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Monday, November 1, 2010

दीपावली पर करे तंत्र मन्त्र सिध्द इ संसार की रचना के साथ ही बहुँत चीजो का अविष्कार हुआ है जैसे  जैसे मनुष्य ने उन्नति की अपने स्वार्थ लाभांश प्रुशार्थ परोपकार  के लिए कुघ न कुघ खोजता रहा है इ आप करे दीपावली पर कुघ प्रयोग  .रोगी को ठीक करने के प्रयोग |कृष्ण पझ मई अमावस्या की रत १२     बजे नहा धोकर नीले रंग के वस्त्र पहने असके बाद आसन पर नीला कपड़ा बिझाकर पूर्व मुख करके बैठे .इसके पश्चात दीपक चोई    मुखी   जलाये ये सामानरख ली नीला कपडा सवा गज {चर्मिथर } चौमुखी दीपक ४०नग मिटटी की गडवी १नग सफ़ेद कुषा आसन १नग बत्तिय ५१नग छोटी इलायची ११दाने खरिक ५नग नीले कपडे का रुमाल १नग दिया सलाई १नग ग लोंग११दाने तेल सरसों १किलो इतर १शिशि गुलाब के फुल ५नग गेरू की डाली लाडू ११नग बिधि / नीले कपडे के चारो कोने मेलाडू लोंग इलायची ,खरीक बांध ले ,फिर मिटटी के बर्तन में पानी भरकर गुलाब के फुल भी बहा रख ले फिर निचे लिखा मन्त्र पड़े मन्त्र पड़ते समय लोहे की सलाई से अपने चारो ओर लकीर खिचे ,इ मन्त्र इस प्रकार है ॐ अनुरागिनी मैथन परये स्वाहा शुक्ल पझे जपे ध्व्न्तव द्र्यते जपत पेट मन्त्र चालीस दिन तक करते रही पानी मई अपनी छाया को देखे जब मन्त्र पूरा हो जाये  सब सामान पानी में दल दे इ अब जिसका इलाज करना है उसका न्न्नाम नाम लेकर मन्त्र को बोले रोगी अच्घ्हा हो जायेगा

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