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Monday, May 28, 2012

गृह निर्माण में रखें वास्तु शास्त्र का ध्यान

- सुरेंद्र बिल्लौरे
प्रत्येक परिवार की पहली आवश्यकता होती है, अपना घर। मध्यम वर्ग इस सपने को संजोने के लिए जीवन भर संघर्ष करता है। जिस समय यह सपना सच होने जा रहा हो, तो हमें वह घर पूर्ण रूप से समृद्धि दें, इसका ध्यान रखना चाहिए। अत: वास्तु के अनुसार गृह निर्माण करवाना चाहिए।

किसी भी प्लॉट या भूमि पर गृह निर्माण करते समय यह ध्यान रखें कि भूमि (प्लॉट) के अग्नि कोण में पाक गृह (रसोई गृह), दक्षिण में शयन गृह, नैऋत्य कोण में अस्त्र-शस्त्रागार, पश्चिम में भोजन करने का गृह, वायव्य कोण में धन रखने का गृह, ईशान में देवालय एवं उत्तर में जल रखने का गृह रखें तथा उत्तर-पूर्व के मध्य बाथरूम होना चाहिए। इसी प्रकार

* दूध, दही, घी, सिरका, अचार का स्थान रसोई के बगल में होना चाहिए। श्रृंगार एवं औषधि सामग्री शयन गृह के बगल में होना चाहिए। विद्यार्थियों के पढ़ने का कमरा देवालय के बगल में होना चाहिए।

* घर के आस-पास बड़, पीपल, इमली, कैथ, नींबू, कांटे वाले एवं दूध वाले वृक्ष नहीं होना चाहिए। इस वृक्षों के घर के आस-पास होने से धन की हानि होती है।

* कुआं एवं जल का स्थान मुख्य द्वार से पूर्व ईशान, उत्तर अथवा पश्चिम में होने से धन प्राप्त होता है। सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।

* अग्निकोण में संतान हानि, दक्षिण में गृहिणी का नाश, नैऋत्य कोण में गृह मालिक का नाश एवं वायु कोण में भय, चिंता बनी रहती है।

* भवन में स्तंभ लगाने की आवश्यकता हो, तो स्तंभ सम संख्या में लगवाना चाहिए। इनकी संख्या यदि विषम हो, तो अशुभ फल देते है।

* पूर्ण रूप से उपरोक्त विधि को ध्यान में रखते हुए भवन निर्माण करने से घर में सुख-समृद्धि, यश, वैभव एवं शांति प्राप्त होती है।

