रावण दहन का महत्त्व एवं रावण दहन मुहुर्त ----->
राम नाम उर मै गहिओ जा कै सम नही कोई !!
जिह सिमरत संकट मिटै दरसु तुहारे होई !!
जिनके
सुन्दर नाम को हध्दय में बसा लेने मात्र से सारे काम पूर्ण हो जाते है
!जिनके समान कोई दूजा नाम नही है! जिनके स्मरण मात्र से सरे संकट मिट जाते
है! येसे श्रीराम को कोटि-कोटि प्रणाम करता है !प्रभु ने रावण रूपी बुराई को ख़त्म करने के लिए मनुष्य का रूप धारण किया! प्रभु श्री राम की भक्ति को कलयुग में सिर्फ नाम के आधार पर पूर्ण बताई है !
कलयुग जोग न जग्य न ग्याना !
एक आधार राम गुण गाना !!
अर्थात कलयुग में ना तो योग ,ना यज्ञ और न ज्ञान का महत्व है ,एक मात्र राम का गुणगान ही जीवो का उद्धार है संतो का कहना है ,कि प्रभु श्री राम की सेवा में कपट ,दिखावा,छल नहीं अपितु आन्तरिक भक्ति का ही महत्व है , अर्थात दशहरे पर रावण नहीं अपितु आंतरिक छल -कपट ,द्वेष के रावण को जला दो ,
राम नाम उर मै गहिओ जा कै सम नही कोई !!
जिह सिमरत संकट मिटै दरसु तुहारे होई !!
है! येसे श्रीराम को कोटि-कोटि प्रणाम करता है !प्रभु ने रावण रूपी बुराई को ख़त्म करने के लिए मनुष्य का रूप धारण किया! प्रभु श्री राम की भक्ति को कलयुग में सिर्फ नाम के आधार पर पूर्ण बताई है !
कलयुग जोग न जग्य न ग्याना !
एक आधार राम गुण गाना !!
अर्थात कलयुग में ना तो योग ,ना यज्ञ और न ज्ञान का महत्व है ,एक मात्र राम का गुणगान ही जीवो का उद्धार है संतो का कहना है ,कि प्रभु श्री राम की सेवा में कपट ,दिखावा,छल नहीं अपितु आन्तरिक भक्ति का ही महत्व है , अर्थात दशहरे पर रावण नहीं अपितु आंतरिक छल -कपट ,द्वेष के रावण को जला दो ,
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