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Thursday, January 6, 2011

pitradosh--kalsrpdosh--nivarn--mantr

जय श्री क्रष्ण                                         श्री                                                            जय श्री क्रष्ण
         पित्रदोष एवं कालसर्प-दोष निवारण  हेतु करे गायत्री मन्त्र से शिव अराधना !
भागवान शिव जो संसार के सहार-कर्ता है! संसार के रचयिता ब्रम्हा पालनकर्ता श्री हरि विष्णु कल्याण करने वाले देवता है! यह वैद, पुराण एवं विध्दानो की मान्यता है! मनुष्य भागवान की अराधना किसी न किसी रूप में करता चला आ रहा है! भारतीय पुरुष शिव को कई रूपों में भजता है, पूजता है, मानता है!
           भगवान  शिव साक्षात् महाकाल  है! संसार के  अंत का कार्य इन्ही के हाथो है! सारे देव दानव,मानव किन्नर शिव की अराधना करते है! मानव के जीवन में जो कष्ट आते है, किसी न किसी पाप गह के कारण होते है! भागवान शिव को सरल तरीके से मनाया जा सकता  है! शिव को मोहने वाली अर्थात शिव को प्रसन्न करने वाली शक्ति गायत्री (गायत्री- मन्त्र) है!
         जातक को यदि जन्म पत्रिका में कालसर्प, पित्रदोष, एवं राहू- केतु तथा शनि से पीड़ा है, अथवा ग्रहण दोष है! एवं जो जातक मानसिक रूप से विचलित रहते है, एवं जिनको मानसिक शांति नही मिल रही हो! उपरोक्त वर्णित किसी भी प्रकार से पीड़ित व्यक्ति ने भगवान शिव की अराधना गायत्री मन्त्र से करना चाहिये !
       शास्त्रों  में भगवान शिव की अराधना कई प्रकार से वर्णित है, परन्तु शिव गायत्री मन्त्र का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है!
मन्त्र -->ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रूद्र; प्रचोदयात !
       

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