Wednesday, May 23, 2012

कालसर्प कब होता है

 कालसर्प कब होता है --> प्रत्येक जातक की कुंडली में नॉ ग्रहों  की स्थिति  अलग -अलग स्थान पर विराजमान होती है! राहु-केतु भी प्रत्येक की कुंडली में विराजमान रहते है!
जातक की कुंडली में जब सारे  ग्रह  राहु और केतु के मध्य में आ जाये,तब कालसर्प होता है! क्यों होता है, जानिए !
वैद के अध्ययन पर विचार करे, तो राहु का अधिदेवता काल  ओर प्रति 
अधिदेवता सर्प है,जबकि केतु का अधिदेवता चित्रगुप्त एवं प्रति अधिदेवता ब्रम्हाजी है! इस  पर ध्यान दे,या यह 
कहे , कि राहु का दाहिना भाग काल एवं बायाँ भाग सर्प है! इसीलिए राहु  से केतु की ओर कालसर्प योग बनता 
है,केतु से राहु की ओर से कालसर्प नही बनता है! राहु एवं केतु की गति बाममार्गी होने से स्पष्ट होता है, कि सर्प अपने बाई ओर ही मुड़ता है,वह दाई ओर कभी नही मुड़ता ! राहु एवं केतु सर्प ही है,और सर्प के मुँह में 
जहर ही होता है ! जिन जातको की कुंडली में कालसर्प होता है,उनके जीवन में असहनीय पीड़ा होती है! कई 
कालसर्प योग वाले जातक असहनीय पीड़ा झेल रहे है!और कुछ जातक सम्रध्दी प्राप्त कर  आनन्द की जिन्दगी
जी रहे है! इससे यह सिध्द होता है,कि राहु -केतु जिस पर प्रसन्न है,उसको संसार के सारे  सुख सहज में दिला देते है! एवं इसी के विपरीत राहु -केतु (सर्प)
कोर्धित हो जाहे,तो मृत्यु या मृत्यु  के समान कष्ट देते है! श्रष्टि का विधान रहा है,जिसने भी जन्म लिया है,वह 
मृत्यु  को प्राप्त होगा! मनुष्य भी उसी श्रष्टि की रचना में है, अत:मृत्यु तो अवस्यभावी है!उसे कोई  नही टाल  
सकता है परन्तु मृत्यु  तुल्य कष्ट ज्यादा दुखकारी है! जो व्यक्ति आर्थिक सम्पन्नता के मद में चूर हो जाता है,
जिसके कारण वह  माता-पिता अपने आश्रित भाई,बहन का सम्मान करके नही,बल्कि अपनी सेवा करवाकर खुश रहना चाहता है!
एवं उन्हें मानसिक रूप से दुखी करता है, उसी के प्रभाव के कारण उसे अगले जन्म में कालसर्प होता है! 
शास्त्रानुसार जो जातक अपने माता -पिता एवं पितरो की सस्चे मन से सेवा करते है, उन्हें कालसर्प योग अनुकूल प्रभाव देता है! एवं जो इन्हे दुःख देता है,कालसर्प योग उन्हें कष्ट अवश्य  देता है!
कालसर्प के कष्ट को दूर करने के लिए कालसर्प की शांति अवश्य  करना चाहिए ! एवं शिव आराधना करना चाहिये !

Friday, May 18, 2012

सूर्य का चन्द्र कुंडली में परिभ्रमण

सूर्य का चन्द्र कुंडली में परिभ्रमण--> प्रत्येक ग्रह परिभ्रमण करते है, एवं कुंडली में अलग-अलग भाव में विराजमान रहते है! सूर्य चन्द्र कुंडली में परिभ्रमण करते समय अलग-अलग भाव में जातक को क्या फल देता है, जानिये! - पं.सुरेन्द्र


