शनि का परिभ्रमण-->शनि जब चन्द्र कुंडली में अलग- अलग स्थान पर परिभ्रमण करता है, तो क्या फल देता है,एवं क्या सम्भावना रहती है! जानिये !
प्रथम स्थान -->नजदीकी रिश्तेदारों के लिए अशुभ होता है, बीमारी की सम्भावना बनती है!
ध्दितीय स्थान -->खुशियों में कमी, बीमारी एवं धन की हानि कराता है! पद विहीन(सस्पेंड)
कर सकता है! स्वास्थ्य कमजोर करता है! खर्च को बढ़ाता है!
तीसरा स्थान --> धन अर्जित करवाता है! खुशिया देता है!
चतुर्थ स्थान --> मानसिक, शारीरिक कष्ट एवं परिवार के लिए अशुभ फल देता है! अनहोनी घटनाये होती है!
पंचम स्थान --> धन नाश,खर्च में बढ़ोतरी, गलत आक्षेप लगवा सकता है!
छटवा स्थान --> शत्रुओ पर विजय दिलवाता है! मुख्य कार्य करवाता है! एवं बीमारी से दूर रखता है! बीमार व्यक्ति बीमारी से दूर हो जाता है! वैवाहिक जीवन में सुख देता है! एवं धन की प्राप्ति देता है!
सप्तम स्थान --> यात्राये कराता है! जातक घर से दूर रहता है, परन्तु उसे गुप्त रोग होने का भय रहता है!
अष्टम स्तन --> पत्नी एवं बच्चो से दूर कर सकता है, रिश्तेदारों एवं नोकरो से कष्ट दिलाता है! इसी के साथ धन हानि देता है!
नवम स्थान --> शत्रुओ से हानि, किसी अपराधिक व्यक्ति ध्दारा कष्ट, बीमारी के साथ धन हानि देता है!पत्नी से अलगाव हो सकता है!
दशम स्थान --> वेरोजगार को नॉकरी दिलाता है,
एकादश स्थान --> जमीन जायदाद की प्राप्ति कराता है! अविवाहित के विवाह योग बनता है! अस्थाई नॉकरी वाले को स्थाई करता है!
ध्दाद्श स्थान --> धन हानि देता है! बीमारी परिवारिक झगड़े कराता है!
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