पितृ पूजन ज्योतिष की नजर से --> पितृ हमारे वंश को बढ़ाते है! पितृ की पूजन करने वाले के परिवार में
सुख-शांति,धन,धान्य,यश, वैभव, लछ्मी.हमेशा बनी रहती है! संतान का सुख भी पितृ ही प्रदान करते है!
शास्त्रों में पितृ को पितृदेव कहा है! पितृ पूजन प्रत्येक घर के शुभ कार्य में प्रथम किया जाता है! जो कि नादी-
श्राध्द के रूप में किया जाता है! भाद्रपद पूर्णिमा से अश्विन (क्वार) कि अमावस्या तक के समय को शास्त्रों ने
पितृपछ बताया है! एन १६ दिनों में जो पुत्र अपने पिता,माता, अथवा अपने वंश के पितरो का पूजन (तर्पण,
धुप, श्राध्द ) करता है, वह अवस्य उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है!
एन १६ दिनों में जिनको पितृ-दोष है, वह अवस्य त्रि -पिंडी श्राध्द अथवा नारायण बलि का पूजन कराये !
नारायण बलि का पूजन किसी तीर्थ स्थल पर कराये ! इसी के साथ काक भोजन कराये, तो उनके पितृ सदगति
को प्राप्त हो बैकुंठ में स्थान पाते है!
एन दिनों में किया गया श्राध्द अनन्य कोटि फल देने वाला होता है!
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