प्रथम भाव--> सूर्य जातक की चन्द्र कुंडली में प्रथम भाव में परिभ्रमण के समय मान-सम्मान में कमी,धन हानि, भय एवं स्वभाव में उग्रता को बढ़ाता है! परिवार से दुरी भी बना सकता है, इसी के साथ जातक को बीमारी का भय बना रहता है!
ध्दितीय भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में ध्दितीय भाव में भ्रमण करता है, जातक को धन-हानि आर्थिक कष्ट परिवार के साथ मतभेद तथा भय देता है!
तृतीय भाव-->सूर्य जब चन्द्र कुंडली में तृतीय भाव में भ्रमण करता है, तो जातक को पद की प्राप्ति,स्वभाव में सुधार,शत्रु पर विजय एवं परिवार में सुख-सम्मान दिलाता है!
चतुर्थ भाव-->सूर्य जब चन्द्र कुंडली में चतुर्थ भाव में भ्रमण करता है, तो जातक को अशांति,क्लेश,बीमारी,आर्थिक कष्ट देता है! इसी के साथ  पत्नि-पति के सम्बन्ध में दुरी बनाता है!
पंचम भाव-->सूर्य जब चन्द्र कुंडली में पंचम भाव में भ्रमण करता है, तो मानसिक बीमारी,अधिकारी से परेशानी,दुर्घटना का भय तथा परिवार से दुरी बनता है!
षष्टम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में षष्टम भाव में भ्रमण करता है, तो खुशिया तथा मानसिक शांति देता है! तथा शत्रुयो का नाश करता है!
सप्तम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में सप्तम भाव में भ्रमण करता है, तो उदर एवं मूत्रालय बीमारी तथा परिवार में आपसी समझ की कमी करता है!
अष्टम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में  अष्टम भाव भ्रमण करता है, तो आकस्मिक घटनाये घटित होने की संभावना बनी रहती है,आर्थिक तंगी,
धन हानि,रोग एवं लड़ाई-झगड़े करता है!
नवम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में  नवम भाव में भ्रमण करता है,तो मानसिक परेशानी,धन हानि, शश्रुयो का बढना, तथा अनायास खर्च,मान-सम्मान में कमी लता है!
दशम भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में दशम भाव में भ्रमण करता है,तो इच्छायो की पूर्ति,उपहार,सम्मान तथा सुख शांति देता है! एवं प्रमोशन दिलाता है!
एकादश भाव-->सूर्य जब चन्द्र कुंडली में एकादश भाव में भ्रमण करता है,तो मांगलिक कार्य,नये मित्र एवं सुख की प्राप्ति करता है!
ध्दाद्श भाव--> सूर्य जब चन्द्र कुंडली में इस भाव में भ्रमण करता है,तो मानसिक - हानि, सोच में कमी,आर्थिक हानि, खर्च का बढ़ना,तथा दुर्घटना  का भय रहता है!
  सूर्य जब कष्ट दे, तो आदित्य स्त्रोत का पाठ करे, सूर्य को अर्ग दे !

Tuesday, May 15, 2012

ग्रहों के अशुभ फल

ग्रहों के अशुभ फल  --> प्रत्येक  जातक की कुंडली में  ग्रहों की स्थिति शुभ-अशुभ रहती है, एवं ग्रहों की दशा महादशा भी शुभ-अशुभ फल देती है,
एवं शनि की साढ़े साती भी जातक को शुभ अशुभ फल देती है! परन्तु इन सबके अलावा जातक के कर्म-कुकर्म  के आधार पर भी नवग्रह शुभ-अशुभ फल देते है!जानिये!
सूर्य-->सूर्य कब अशुभ फल देता है, जब जातक किसी भी प्रकार का टेक्स चुराता है, एवं किसी भी जीव की आत्मा को  कष्ट देता है! 
चन्द्र--> चन्द्र अशुभ फल कब देता है,जब जातक सम्मान-जनक स्त्रियों को कष्ट देता है, जैसे- माता,नानी,दादी,सास एवं इनके समान वाली स्त्रियों को कष्ट देता है, किसी से धोके से कोई वस्तु लेने पर भी चन्द्रमा अशुभ फल देता है!
मंगल--> मंगल अभुभ फल कब देता है, जब जातक अपने भाई से झगड़ा करे,भाई के साथ धोखा करे.एवं अपनी पत्नि के भाई का अपमान करे,तो
भी मंगल अशुभ फल देता है!
बुध--> बुध अशुभ फल कब देता है, जब जातक अपनी बहन,बेटी अथवा बुआ को कष्ट देता है, साली एवं मोसी को कष्ट देता है! यदि जातक हिजड़े
को कष्ट देता है, तो भी बुध अशुभ फल देता है!
गुरु-->गुरु कब अशुभ फल देता है, जब जातक पिता,दादा,नाना को कष्ट देता है, अथवा इनके समान पद वाले व्यक्ति को कष्ट देता है! एवं साधू, संतो को देने से भी गुरु अशुभ कष्ट देता है!
शुक्र--> शुक्र कब अशुभ फल देता है, जब जातक जीवन- साथी को कष्ट देता है! घर में गंदे एवं फटे  वस्त्र रखने,एवं ये  पहनने पर भी शुक्र अशुभ
फल देता है!
शनि-->शनि कब अशुभ फल देता है, जब जातक ताऊ,चाचा को कष्ट देता है,मजदुर की पूरी मजदूरी नही देता है.अथवा घर या दुकान के नोकरो को गाली देता एवं शराब, मांस खाने पर भी शनि अशुभ फल देता है! कुछ लोग मकान या दुकान किराये से लेते फिर बाद में खाली नही करते
या खाली करने के लिए पैसे मंगाते है, तो शनि अशुभ फल देता है!
राहू--> राहू कब अशुभ फल देता, जब जातक बड़े भाई को कष्ट देता है,या अपमान करता है! ननिहाल पक्ष का अपमान करने पर एवं सपेरे का दिल दुखाने पर भी राहू कष्ट देता है!
केतु --> केतु कब अशुभ फल देता जब जातक भतीजे,भांजे को कष्ट देता है,या उनका हक छीनता है! कुत्ते को मारने या किसी के ध्दारा कुत्ते को मरवाने पर मंदिर,मंदिर की ध्वजा तोड़ने पर केतु अशुभ फल देता है! किसी की झूठी गवाही देने पर भी राहू-केतु अशुभ फल देते है!
    अत: मनुष्य ने अपना जीवन व्यवस्थित जीना चाहिए, किसी का दिल नही दुखाना चाहिए! न ही किसी के साथ छल कपट करना चाहिए !










