस समस्या को
लेकर परेशान हो जाते है, कुछ हल निकाल लेते है! कुछ दम्पत्ति अपने जीवन का अनमोल रत्न (बालक) न प्राप्त कर जीवन भर परेशान रहते है! कभी--कभी सन्तान प्राप्ति के बाद सन्तान दुखी रहती है, या दम्पति  सन्तान से  दुखी रहती है! इस समस्या में ग्रहों का बड़ा प्रभाव होता है! जाने बच्चो का सुख ग्रहों की शांति से कैसे प्राप्त हो!  
                कुंडली में पंचम भाव संतान का होता है! देखे ग्रह इस भाव में रहकर क्या प्रभाव देते है! यदि अशुभ प्रभाव
देते है, तो उनका उपाय निम्न प्रयोग से करिये !
सूर्य --> पंचम भाव में उच्च का सूर्य हो, तो संतान की वृद्धी करता है, परन्तु अशुभ सूर्य संतान में बाधक होता है! इसकी शांति के लिए हनुमान जी को चने का भोग लगाकर चोला चढाये !अथवा बंदरो की सेवा फल से करे!
चन्द्र --> सन्तान भाव में चन्द्र अशुभ फल दे रहा हो, तो अपने शयन वाले रूम में पलंग के नीचे तांबे की प्लेट रखे !
मंगल --> सन्तान भाव में मंगल अशुभ फल दे रहा हो, तो या गर्भ रूखने के बाद किसी प्रकार की तकलीफ आ रही हो, तो मंलवार के दिन हनुमान जी के पैर में नमक छुआकर नारी की कमर में बांध दे! परेशानी दूर हो जाएगी!
बुध--> सन्तान भाव में बुध अशुभ फल दे रहा हो, तो चतुर्थी के दिन चाँदी खरीदे, एवं धारण करे, इसी के साथ जल में कूट डालकर नहाये !
गुरु --> सन्तान भाव में गुरु अशुभ फल दे रहा हो, तो गुरुवार को केसर  का तिलक चन्दन के साथ लगाये ! एवं पिली हल्दी,पीलाचंदन, गुरु मंदिर में दान करे !
शुक्र --> सन्तान भाव में शुक्र अशुभ प्रभाव दे रहा हो, तो सफ़ेद कपडा ,सफ़ेद चंदन, चित्र,दही एवं सुंगधित सफ़ेद फुल का दान करे!
शनि -->शनि सन्तान भाव में अशुभ फल दे रहा हो, तो काले तिल जमीन में दबा दे! एवं लोहे की कील चाकू दान करे शनि मन्दिर में !
राहू --> संतान भाव में राहू अशुभ फल दे रहा हो, तो अपने पास चाँदी का चोकोर पत्र रखे ! एवं लोहे की अंगूठी मध्यमा में पहने !
केतु --> सन्तान भाव में केतु अशुभ फल दे रहा हो, तो किसी कोढ़ी या गरीब व्यक्ति को कंबल दान करे! एवं मंगल के दिन दोपहर में सीसे की अंगूठी गोमूत्र में धोकर धारण करे !
इति शुभम
  

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