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Wednesday, August 17, 2011

मंत्रो की साधना में नियमो का पालन

          मंत्रो की साधना में नियमो का पालन-- मंत्रो की शक्ति असीम है! प्रयोग  करते समय विशेष सावधानी  !      बरतनी चाहिए! मन्त्र उच्चारण की तनिक-सी त्रुटी सारे करे -कराये पर पानी फेर देती है! यदि साधना   -काल में   नियमो का पालन न किया जाये,तो कभी- कभी बड़े घातक परिणाम सामने आ जाते है! इसी के साथ गुरु के ध्दारा  दिए गए निर्देशों का पालन साधक ने अवश्य करना चाहिए ! साधक को चाहिए कि वो प्रयोज्य वस्तुए जेसे -
    आसन ,माला, वस्त्र, हवन-साम्रगी तथा नियमो जेसे दीक्षा स्थान,समय एवं जप-संख्या आदि का द्र्द्तापूर्वक
       पालन करे! क्योकि विपरीत आचरण करने से मन्त्र तथा उसकी साधना निष्फल हो जाती है! जबकि-        विधिवत की गई साधना से इष्ट देवता की क्रपा सुलभ रहती है! साधना-काल में निम्न नियमो का पालन  अनिवार्य है  !
,    १.-जिसकी साधना  की जा रही हो, उसके प्रति पूर्ण आस्था !
             २. मन्त्र -साधना के प्रति पूर्ण विस्वास           ३. साधना-स्थल के प्रति विस्वास के साथ-साथ
   साधना का स्थान सामाजिक,     पारिवारिक  संपर्क से अलग हो! ४. उपवास में दूध, फल आदि          का,  सात्विक भोजन किया जाये,सोंदर्य -प्रसाधन,क्षोर- कर्म व् विलासिता का त्याग आवश्यक है! ५. साधना-काल में भूमि शयन करे! ६. वाणी का असंतुलन,कटु -भाषण,प्रलाप, मिथ्या -वचन आदि का त्याग करे, कोशिश मोन रहने की करे! निरंतर मन्त्र जप अथवा इष्ट-देवता का स्मरण-चिन्तन आवश्यक है!
          !     मन्त्र साधना में प्राय; विघ्न आते आप साबधानी रखकर  मन्त्र जप करे, अवस्य सफल होगे !

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