माधुरी दीक्षित



माधुरी का जन्म 15 मई 1967 को मुंबई में हुआ। पत्रिका के अनुसार जन्म के समय सूर्य वृश्चिक राशि पर परिभ्रमण कर रहा था, परिणामस्वरूप माधुरी धनवान एवं हर दृष्टि से सुखी है! यह योग दीर्घसूत्री भी बनाता है।

कुंडली में मंगल की स्थिति माधुरी को पराक्रमी बनाती है। मंगल जन्म के समय मकर राशि पर होने से भी माधुरी आर्थिक रूप से संपन्न है एवं परिवारिक सुख भी भरपूर है।

पत्रिका में स्थित बुध उन्हें कष्टों से बचाता है। जन्म के समय वृषभ का चन्द्रमा होने से वह खूबसूरत हैं एवं चन्द्र उन्हें दयालु बनाता है। वर्तमान में माधुरी की जो प्रसिद्धि है, वह गुरु की वजह से है। गुरु विलासी बनाता है, शुक्र लक्ष्मी सुख देता है। जन्म के समय शुक्र का तुला राशि पर परिभ्रमण जीवन भर सुखी एवं संपन्न बनाता है।

माधुरी को शनि संतान संबंधी तकलीफ दे सकता है। राहु सुख दे रहा है, केतु नेत्र की तकलीफ दे सकता है, अत: ध्यान दें।

माधुरी का जन्म सूर्य की महादशा में हुआ है, जिसका भोग्यकाल 1 वर्ष 2 माह 21 दिन रहा। वर्तमान में गुरु की महादशा चल रही है, जो कि 6/3/2004 से शुरू हुई थी, वह 6/3/2020 तक रहेगी। अभी गुरु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही जो कि 18/1/2012 से 18/9/2012 तक रहेगी।

माधुरी के लिए जून 2012 मध्यम रहेगा। जुलाई-अगस्त अच्छा बीतेगा। सितंबर एवं अक्टूबर 2012 मिश्रित भाग्य वाला रहेगा। दिसंबर कष्ट वाला हो सकता है। जनवरी 2013 ठीक रहेगा। फरवरी 2013 स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ दे सकता है। मार्च-अप्रैल 2013 अच्छा रहेगा। माधुरी को 28/6/2013 से 22/10/2013 तक सोच-विचार कर निर्णय लेना चाहिए। एक गलत निर्णय मुसीबत में डाल सकता है।

दिनांक 5,10,15 तारीख को बड़े निर्णय नहीं लेना चाहिए। 20/10/2013 से 20/12/2013 तक गलत विचार दिमाग में आ सकते है, विशेष ध्यान दें। माधुरी को विशेष तौर पर मूंगा, पुखराज का लॉकेट पहनना चाहिए।

Wednesday, May 9, 2012

भारतीय संस्कृति




भारतीय संस्कृति में भविष्यवाणी या यह कहे, की पुरानि  मान्यता बड़ी फायदेमंद रही है!   तकनीकी रूप से इनका कोई लिखित इतिहास नहीं है लेकिन पीढ़ी-दर-पीढ़ी यह ज्ञान हस्तांतरित हो रहा है और मानना होगा कि इनके माध्यम से की गई भविष्यवाणियां अचूक सिद्ध होती हैं। प्रस्तुत है,* घर से चलते समय यदि बिल्ली रास्ता काट जाये, तो काम विगड जाता है!

* सामने की छींक लड़ाई-झगड़े को करवा सकती है। पीछे की छींक से  सुख मिलता है।

*

* दाईं तरफ की छींक धन को नष्ट करती है। बाईं तरफ की छींक से सुख मिलता है।


* आलू को सदा कृष्ण पक्ष में बोना चाहिए।

* एक बादल यदि दूसरे बादल में घुसे तो उसी समय पानी बरसे।

* यदि एक ढेले पर बैठकर चील बोले तो भारी वर्षा होगी।

* यदि सावन शुदि (शुक्ला) सप्तमी को आधी रात के समय बादल गरजे और पानी बरसे तो अकाल पड़ेगा।

* चित्रा नक्षत्र की वर्षा प्राय: सारी खेती नष्ट कर देती है।


* यदि एक महीने में दो ग्रहण हो तो राजा या मंत्री की मृत्यु होती है।

Monday, May 7, 2012

गुरु का वृषभ राशी में परिभ्रमण

 वर्तमान में गुरु मेष राशि में परिभ्रमण कर रहा है,१३ मई २०१२ को गुरु अपनी राशि बदलकर मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करेगा! अर्थात गुरु 
वृषभ राशि में परिभ्रमण करेगा! इस राशि में परिभ्रमण करने पर गुरु पृथ्वी के जीवो पर, प्रकृति पर, व्यापार पर, राजनिति पर देश में हलचल पर क्या प्रभाव डालता है! जानिये!
गुरु वृषभ राशि में परिभ्रमण करेगा, इसके फलस्वरूप सभी अनाज सस्ते होंगे! पूर्व में सुख की वृध्दि होगी! नेताओं की वुध्दी अच्छी रहेगी!  घी,तेल
मोती,मूँग,नमक,लाल वस्तुए,लाल वस्त्र एवं नारियल सस्ते होंगे! स्त्री  जाति पर पीड़ा रहेगी, कई प्रकार के रोग से तकलीफ बढ़ेगी,जानवरों में हाथी,
घोड़े,गधो को तकलीफ ( कष्ट ) रहेगी! मोर पर भी कष्ट आएगा! उत्तर में अनावृष्टि तथा कई जगह पानी की कमी रहेगी! जुलाई अगस्त में गेहू,चावल,
उड़द,तिल,चना एवं मूँग महंगे होंगे! मई में वर्षा के योग बनेंगे,राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में घी एवं तेल के भाव बढ़ेंगे!  इस क्षेत्र में धान के भाव में भी
उछाल आएगा! धातु  से सम्बन्धित वस्तु सस्ती होगी, मूंगफली के भाव में तेजी आएगी, मालवा एवं नागपुर में अनाज के भाव में अन्य जगह से तेजी रहेगी ! राजनैतिक गति के कारण प्रजा को कष्ट रहेगा! जुलाई,अगस्त में वर्षा अच्छी रहेगी,सितम्बर में वर्षा कम रहेगी! इन महीनो में घी,दूध की
कमी हो सकती है!

Thursday, May 3, 2012

मई 2012 : क्या कहती है आपकी राशि



मेष- (चु, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, अ)
मेष राशि वाले जातक के लिए यह माह सफलता वाला रहेगा। घर में कोई मांगलिक कार्य होगा। धन प्राप्त करने में थोड़ी‍ परेशानी आएगी। स्त्री पक्ष से विवाद के योग बनते हैं। स्वयं के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी मित्र से सहयोग प्राप्त होगा। दिनांक 3, 18 शुभ है, 7 अशुभ है। श्रीकृष्ण की भक्ति फायदेमंद है।

वृषभ- (ई, उ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)
वृषभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह कोर्ट-कचहरी में सफलता वाले रहेंगे। धार्मिक कार्य में रुचि बढ़ेगी। विद्यार्थी को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। स्त्री पीड़ा के योग हैं। व्यापार अच्छा रहेगा। कृषि लाभप्रद है। नौकरी सामान्य बनी रहेगी। दिनांक 5, 14 शुभ हैं। शिवशक्ति आराधना शुभ है।

मिथुन- (का, की, कु, घ, ड, छ, के, को, हा)
मिथुन राशि वाले जातकों के लिए यह माह पारिवारिक सुख वाला रहेगा। विद्यार्थी को शिक्षा एवं नौकरी पाने में सफलता मिलेगी। पत्नी से लाभ मिलेगा। कार्य में सफलता मिलेगी, परंतु शत्रुओं का भय बना रहेगा। कृषि मध्यम लाभ पहुंचाएगी। व्यापार सामान्य रहेगा। नौकरी में अधिकारी नाराज हो सकते हैं। ध्यान दें। दिनांक 15, 26 शुभ हैं। 3 अशुभ है। रामरक्षा स्तोत्र लाभप्रद रहेगा।

कर्क- (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)
कर्क रा‍शि वाले जातकों के लिए यह माह भूमि से लाभ वाला रहेगा। नौकरी एवं राजनीति में अधिकारियों से लाभ मिलेगा। किसी विशेष कार्य पर खर्च होगा। विद्यार्थियों को रुकावट आ सकती है। किसी पुराने मित्र से मिलन होगा। कृषि लाभदायक रहेगी। व्यापार वृद्धि होगी। स्त्री से नुकसान हो सकता है, सावधानी बरतें। दिनांक 9, 18 शुभ है, 6 अशुभ है। शिव आराधना लाभप्रद है।

सिंह- (मा, मी, मू, मे, मो, टो, टी, टू, टे)
सिंह राशि वाले जातकों के लिए यह माह पराक्रम में वृद्धि वाला रहेगा। मांगलिक कार्य पूर्ण होंगे। माता-पिता को कष्ट के योग बनते हैं, ध्यान दें। भूमि संबंधी विवाद से हानि हो सकती है। धार्मिक या सामाजिक यात्रा के योग हैं। किसी ‍भी व्यक्ति के कहने में आकर गलत कार्य न करें। व्यापार अच्‍छा रहेगा। कृषि में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेगा। दिनांक 11, 22 शुभ है, 20 अशुभ है। बिष्णुजी की आराधना करना लाभप्रद है।

कन्या- (टो, पा, पी, पु, ष, ण, ठ, पे, पो)

कन्या राशि वाले जातकों के लिए यह माह संतान सुख वाला रहेगा। बेरोजगार को नौकरी प्राप्त होगी। विद्यार्थी परीक्षा में सफल होंगे। पत्नी को कष्ट के योग हैं, ध्‍यान रखें। पराक्रम में वृद्धि होगी। भाई से सहयोग प्राप्त होगा। पड़ोसी से वाद‍-विवाद के योग बनते हैं, सावधानी से कार्य लें। किसी रिश्तेदार से मुलाकात लाभप्रद वाली होगी। व्यापार शुभ रहेगा। कृष‍ि मध्यम रहेगी। नौकरी में पदोन्नति होगी। दिनांक 1, 12, 18 शुभ है। 23 अशुभ है। राधा-कृष्ण की भक्ति लाभ पहुंचाएगी।

तुला (रा, री, रु, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
तुला राशि वाले जातकों के लिए यह माह व्यापार वृद्धि वाला रहेगा। अविवाहित जातक का विवाह तय होगा। न्यायालय संबंधी कार्य में सफलता मिलेगी। व्यर्थ व्यय होने के योग हैं। माता-पिता का सहयोग प्राप्त होगा। कृषि मध्यम रहेगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न होंगे। किसी नारी से हानि के योग बनते हैं। दिनांक 18, 25 शुभ है, 26 अशुभ है। शिवशक्ति की आराधना लाभप्रद रहेगी।

वृश्चिक- (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए यह माह स्थान परिवर्तन वाला रहेगा। विद्यार्थी को शिक्षा में बाधा आ सकती है। विवाह कार्य में सफलता मिलेगी। मानसिक व्यग्रता में वृद्धि होगी। यात्रा यदि जरूरी न हो तो न करें, हानि के योग हैं। शरीर कष्ट के योग हैं। किसी भी मित्र का सहयोग मिलेगा। नारी के जीवन में आने से उथल-पुथल होगी। किसी के बहकावे में न आएं। दिनांक 4, 16 शुभ हैं। 20 अशुभ है। राम-सीता की आराधना करें।

धनु (ये, यो, भा, भी, भु, भू, धा, फा, ढा, भे)
धनु राशि वाले जातकों के लिए यह माह राजनीतिक लाभ वाला रहेगा। कार्यों में सफलता मिलेगी। पारिवारिक सुख में वृद्धि होगी। संतान पक्ष से लाभ प्राप्त होगा। किसी रिश्तेदार से मतभेद के योग बनते हैं। मित्र के साथ मिलकर कार्य में नया मोड़ आएगा। माता-पिता की धार्मिक यात्रा के योग बनते हैं। कृषि लाभ देगी। नौकरी सामान्य रहेगी। दिनांक 10, 28 शुभ है, 19 अशुभ है। राधाकृष्ण की आराधना लाभप्रद रहेगी।

मकर- (भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)
मकर राशि वाले जातकों के लिए यह माह व्यापार लाभ वाला रहेगा। पारिवारिक कलह के योग बनते हैं। यात्रा पूर्ण विचार करके करें, हानि के योग बनते हैं। खर्च में कमी आएगी। बहन से सहयोग प्राप्त होगा। गलत संगति न करें, कष्ट आ सकता है। नौकरी में अफसर खुश रहेंगे। कृषि मध्यम रहेगी। बेचैनी बनी रहेगी। दिनांक 5, 15 शुभ है। माता दुर्गा की आराधना लाभप्रद रहेगी।

कुंभ- (गु, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, ढा)
कुंभ राशि वाले जातकों के लिए यह माह धार्मिक यात्रा वाला रहेगा एवं यात्रा से लाभ मिलेगा। न्यायालय संबंधित कार्यों में सफलता मिलेगी। घर में मांगलिक कार्य के योग हैं। व्यापार में लाभ होगा। कृषि में वृद्धि के योग हैं। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न होंगे। तीर्थ में अच्‍छे संत से मुलाकात होगी। पिता को खुश करें। जीवन में उन्नति होगी। व्यापारिक सहयोग मिलेगा। दिनांक 1, 14 शुभ है, 21 अशुभ है। हनुमान चालीसा लाभप्रद है।

मीन- (दी, दू, झ, स, दे, दो, चा, ची)
मीन राशि वाले जातकों के लिए यह माह नौकरी में उन्नति वाला रहेगा। व्यापार मध्यम रहेगा। कृषि लाभप्रद रहेगी। स्वयं के वाहन से यात्रा न करें। पारिवारिक कलह के योग बनते हैं। स्वास्थ्य नरम-गरम हो सकता है। नेत्र संबंधी पीड़ा का योग है। किसी मित्र से अचानक लाभ मिलेगा। भाई को कष्ट के योग बनते हैं। ईष्ट कामना पूर्ण होने के योग बनते हैं। दिनांक 7,14 शुभ है। 18 अशुभ है। रामरक्षा स्तोत्र का पाठ लाभप्रद रहेगा।

Tuesday, May 1, 2012

मई 2012 : ज्योतिष की नजर से


- सुरेंद्र बिल्लौरे

ग्रहों का परिभ्रमण एवं राशि परिवर्तन पृथ्वी के जीवों पर क्या प्रभाव डालता है, देखिए एक नजर :-

मई 2012 में मंगल का परिभ्रमण सिंह राशि पर चल रहा है, यह स्थिति सोना-चांदी के भाव को उच्च बनाकर रखेगी। इनकी दृष्टि के कारण हल्का उतार भी आ सकता है। लाल वस्तुओं का भाव भी अच्छा रहेगा।

बुध का मेष राशि में परिभ्रमण रहने से स्वर्ण के भाव समान बने रहने के योग बनते हैं। बुध की स्थिति से पशुओं पर विपत्ति, कष्ट आएगा। सूर्य का मेष राशि में परिभ्रमण पूर्व के देशों में सुख-शांति देगा। पश्चिम के देशों में आपत्ति एवं विद्रोह का भय रहेगा। दक्षिण के देशों में दुर्भिक्ष का भय रहेगा। उत्तर के देशों में अशांति बनी रहेगी, साथ ही युद्ध की आशंका रहेगी।

इस माह शुक्र का परिभ्रमण लोगों को सुख-शांति प्रदान करेगा। शनि भी सामान्य फल दे रहा है। मई माह में गुरु की राशि का परिवर्तन होना अर्थात् गुरु मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। जिससे स्त्रियों पर कष्ट आएंगे, नाना प्रकार की ‍पीड़ाएं एवं रोग उत्पन्न होने का भय रहेगा।

पशु-पक्षियों पर जैसे हाथी, घोड़े, गधे इन पर भी पीड़ा आएगी। अच्छे परिणाम स्वरूप अनाज सस्ता होगा। सूर्य का भी राशि परिवर्तन कर वृषभ राशि में प्रवेश करने से दक्षिण के देशों में सुख-शांति होगी, उत्तर तथा पश्चिम के देशों में पीड़ा रहेगी। पूर्व के देशों में पीड़ा, युद्ध का भय एवं अशांति रहेगी।

बुध राशि परिवर्तन कर वृषभ राशि में परिभ्रमण करेंगे इससे पृथ्वी पर सर्वत्र अशांति व कलह होगा। शुक्र का परिभ्रमण (वृषभ राशि में) लोगों को सुख-शांति प्रदान करेगा। शुक्र, बुध, सूर्य, गुरु एवं केतु सभी का एक ही राशि (वृषभ राशि में) में परिभ्रमण करने से पंचग्रही योग बन रहा है, जिससे रक्तपात, आतंकवाद एवं कहीं-कहीं जलप्लावन एवं वायु दुर्घटना होगी।

इस माह की कुंडली को आकाशीय दृष्टि से देखे, तो शुक्र-सूर्य-बुध एक साथ होने से एवं वायु-दहन सप्तनाड़ी में स्थित होने से तेज गर्मी के साथ-साथ तेज गर्म हवा से लोग व्याकुल होंगे। शुक्र का स्वराशि में स्थित होने से कहीं-कहीं बादल की चाल के साथ बूंदाबांदी भी होगी। इस दौरान दिल्ली, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड के मैदानी भागों में लोग गर्मी से व्याकुल होंगे।